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नए राज्यपाल आर्लेकर के आने से क्या बदलेगी सियासी समीकरण, कयासों का दौर शुरू, जानें हलचल

By एस पी सिन्हा | Updated: February 16, 2023 17:36 IST

हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल आर्लेकर को बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया गया है। गोवा से भाजपा विधायक थे और विधानसभा के अध्यक्ष के रूप में भी काम कर चुके हैं।

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ठळक मुद्देजदयू-राजद समेत अन्य दलों का महागठबंधन सत्ता में है।जुलाई, 2021 में हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया था।सरकार ने छह नए चेहरों को राज्यपाल नियुक्त और सात राज्यों में फेरबदल किया।

पटनाः बिहार की राजनीति इन दिनों बनते बिगड़ते सियासी समीकरण के बीच संभावनाओं के द्वारा अभी खुले बताये जा रहे हैं। महागठबंधन में जारी अंतर्विरोध के साथ ही अटकलों का बाजार भी गर्म होता जा रहा है। कयास लगाये जाने लगे हैं कि बिहार में एकबार फिर से सियासी करवट ले सकता है।

इसबीच नवनियुक्त राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर का आना सत्ता की लड़ाई में एक नया केंद्र बनता दिख रहा है। सियासत में अब कौन सा नया दरवाजा खुलने वाला है? इसकी चर्चा सियासी गलियारे में तेज हो गई है। नए राज्यपाल के आने को लेकर यह कयास लगाये जाने लगे हैं कि बिहार की सियासत में कोई नया खेल हो सकता है।

लोकसभा चुनाव के पहले क्या बिहार में राष्ट्रपति शासन लग सकता है या फिर नये समीकरण बनेंगे? जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के द्वारा जिस तरह से तेजस्वी यादव के खिलाफ आवाज बुलंद की जा रही है, उससे सियासी भूचाल आने की संभवना से इंकार नही किया जा सकता।

उपेन्द्र कुशवाहा के द्वारा तेजस्वी के मुख्यमंत्री बनने की स्थिति में राज्य में भयावह माहौल हो जाने की बात कहे जाने से जदयू के अंदर भी खलबली मच गई है। वहीं हाल के दिनों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के बीच जिस तरह से दूरियां दिख रही हैं, वह सरकार के भविष्य के लिए शुभ संकेत के तौर पर नही देखा जा रहा है।

मंत्रिमंडल के विस्तार को लेकर भी दोनों एक दूसरे से असहमत दिख रहे हैं। ऐसे में नये राज्यपाल के आने के बाद कोई नया फार्मूला भी सामने आ सकता है। कारण कि राज्यपाल रहे फागू चौहान और मुख्यमंत्री नीतीश के बीच आपसी सामंजस्य अच्छी हो गई थी।

जानकारों का मानना है कि बिहार में अभी राजनीतिक रूप से भरी उथल पुथल का माहौल है और सरकार बदल भी सकती है। पार्टियां टूट सकती हैं। नए दावे पेश किए जा सकते हैं। ऐसे में निर्णय करना राज्यपाल पर निर्भर करेगा। शायद यही कारण है कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने एक तेजतर्रार राजनीतिज्ञ को राज्यपाल बनाकर भेजा है।

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