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शराबबंदी को लेकर एनडीए में मतभेद, भाजपा विधायकों ने की कानून वापस लेने की मांग, जदयू ने किया पलटवार

By एस पी सिन्हा | Updated: November 25, 2021 20:31 IST

बिहार भाजपा के प्रदेश अध्‍यक्ष डा. संजय जायसवाल ने कहा कि शराबबंदी कानून को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए जांच तो जरूरी है ही, लेकिन महिलाओं के मामले में पुलिस को महिला‍ कर्मियों के साथ ही जाना चाहिए.

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ठळक मुद्देविधायक कुंदन सिंह ने शराबबंदी कानून समीक्षा की जरूरत बता दी है.बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश शराबबंदी कानून को वापस लेना चाहिए.जदयू विधान पार्षद गुलाम रसूल बलियावी ने पटलवार किया है.

पटनाः बिहार में शराबबंदी को लेकर एनडीए में मतभेद देखा जा रहा है. शराबबंदी कानून को लेकर अब सरकार अपने ही लोगों से घिरती नजर आ रही है. एक ओर भाजपा के प्रदेश अध्‍यक्ष डा. संजय जायसवाल इसकी सराहना कर रहे हैं तो उनके ही दल के विधायक इस पर सवाल खडे़ कर रहे हैं.

 

भाजपा विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल के बाद भाजपा के एक और विधायक कुंदन सिंह ने शराबबंदी कानून समीक्षा की जरूरत बता दी है. बेगूसराय से भाजपा विधायक कुंदन कुमार सिंह ने शराबबंदी कानून को पूरी तरह से फेल बताते हुए इसकी पुन: समीक्षा करने की बात कही है. उन्होंने कहा कि आज शराबबंदी कानून आने के बाद छोटे-छोटे बच्चों ने शराब की होम डिलीवरी को अपना करियर बना लिया है और कहीं ना कहीं यह लोगों की एक पीढ़ी को बर्बाद करने का काम कर रही है. कुंदन सिंह ने कहा कि एक बार निश्चित रूप से इसकी समीक्षा होनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि शराबबंदी कानून आने के बाद लोगों को अवैध धन उगाही का मौका मिला और आज वही लोग पंचायत चुनाव के माध्यम से अवैध कमाई की बदौलत जीत कर समाज की बागडोर संभालने की तैयारी कर रहे हैं. जब शराब कारोबार से जुडे़ लोग पंचायत के प्रतिनिधि होंगे, तब इस समाज का क्या होगा? यह सोचने की बात है.

विधायक ने कहा कि आज स्कूल में पढने वाले बच्चे शाम ढलते ही शराब की होम डिलीवरी में लिप्त हो जाते हैं. इतना ही नहीं शराबबंदी की वजह से आज बिहार में ड्रग्स या अन्य नशे के साजो सामान की ओर लोगों का झुकाव हुआ है. उन्होंने कहा शराबबंदी की वजह से एक तरफ जहां सरकारी राजस्व की क्षति हुई तो समाज में कई कुरीतियां भी उत्पन्न हुई और लोग अपराध के दलदल में फंसते चले गए. 

इससे पहले शराबबंदी कानून को वापस लेने के लिए भाजपा विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मांग की थी कि इस वापस लेना चाहिए. शराबबंदी को लेकर बिहार के पुलिसिया तंत्र पर सवाल खड़ा करते हुए उन्होंने कहा था कि वह बिहार के मुख्यमंत्री और हमारी छवि खराब कर रहा है. इसलिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश शराबबंदी कानून को वापस लेना चाहिए.

उन्होंने कहा था पुलिस दोषी लोगों को छोडती है और निर्दोष को पड़कती है. जिससे हमारी छवि खराब हो रही है. उन्होंने कहा था कि जिस तरह पीएम मोदी ने कृषि कानून को वापस लेने का ऐलान किया था. उसी तरह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी शराबबंदी कानून वापस ले. इसपर जदयू विधान पार्षद गुलाम रसूल बलियावी ने पटलवार किया है.

उन्होंने कहा कि कुछ लोग नशे में कुछ भी बोलते रहते हैं. ऐसे लोगों को नोटिस नहीं लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि भाजपा का बिहार नेतृत्व कानून के साथ है. बलियावी ने कहा कि हम भाजपा नेतृत्व को मानते हैं. भाजपा के विधायक शराबबंदी अभियान में शामिल थे और साथ में मद्य निषेध की शपथ ली थी. उन्होंने कहा कि भाजपा नेतृत्व जब हमारे साथ है, तो हम ऐसे लोगों का नोटिस नहीं लेते, जो नशे में हैं. 

यहां बता दें कि शराबबंदी को लेकर विपक्ष भी सरकार पर लगातार सवाल खडा कर रहा है. शराबबंदी कानून को लेकर राजनीतिक बयानबाजी चरम पर है. राजद ने इस कानून को विफल बता दिया. ऐसे में भाजपा विधायक के बयान से सरकार की छवि और भी नुकसान होगा.

अब एक बार फिर भाजपा की ओर से ही कानून की सफलता पर उंगली उठा दी गई है. ऐसे में लगता है कि शराबबंदी कानून पर सियासत अभी गर्माई रहेगी. भाजपा के प्रदेश अध्‍यक्ष ने कहा कि शराबबंदी कानून को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए जांच तो जरूरी है ही, लेकिन महिलाओं के मामले में पुलिस को महिला‍ कर्मियों के साथ ही जाना चाहिए. उन्‍होंने कहा कि शराबबंदी कानून सबके हित में है.

टॅग्स :बिहारपटनानीतीश कुमारBJPजेडीयू
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