बिहार: गोपालगंज में ओवैसी और मायावती ने कैसे रोका राजद के रथ को, दिलाई भाजपा को जीत, समझिये पूरा माजरा
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: November 6, 2022 06:05 PM2022-11-06T18:05:22+5:302022-11-06T18:16:02+5:30
गोपालगंज उपचुनाव में भाजपा की कुसुम देवी को 70,053 वोट मिले हैं, जबकि राजद के मोहन गुप्ता को महज 68,259 वोट मिले और वो कुसुम देवी से 1794 वोट से हार गये। चुनाव में राजद को हराने में ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम और मायावती की बसपा का बहुत बड़ा रोल रहा।
पटना: बिहार के गोपालगंज में हुए विधानसभा उपचुनाव में सत्ताधारी महगठबंधन के प्रमुख घटक राजद और मुख्य विपक्षी दल भाजपा के बीच जोरदार टक्कर हुई, जिसमें प्रदेश शासन की कमान संभाले राजद के प्रत्याशी मोहन गुप्ता को कांटे की लड़ाई में हराकर भाजपा की कुसुम देवी ने बाजी मार ली है।
चुनाव परिणाम आने के बाद जो स्थिति है, उसके अनुसार भाजपा की कुसुम देवी को 70,053 वोट मिले हैं, जबकि राजद के मोहन गुप्ता को महज 68,259 वोट मिले और वो कुसुम देवी से 1794 वोट से हार गये। वैसे इससे पहले साल 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में गोपालगंज सीट भाजपा के खाते में गई थी और यहां से सुभाष सिंह निर्वाचित हुए थे।
भाजपा विधाक सुभाष सिंह के आकस्मिक निधन के कारण ही गोपालगंज सीट पर उपचुनाव हुआ और भाजपा ने दिवंगत सुभाष की पत्नी कुसुम देवी को अपना प्रत्याशी बनाया था, जो चुनाव जीतने के साथ ही विधायक बन चुकी हैं।
गोपालगंज में हार और मोकामा में मिली जीत के बाद राजद की ओर से प्रतिक्रिया देते हुए उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि मोकामा और गोपालगंज की जनता को धन्यवाद देते हैं। गोपालगंज में 2020 में हम 40,000 वोटों से हारे थे इस बार भाजपा के लिए सहानुभूति होने के बाद भी हम 1,700 वोटों से हारे हैं। महागठबंधन के लोगों ने भाजपा के कोर वोटरों में सेंध मारने का काम किया है।
मोकामा और गोपालगंज की जनता को धन्यवाद देते हैं। गोपालगंज में 2020 में हम 40,000 वोटों से हारे थे इस बार भाजपा के लिए सहानुभूति होने के बाद भी हम 1,700 वोटों से हारे हैं। महागठबंधन के लोगों ने भाजपा के कोर वोटरों में सेंध मारने का काम किया है: बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादवpic.twitter.com/AJTyPaNRqh
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 6, 2022
इतना बोलने के बाद भी तेजस्वी यादव वह बात नहीं बोल सके, जो गोपालगंज में राजद के हार का मुख्य कारण बनी। दरअसल गोपालगंज में राजद को हराने में असदुद्दीन ओवैसी की बहुत बड़ी भूमिका रही। 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद बीते मार्च में तेजस्वी यादव ने ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के पांच में चार विधायकों को तोड़कर अपनी पार्टी में राजद में शामिल कर लिया था।
ओवैसी का बिहार से सीमांचल में अच्छाखासा दबदबा है क्योंकि वहां पर अल्पसंख्यक मतदाता ज्यादा हैं और राजद की उस चाल से ओवैसी का बिहार में पैर फैलाने के ख्वाब को काफी तीखा झटका लगा था। इस कारण खार खाये ओवैसी ने अपने उस जख्म की भरपाई उपचुनाव का ऐलान होते ही कर ली।
एआईएमआईएम प्रमुख ने लालू यादव की जन्मस्थली गोपालगंज से अब्दुल सलाम मुखिया को मैदान में उतार कर तेजस्वी से हिसाब चुकता कर लिया और अब्दुल सलाम मुखिया ने 12,214 वोट झटककर राजद और तेजस्वी यादव को उन्ही के किले में मात दे दी।
यहां एक बात और ध्यान देने की है, राजद की हार में लालू यादव के साले और तेजस्वी यादव के मामा साधु यादव ने भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। लालू परिवार द्वारा दूर किये जाने के बाद सत्ता की दहलीज से दूर हो चुके साधु यादव ने राजद प्रत्याशी मोहन गुप्ता के सामने बहुजन समाज पार्टी से अपनी पत्नी इंदिरा यादव को उतार दिया।
मायावती की पार्टी ने बसपा से मामी इंदिरा यादव को टिकट देकर भांजे तेजस्वी यादव के इरादों पर पूरी तरह से पानी फेर दिया क्योंकि इंदिरा देवी ने 8,854 वोट हासिल करके जीजा लालू प्रसाद यादव को चारों खाने चित कर दिया।
ऐसा इसलिए कि अगर इंदिरा देवी बसपा के टिकट से मैदान में नहीं होतीं तो बहुत हद तक उम्मीद थी कि वह वोट महागठबंधन यानी की सीधे राजद की ओर शिफ्ट होता और यही बात कमोबेश एआईएमआईएम के लिए भी लागू होती है। इस कारण देखा जाए तो राजद का रथ रोकने में भाजपा की मदद करने में एआईएमआईएम और बसपा का बहुत बड़ा रोल रहा।