बिहार में विपक्षी एकता की काट में जुटी भाजपा, एनडीए को गोलबंद करने की तैयारी, जीतन राम मांझी तेवर को लेकर सियासी गलियारे में चर्चा
By एस पी सिन्हा | Published: June 3, 2023 06:43 PM2023-06-03T18:43:07+5:302023-06-03T18:45:02+5:30
जीतन राम मांझी और उनके बेटे मंत्री संतोष सुमन ने लोकसभा की पांच सीटें मांगकर नीतीश कुमार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
पटनाः विपक्षी एकता को लेकर 12 जून को बिहार की राजधानी पटना में होने वाली महाबैठक पर देशभर की निगाहें टिकी हुई हैं। एक तरफ नीतीश कुमार भाजपा के खिलाफ मोर्चे की तैयारी कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ महागठबंधन के अंदर ही हलचल तेज है।
हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी के तेवर को लेकर सियासी गलियारे में चर्चा गर्म है कि उनका अगला कदम क्या होगा? दरअसल, जीतन राम मांझी और उनके बेटे मंत्री संतोष सुमन ने लोकसभा की पांच सीटें मांगकर नीतीश कुमार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। ऐसे में यह साफ- साफ संकेत मिलने लगे हैं कि मांझी और उनकी पार्टी महागठबंधन में खुश नहीं है।
मांझी ने अपनी नाराजगी भी खुलेआम जाहिर की है और मांग भी सामने रख दी है। वहीं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ कर बड़ा संकेत भी दिया है। चर्चा है कि भाजपा 12 जून की बैठक की चर्चा के बीच पुराने एनडीए को फिर से एक साथ लाने की कवायद में जुट गया है। मांझी के तेवर और उपेन्द्र कुशवाहा के भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलना, बिहार की सियासत के लिए बड़ा संकेत भी देने लगा है।
सूत्र बताते हैं कि भाजपा की पूरी कोशिश है कि 2015 में एनडीए का पुराना समीकरण बने और उसका स्वरूप सामने आए। उधर, विपक्षी एकता को लेकर होने वाली बैठक पर संशय के बादल मंडराने लगे हैं। यह चर्चा शुरू हो गई है कि नीतीश कुमार की बैठक में देश के कौन- कौन से दिग्गज नेता शामिल होंगे।
कांग्रेस की तरफ से राहुल गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के इस बैठक में शामिल होने को संशय गहराया हुआ है। वहीं अब आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल को लेकर भी कहा जा रहा है कि बैठक से किनारा कर सकते हैं। जिस तरह से बड़े नेताओं के बैठक से दूरी बढ़ रही है, उसे विपक्षी एकता में टूट की बात कही जा रही है।
बिहार कांग्रेस प्रदेश के प्रवक्ता असित नाथ तिवारी ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा को सत्ता से हटाने के लिए जो लोग साथ आएंगे उन्हें विपक्षी एकता का साथ ही माना जाएगा। जो लोग साथ नहीं आएंगे। वह अप्रत्यक्ष रूप से या प्रत्यक्ष रूप से भाजपा का समर्थन करने वाले कहे जाएंगे।