Bihar Assembly: बिहार पुलिस सशस्त्र विधेयक का विरोध करना विपक्षी विधायकों पर पड़ सकता है भारी, सदस्यता जाने का खतरा?, जानें 2021 में क्या हुआ था...
By एस पी सिन्हा | Published: September 7, 2024 04:07 PM2024-09-07T16:07:53+5:302024-09-07T16:08:50+5:30
Bihar Assembly: 23 मार्च 2021 को बिहार पुलिस सशस्त्र विधेयक पेश किए जाते वक्त राजद सहित तमाम विपक्षी विधायक विरोध कर रहे थे।
पटनाः बिहार विधानसभा में तत्कालीन एनडीए सरकार के द्वारा पेश किए गए बिहार पुलिस सशस्त्र विधेयक 2021 दौरान हंगामा करना विपक्षी विधायकों पर भारी पड सकता है। अगर कार्रवाई हुई तो कई राजद सहित विपक्षी विधायकों की बिहार विधानसभा की सदस्यता समाप्त हो सकती है। ऐसे में तेजस्वी यादव के लिए आने वाले दिनों में कुछ नई किस्म की मुसीबतें सामने आ सकती हैं। दरअसल, 23 मार्च 2021 को बिहार पुलिस सशस्त्र विधेयक पेश किए जाते वक्त राजद सहित तमाम विपक्षी विधायक विरोध कर रहे थे। इसी दौरान सदन के भीतर स्थिति इतनी बिगड़ गई कि सत्ता और विपक्ष के विधायक आपस में भिड़ गए। यहां तक कि विपक्षी सदस्यों पर आरोप लगा कि उन्होंने तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा को उनके कक्ष में बंद कर दिया।
सदन में हंगामा और मारपीट की स्थिति के बीच बिहार विधानसभा के इतिहास में पहली बार पुलिस बुलानी पड़ी। पुलिस द्वारा विधायकों को जबरन सदन से उठा उठाकर बाहर किया गया। इस दौरान कई सदस्यों को चोट लगने की भी खबर आई। वहीं बड़ी मुश्किल से विजय कुमार सिन्हा को भी उनके बंद कक्ष से बाहर निकाला गया।
सदन में हुए इस हंगामे और मारपीट के बाद विजय कुमार सिन्हा ने पूरे मामले की जांच के लिए आचार समिति को जांच का जिम्मा दिया। बताया गया कि जांच समिति ने अपनी जांच में कई वीडियो फुटेज के आधार पर करीब एक दर्जन विधायकों को हंगामा और मारपीट के लिए चिन्हित किया। उन विधायकों को बुलाकर समिति ने उनका पक्ष भी सुना।
पांच सदस्यीय आचार समिति में सभापति राम नारायण मंडल सहित भाजपा के तीन और जदयू- राजद के एक-एक सदस्य शामिल रहे। बताया गया कि समिति की प्रारम्भिक रिपोर्ट करीब एक साल में तैयार हुई। मार्च 2022 में उन 12 विधायकों पर कार्रवाई की अनुशंसा की भी खबरें आने लगी।
इसी बीच अगस्त 2022 में नीतीश कुमार ने चौंकाने वाला निर्णय लिया और एनडीए से अलग होकर राजद के सहयोग से सरकार बना ली। सत्ता परिवर्तन के साथ ही विधानसभा अध्यक्ष राजद के अवध बिहारी चौधरी बन गये। वहीं आचार समिति के अध्यक्ष भी राजद के भूदेव चौधरी बने। बाद में भूदेव ने मामले को समाप्त करने की अनुशंसा कर दी।
हालांकि बिहार में एक बार फिर से सत्ता परिवर्तन हो गया और इसी वर्ष जनवरी में नीतीश कुमार की फिर से एनडीए में वापसी हो गई। वहीं भाजपा के नन्द किशोर यादव विधानसभा अध्यक्ष बन गए। इसके साथ ही बंद हुए फाइल को खोलने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई।
आचार समिति के सभापति के तौर पर फिर से रामनारायण मंडल को जिम्मेदारी देने की खबर है। ऐसे में बंद हुई फाइल को फिर से खोलने की पहल के साथ ही राजद और विपक्षी दलों के विधायकों के हंगामे और मारपीट में कई विधायकों को गाज गिरने का खतरा मंडराने लगा है।