पटनाः साल 2020 में हुए बिहार विधानसभा के चुनाव में उतरे ढाई सौ से अधिक उम्मीदवारों को आयकर विभाग ने नोटिस जारी किया है. जिन लोगों को नोटिस जारी किया गया है, उनमें 68 सीटिंग विधायक भी शामिल हैं. इन लोगों के द्वारा चुनाव के दौरान संपत्ति की गलत जानकारी देने की बात पता चली है.
आयकर विभाग ने इस आधार पर नोटिस जारी किया है कि इनलोगों ने विधानसभा चुनाव के दौरान अपनी संपत्ति जितनी बताई थी वास्तव में उससे कहीं ज्यादा के वे मालिक हैं. प्राप्त जानकारी के अनुसार आयोग ने आयकर विभाग को संपत्ति की जांच करने का आदेश दिया था, जिसके बाद गलत जानकारी देने पर नोटिस माननीयों और उम्मीदवारों को भेजा गया है.
इनमें राज्य के सभी दलों के विधायक शामिल हैं. विभाग ने सभी को जवाब देने के लिए नवंबर के अंतिम सप्ताह तक का समय दिया है. समय सीमा तक जवाब नहीं देने वालों से पूछताछ भी की जा सकती है. चुनाव आयोग ने शुरुआती जांच में इस मामले में गड़बड़ी पाई थी. अब आगे की कार्रवाई करते हुए आयोग ने आयकर विभाग से मदद मांगी है.
बताया जा रहा है कि जांच की प्रक्रिया बहुत आगे भी बढ़ सकती हैं. सही जवाब नहीं मिलता है तो आयकर विभाग आगे कानूनी कार्रवाई कर सकता है. चुनाव आयोग और उसके बाद आयकर विभाग के द्वारा अपने स्तर से जांच में कई तरीके अपनाए गए हैं. कई लोगों ने अपना पैन कार्ड तक नहीं दिया है. जिसे लेकर भी पूछताछ हो सकती है.
बताया जाता है कि संपत्ति का ब्योरा गलत देने के मामले में गड़बड़ी की मात्रा, तरीके और इसकी गंभीरता के हिसाब से आगे की कार्रवाई की जाएगी. शुरुआती जांच में कई तरह की गड़बड़ियां सामने आई हैं. ज्यादातर मामले संपत्ति का गलत ब्योरा देने से संबंधित बताए जाते हैं. अर्थात इन लोगों ने चुनाव आयोग से अपनी संपत्ति छुपाई है.
यहां बता दें कि पिछले साल नवंबर महीने में बिहार विधानसभा चुनाव संपन्न हुए थे. इस दौरान चुनाव में हाथ आजमाने वाले सभी उम्मीदवारों ने अपनी संपत्ति का ब्योरा दिया था. चुनाव के बाद जीते और भाग्य आजमाने वाले सभी की संपत्तियों की जांच का आदेश चुनाव आयोग ने आयकर विभाग को दिया था. जांच के दौरान जिनकी जानकारी गलत पाई गई, उन्हें आयकर विभाग ने नोटिस भेजा है.
अब विधायकों और विधानसभा चुनाव के उम्मीदवारों से घोषणापत्र में दी गई जानकारी गलत होने का कारण पूछा गया है. कई उम्मीदवारों ने हलफनामे में अपनी कई चल-अचल संपत्ति की चर्चा नहीं की, जबकि कुछ ने आयकर रिटर्न में अपनी जिन संपत्तियों को बताया, उसे अपने हलफनामे में दर्ज नहीं किया. ऐसा करने वालों से आयकर विभाग पूछताछ कर सकता है, उनसे इसकी वजह पूछी जाएगी.