पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव में इसबार आधी आबादी निर्णायक भूमिका में दिख रही हैं. कारण कि चुनाव में अपने मुद्दों को लेकर आवाज उठाने वाली आधी आबादी का जोर भी इस बार बढ़ा है.
नई महिला मतदाताओं की संख्या में इजाफा हुआ है. जिलों में कहीं 30 हजार तो कहीं 40 हजार से अधिक नई महिला मतदाता बनीं हैं, जिनके रूख से चुनाव परिणाम पर पड़ा असर दिखेगा. महिलाओं को कम सीट देने वाले दलों को इसका खामियाजा उठाना पड़ सकता है. प्राप्त जानकारी के अनुसार इनकी संख्या में यह इजाफा गत एक साल में सामने आया है और कुछेक जिलों में बढ़ोतरी 40 हजार भी पार कर गई.
समस्तीपुर जिले में ही 48 हजार वृद्धि दर्ज की गई है. जबकि मुजफ्फरपुर, पश्चिम चम्पारण, पूर्वी चंपारण, वैशाली, सीतामढ़ी, दरभंगा समेत विभिन्न जिले की ये नई महिला मतदाता खासा भूमिका के साथ चुनाव की सूरत भी बदलेंगी. शहरी इलाकों के विधानसभा क्षेत्रों में अपेक्षाकृत अधिक महिलाओं की संख्या बढ़ी है.
जिलों में महिलाएं समूह बनाकर अपने मुद्दों को उठाने के लिए अभियान चला रही हैं. विधान सभा में भी वो अपनी संख्या में वृद्धि चाह रही हैं. इतना ही नहीं, महिलाएं दलों के घोषणा पत्र में महिला सुरक्षा और आर्थिक संवर्द्धन जैसे मुद्दों को भी शामिल कराने की मांग उठा रही हैं.
अपनी आवाज को पुरजोर तरीके से उठाने के पीछे भी उन्हें मिला खास मनोबल है. आंकडे बताते हैं कि पुरुषों की अपेक्षा पिछले चुनावों में महिला मतदान का भी प्रतिशत बढ़ा है. इसतरह से महिलाएं मजबूती से अपना पक्ष रख रही हैं. यहां उल्लेखनीय है कि 2019 में मुजफ्फरपुर जिले में महिला वोटर की संख्या 14 लाख 53 हजार थी, जो इस बार बढ़कर 14 लाख 87 हजार हो गई है.
पश्चिम चम्पारण में 11 लाख 52 हजार 726 पर इस बार आंकडा है. पिछले साल यह 11 लाख 21 हजार 208 था. पूर्वी चम्पारण में 15 लाख 59 हजार महिला मतदाता इस बार हैं, जो पिछले साल यह 15 लाख 26 हजार था. उसीतरह से सीतामढी में 10 लाख 72 हजार था, जो इस बार 11 लाख नौ हजार 668 पर पहुंच गया है.
दरभंगा में 12 लाख 66 हजार 164 का आंकडा 12 लाख 88 हजार 958 पर पहुंच गया है. वैशाली में 11 लाख 6 हजार 895 का आंकडा 11 लाख 13 हजार 482 पर पहुंच गया है. समस्तीपुर में गत वर्ष 12 लाख 93 हजार पर आंकड़ा था, जो इस बार 13 लाख 41 हजार 167 पर आ गया है.
यह महज कुछ जिलों का आंकड़ा है. पूरे बिहार में इसी अनुपात में महिला मतदाताओं की संख्या में ईजाफा हुआ है. इससे यह तय माना जा रहा है कि आधी आबादी इसबार निर्णायक भूमिका में आकर सरकार बनाने और समीकरण को बिगाड़ने की स्थिती में आ गई हैं.