राघोपुर विधानसभा क्षेत्रः राजद नेता तेजस्वी यादव मैदान में, भाजपा ने सतीश कुमार और लोजपा के टिकट पर राकेश रोशन दे रहे टक्कर, जानिए आंकड़े
By एस पी सिन्हा | Published: October 30, 2020 09:13 PM2020-10-30T21:13:34+5:302020-10-30T21:13:34+5:30
बिहार चुनावः सबसे हॉट सीट राघोपुर विधानसभा से बिहार में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार व पूर्व उप-मुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव मैदान में हैं. वहीं भाजपा ने अपने पुराने प्रत्याशी सतीश कुमार यादव को इस सीट से उतारा है. लोजपा के टिकट पर राकेश रोशन यहां से चुनावी मैदान में हैं.
पटनाः बिहार में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. सभी राजनीतिक दलों ने अपने उम्मीदवार दूसरे चरण की सभी सीटों पर उतार दिए हैं. दूसरे चरण में 94 विधानसभा क्षेत्रों में तीन नवंबर को मतदान होना है.
राज्य की सबसे हॉट सीट राघोपुर विधानसभा से बिहार में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार व पूर्व उप-मुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव मैदान में हैं. वहीं भाजपा ने अपने पुराने प्रत्याशी सतीश कुमार यादव को इस सीट से उतारा है. लोजपा के टिकट पर राकेश रोशन यहां से चुनावी मैदान में हैं.
राघोपुर विधानसभा सीट पर अभी तक 20 बार विधानसभा और विधानसभा उपचुनाव हो चुके हैं. इस सीट पर लालू परिवार का दबदबा रहा है. वहीं, कांग्रेस की बात करें तो इस सीट पर आखिरी बार कांग्रेस उम्मीदवार को 1972 में जीत हासिल हुई थी, जिसके बाद से आज तक इस सीट पर कांग्रेस को जीत नहीं मिल सकी है.
उदय नरायण राय ने तीन अलग अलग पार्टियों से यहां से विधानसभा चुनाव लडे़ और जीत हासिल
वहीं उदय नरायण राय ने तीन अलग अलग पार्टियों से यहां से विधानसभा चुनाव लडे़ और जीत हासिल की. उदय नारायण राय वहीं नेता थे जिन्होंने 1995 में अपनी ये सीट लालू यादव को सौंप दी थी और उन्हें यहां से चुनाव लड़ने को कहा था. इसके बाद करीब डेढ़ दशक से भी ज्यादा समय से इस सीट पर लालू यादव और उनके परिवार का दबदबा रहा है.
राघोपुर सीट से पहली बार 1995 में लालू यादव ने किस्मत आजमाया. उनके लिए तत्कालीन सीटिंग विधायक उदय नारायण राय ने सीट छोड़ी थी. उसके बाद वहां से लालू यादव दो बार 1995 और 2000 में विधायक चुने गए. 2005 में उनकी सियासी विरासत पत्नी राबड़ी देवी ने संभाला, लेकिन 2010 के चुनाव में राबड़ी देवी को जदयू के सतीश यादव से मुंह की खानी पड़ी.
सतीश कुमार यादव ने विद्रोह का बिगुल फूंकते हुए भाजपा का दामन थाम लिया
राबड़ा देवी यहां से फरवरी 2005 और अक्टूबर 2005 में जीत दर्ज कर चुकी हैं. इसके बाद 2015 में जब लालू यादव और नीतीश कुमार का मिलन हुआ, तब इस सीट से लालू यादव के छोटे लाल तेजस्वी यादव की सफल लॉन्चिंग कराई गई. उस वक्त जदयू के सीटिंग विधायक सतीश कुमार यादव ने विद्रोह का बिगुल फूंकते हुए भाजपा का दामन थाम लिया था.
इस बार यहां का चुनाव इस बार रोचक रहने वाला है क्योंकि जदयू और भाजपा दोनों हर हाल में तेजस्वी यादव को हार का स्वाद चखाना चाहते हैं. 2015 के विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव ने भाजपा के सतीश कुमार को 22,733 वोट से हराया था.
वैशाली जिले के हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र के तहत पड़ता
राघोपुर सीट यादव बहुल इलाका है. यह वैशाली जिले के हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र के तहत पड़ता है, इस विधानसभा सीट के अंदर दो ब्लॉक (राघोपुर और बिदुपुर) आता है. यादवों के अलावा राजपूतों की भी यहां अच्छी आबादी है. राजद के दिवंगत नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह का भी इस इलाके में अच्छा खासा प्रभाव रहा है. 1972 और उससे पहले इस सीट पर कांग्रेस की जीत होती रही थी, लेकिन 1977 में यहां से जनता पार्टी के बाबूलाल शास्त्री ने कांग्रेस की जीत का सिलसिला खत्म कर दिया.
इसके बाद उदय नारायण राय 1980 से 1995 तक लगातार तीन बार विधायक चुने गए. वो पहले जनता पार्टी फिर जनता दल के टिकट पर चुने जाते रहे. बाद में वो राजद में शामिल हुए और लालू-राबड़ी सरकार में मंत्री भी रहे, लेकिन पिछले महीने उन्होंने अपनी उपेक्षा से नाराज होकर राजद छोड़ दी. उनके समर्थक इलाके में तेजस्वी का विरोध कर रहे हैं.
2015 में तेजस्वी यादव को यहां 48.15 फीसदी वोट मिले
इस लिहाज से यहां चुनावी लडाई रोचक हो गई है. 2015 में तेजस्वी यादव को यहां 48.15 फीसदी वोट मिले थे. उन्हें कुल 91, 236 मत मिले थे, जबकि उनके प्रतिद्वंदी भाजपा के सीतश यादव ने 37 फीसदी वोटों के साथ 68,503 वोट हासिल किए थे. यहीं से राजनीति में प्रवेश लेकर तेजस्वी सीधे राज्य के उप मुख्यमंत्री बने थे.
राघोपुर विधानसभा सीट पर पांच चुनावों में पांच-पांच बार कांग्रेस और राजद, दो-दो बार जनता दल और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी और एक-एक बार जदयू, लोकदल, जनता पार्टी (सेक्युलर), जनता पार्टी, जनसंघ, और सोशलिस्ट पार्टी को जीत मिली है. पिछले छह में से पांच चुनाव में यहां राजद को जीत मिली है. भाजपा इस सीट पर अब तक अपना खाता खोलने में सफल नहीं हो पाई है.
लालू परिवार का गढ मानी जाने वाली इस सीट पर करीब 30 प्रतिशत यादव मतदाता हैं. इसके साथ ही भूमिहार और पासवान मतदाताओं की संख्या भी अच्छी है. 1995 के बाद ये सीट लालू परिवार की परंपरागत सीट रही है. सिर्फ 2010 के विधानभा चुनाव में राबड़ी देवी को यहां से हार का सामना करना पड़ा था. यहां मतदाताओं की संख्या 3.37 लाख है. जिसमें पुरुष मतदाता 1.83 लाख है, अर्थात 54.30 फीसदी. वही, महिला मतदाताओं की संख्या 1.54 लाख है, जो 45.6 फीसदी है. जबकि ट्रांसजेंडर मतदाता मात्र 4 है.