बिहार सहित उप चुनावों में कांग्रेस नहीं कर सकी कोई कमाल, नेतृत्व पर फिर उठे सवाल
By शीलेष शर्मा | Published: November 10, 2020 06:44 PM2020-11-10T18:44:12+5:302020-11-10T18:45:33+5:30
राजग और महा गठबंधन के प्रत्याशियों के बीच मतों का अंतर 1000 से काम है , वहीँ 33 ऐसी सीटें हैं जहाँ यह अंतर 2000 से काम है। ऐसी स्थिति में परिणाम कुछ भी हो सकता है और तस्वीर पूरी तरह बदल सकती है।
नई दिल्लीः बिहार विधानसभा चुनाव परिणामों में तेजी से बदलते आंकड़ों के बावजूद महागठबंधन हार स्वीकार को तैयार नहीं है। महागठबंधन को अभी भी उम्मीद है कि अंतिम चुनाव परिणाम आने तक तस्वीर बदलेगी।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शकील अहमद की दलील थी कि शाम 6 बजे तक 17 ऐसी सीटें हैं जहाँ राजग और महा गठबंधन के प्रत्याशियों के बीच मतों का अंतर 1000 से काम है , वहीँ 33 ऐसी सीटें हैं जहाँ यह अंतर 2000 से काम है। ऐसी स्थिति में परिणाम कुछ भी हो सकता है और तस्वीर पूरी तरह बदल सकती है।
लेकिन कांग्रेस को बिहार सहित देश भर के उप-चुनावों में भारी शिकस्त मिली है, जिसके कारण पार्टी के नेता खासे चिंतित हैं। मध्य प्रदेश में जहाँ कमलनाथ और दिग्विजय बड़े बड़े दावे कर रहे थे वहां पार्टी हाशिये पर कड़ी हो गयी।
गुजरात में प्रदेश अध्यक्ष बदलने के बावजूद कांग्रेस कोई बदलाव नहीं कर सकी। उत्तर प्रदेश जहाँ कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी योगी के खिलाफ हर रोज़ हमला बोल रहीं थी वहां कांग्रेस को महज 8 फीसदी मतों पर संतोष करना पद रहा है। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि उत्तर प्रदेश में कुछ ही समय बाद विशान सभा के चुनाव होने हैं।
प्रदेश में सपा और बसपा कांग्रेस से कहीं बेहतर प्रदर्शन करने में कामयाब रहे हैं। बसपा को कल तक चुकी हुई पार्टी समझा जा रहा था , वह भी लगभग 18 फीसदी मत कामयाब हुई है जबकि सपा 25 फीसदी से अधिक मत हासिल कर चुकी है।
बारी बारी से चुनावों में पराजय का मुँह देखने वाली कांग्रेस और उसके नेता नहीं समझ पा रहे हैं कि उनकी रणनीति में चूक कहाँ हो रही है। बिहार में 2015 के चुनाव में 27 सीटें हासिल करने वाली कांग्रेस फिलहाल 20 -21 पर सिमटती नज़र आ रही है।
चुनाव के यह परिणाम उस समय आये हैं जब कांग्रेस राहुल गाँधी को फिर से अध्यक्ष बनाने की क़बायत में जुटी है। पार्टी के एक बड़े नेता में बिना अपने नाम का उल्लेख किये टिप्पणी की कि राहुल के नेतृत्व में पार्टी लगातार चुनाव हार रही है।
राजस्थान और पंजाब में अशोक गेहलोत , सचिन पायलट और कैप्टन अमरिंदर सिंह के कारण सत्ता में आयी थी, जबकि मध्य प्रदेश में माहौल सत्तारुढ़ दल के खिलाफ था , जिसके कारण कांग्रेस सत्ता के निकट पहुंची। पार्टी के इस नेता ने जोर देते हुए कहा कि जब तक सही मंथन और ज़मीन पर पार्टी काम नहीं करती तब तक कोई चुनाव जीतना कांग्रेस के लिए महज़ कल्पना है।