बिहार: NDA में सीट बंटवारे के बाद अब महागठबंधन में खटपट, RJD ने कांग्रेस से मांगा बराबरी का दर्जा

By एस पी सिन्हा | Updated: October 28, 2018 20:13 IST2018-10-28T20:12:02+5:302018-10-28T20:13:20+5:30

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2014 के लोस चुनाव में राजद ने कांग्रेस व एनसीपी के साथ गठबंधन के तहत 27 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। इनमें से चार सीटों अररिया, मधेपुरा, भागलपुर व बांका में ही जीत मिली थी।

Bihar: after NDA seat division, RJD demands Equal seats from Congress | बिहार: NDA में सीट बंटवारे के बाद अब महागठबंधन में खटपट, RJD ने कांग्रेस से मांगा बराबरी का दर्जा

बिहार: NDA में सीट बंटवारे के बाद अब महागठबंधन में खटपट, RJD ने कांग्रेस से मांगा बराबरी का दर्जा

आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार में सीटों के बंटवारे को लेकर राजग में बन रही सहमति के बाद अब महागठबंधन(राजद-कांग्रेस) में भी सीट बंटवारे के साथ ही राजद में टिकट बंटवारे की तैयारी भी चल रही है। पार्टी आलाकमान टिकट बांटने में क्षेत्रवार उम्मीदवार की सामाजिक, राजनीतिक व जातीय हैसियत को परखने के साथ ही वर्ष 2014 के लोस चुनाव में मिले उनके वोट व हार-जीत के अंतर का भी अध्ययन कर रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2014 के लोस चुनाव में राजद ने कांग्रेस व एनसीपी के साथ गठबंधन के तहत 27 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। इनमें से चार सीटों अररिया, मधेपुरा, भागलपुर व बांका में ही जीत मिली थी।

 इसमें भागलपुर व बांका में जीत का अंतर दस हजार वोटों का रहा। पार्टी को 23 सीटों पर हार मिली थी, इनमें नौ उम्मीदवार एक लाख से अधिक वोट जबकि छह उम्मीदवारों को 50 हजार से कम वोटों के अंतर से हार मिली थी।

सबसे अधिक 1.92 लाख वोट से पूर्वी चंपारण के विनोद श्रीवास्तव हारे, जबकि सीतामढी के सीताराम यादव को 1.48 लाख, नवादा के राजवल्लभ प्रसाद को 1.40 लाख एवं शिवहर के मो अनावरूल हक व आरा के श्रीभगवान सिंह कुशवाहा को 1.36 लाख वोटों के अंतर से हार मिली। 

दो सीटों पश्चिम  चंपारण व मुंगेर में पार्टी तीसरे स्थान पर रही। पश्चिम चंपारण से रघुनाथ झा को जबकि मुंगेर से प्रगति मेहता को टिकट मिला था। ऐसे में राजद कें अंदर यह मंथन चलने लगा है कि इनमें से किसे अगले लोकसभा चुनाव के दंगल में उतारा जाये?

वहीं, एनडीए के बीच सीटों के बंटवारे का फॉर्मूला तय होते ही भाजपा सांसदों में सबसे अधिक बेचैनी देखी जा रही है। यह तय हो गया है कि भाजपा के मौजूदा सांसदों में से ही आधे दर्जन बे-टिकट हो सकते हैं। जबकि चुनाव लडने वालों में भी कम से कम दर्जनभर को टिकट नहीं मिलेगा। कौन बे-टिकट होगा, कौन चुनावी मैदान में दिखेगा, इस सवाल से भाजपा नेता जूझ रहे हैं।

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा 30 सीटों पर लडी थी। उसे 22 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। अब जबकि जदयू-भाजपा के बीच बराबर-बराबर सीटों पर चुनाव लडने का ऐलान हो चुका है। इस लिहाज से देखें तो मौजूदा कुछ सांसद का टिकट कटना तय है। पिछली बार चुनाव में किस्मत आजमाने वालों की बात करें तो बे-टिकट होने वालों की संख्या दर्जन भर हो जाएगी।

ऐसे में उन लोकसभा क्षेत्र के भाजपा नेताओं में अधिक बेचैनी बढी हुई है, जो जदयू के गढ माने जाते रहे हैं। माना जा रहा है कि अपनी परम्परागत सीटों पर जदयू दावा कर सकता है। राजनीतिक गलियारे में चल रही चर्चाओं पर गर गौर करें तो बे-टिकट करने के लिए भाजपा कुछ फॉर्मूला पर काम करेगी। मौजूदा सांसदों में से कुछ को पार्टी ने पहले से ही किनारा करने का मन बना लिया है।

इसमें दो ऐसे नेता हैं जो पहले से पार्टी विरोधी तेवर अपनाए हुए हैं। इसके अलावा कुछ मामलों में पार्टी का फीडबैक भी आधार बनेगा। मौजूदा सांसदों के कामकाज पर एक आंतरिक सर्वे किया गया है। इसके आधार पर की गई ग्रेडिंग में जो फिट नहीं बैठेंगे, उन्हें टिकट नहीं मिलेगा।

सूत्रों के अनुसार जीत सुनिश्चित करने के लिए एनडीए इस रणनीति पर काम कर रहा है कि जिस प्रत्याशी की जीत की संभावना अधिक है, उन्हें ही टिकट दिया जाए। अगर संभावित जिताऊ उम्मीदवार किसी एक दल में हैं और सीट किसी दूसरे दल को मिला है तो उम्मीदवार के साथ ही संबंधित दल को लोकसभा सीट दे दी जाएगी।

अर्थात जदयू-भाजपा आपस में प्रत्याशियों की अदला-बदली भी कर सकते हैं। इससे बे-टिकट होने के बाद असंतुष्टों की संख्या कम की जा सकेगी। वहीं कुछ बे-टिकट होने वालों को पार्टी राज्यसभा या अन्य जिम्मेवारी देकर भी शांत करने की कोशिश की जा सकती है।

यहां बता दें कि बिहार में भाजपा के अभी इन सीटों पर हैं सांसद हैं- पाटलिपुत्र, पटना साहिब, आरा, औरंगाबाद, बेगूसराय, बक्सर, दरभंगा, गया, गोपालगंज, झंझारपुर, मधुबनी, महाराजगंज, मुजफ्फरपुर, नवादा, पश्चिम चम्पारण, पूर्वी चम्पारण, सारण, सासाराम, शिवहर, सीवान, उजियारपुर व वाल्मीकिनगर। जबकि लोजपा के पास हाजीपुर, समस्तीपुर, खगडिया, जमुई, वैशाली और मुंगेर। वहीं, रालोसपा के पास जहानाबाद, सीतामढी और काराकाट सीट पर कब्जा है। इसमें जहानाबाद से चुनाव जीते अरूण कुमार ने रालोसपा से नाता तोड कर अपना अलग दल बना लिया है।

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