भोपाल गैस त्रासदी- दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी, 38 साल बाद भी पीड़ितों को नहीं मिला इंसाफ

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 2, 2022 03:03 PM2022-12-02T15:03:37+5:302022-12-02T15:03:37+5:30

दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक दुर्घटना भोपाल गैस त्रासदी को आज 38 साल पूरे हो चुके हैं, इस त्रासदी में लगभग16,000 लोगों की जान गई थी.

Bhopal Gas Tragedy:World's biggest industrial tragedy, even after 38 years the victims did not get justice | भोपाल गैस त्रासदी- दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी, 38 साल बाद भी पीड़ितों को नहीं मिला इंसाफ

भोपाल गैस त्रासदी- दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी, 38 साल बाद भी पीड़ितों को नहीं मिला इंसाफ

Highlightsभोपाल गैस त्रासदी को हुए 38 साल पूरे लगभग 16 हजार लोगों की गईं थी जान, 5 लाख से ज्यादा लोग हुए थे प्रभावित38 साल बाद भी पीड़ितों को मुआवजे और इंसाफ की आस

भोपाल: साल 1984, दो और तीन दिसंबर की रात जिसे आज तक भारत के इतिहास में देश की सबसे काली रातों में से एक माना जाता है। इस रात मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में गैस त्रासदी हुई थी, आकड़ों की माने तो 3400 लोगों से अधिक लोगों की मौत हुई थी  और गैर सरकारी आकड़ों के हिसाब से 12,000 से 15,000 तक मौत इस हादसे में बताई जाती है।

भोपाल गैस त्रासदी, दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे भयावह औद्योगिक दुर्घटना मानी जाती है।  इस घटना को आज 38 बीत चुके हैं  लेकिन फिर भी त्रासदी का असर लोगों की अगली पीढ़ियों तक को कई बीमारी के रूप में  भुगतना पड़ रहा है।

क्या हुआ था भोपाल त्रासदी में

2 दिसंबर की रात मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में  यूनियन कार्बाइड कीटनाशक फैक्ट्री  में लगभग 45 टन खतरनाक मिथाइल आइसोसाइनेट गैस का रिसाव हुआ, जिसने पूरे भोपाल की हवा को जहरीला बना दिया था। यह गैस इतनी जहरीली थी  कि कई लोग घर में सोते हुए ही खत्म हो गए थे। हजारों लोग जान बचाने के लिए  अपने -अपने घर से निकल कर भाग रहे थे। सड़को पर लाशों का अंबार लगा था।

इस गैस का असर इतना भयंकर था कि 12 हजार से ज्यादा लोग मर गए और  इसके संपर्क में आए करीब पांच लाख लोग जीवित तो बच गए लेकिन सांस की समस्या, आंखों में जलन और यहां तक की अंधापन तक की समस्या हो गई। इस जहरीली गैस के संपर्क में आने के चलते गर्भवती महिलाओं पर भी इसका असर पड़ा और बच्चों में जन्मजात बीमारियां होने लगी।

कौन था इस हादसे का जिम्मेदार 

'यूनियन कार्बाइड' यह औद्योगिक संयंत्र अमेरिकी फर्म यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन की भारतीय सहायक कंपनी का था। यूनियन कार्बाइड कार्पोरेशन के अध्‍यक्ष वारेन एंडरसन इस त्रासदी के मुख्‍य आरोपी थे।  गैस से हुईं हजारों मौतों को लेकर हनुमानगंज पुलिस ने धारा 304, 304ए, 284, 120 बी, 278, 429, 436 और 92 फैक्टरी एक्ट के तहत यूनियन कार्बाइड यूएसए के चेयरमैन वारेन एम एंडरसन, अध्यक्ष केशव महिंद्रा, एमडी विजय गोखले समेत यूका के तत्कालीन भोपाल में पदस्थ अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था।

1 फरवरी 1992 को भोपाल की कोर्ट ने एंडरसन को फरार घोषित कर दिया।  इसके बाद अदालत ने एंडरसन के खिलाफ 1992 और 2009 में दो बार गैर-जमानती वारंट भी जारी किया, मगर उसकी गिरफ्तारी नहीं हो सकी। सितंबर, 2014 में एंडरसन की स्‍वाभाविक मौत हो गई और उसे कभी इस मामले में सजा नहीं भुगतनी पड़ी।

470 मिल‍ियन डॉलर का मुआवजा

हादसे के बाद यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन ने 470 मिलियन अमेरिकी डॉलर का मुआवजा दिया। हालांकि और पीड़ितों ने  ज्‍यादा मुआवजे की मांग की है । न्याय और मुआवजे की तलाश के लिए कानूनी लड़ाई अभी भी जारी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस साल सितंबर में केंद्र से अतिरिक्त मुआवजे पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा था।

रिपोर्टों के अनुसार, जवाब में, केंद्र ने प्रस्तुत किया है कि वह गैस त्रासदी के पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए यूएस-आधारित यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन (UCC) की उत्तराधिकारी फर्मों से अतिरिक्त धन के रूप में 7,844 करोड़ रुपये की मांग करने वाली अपनी उपचारात्मक याचिका को आगे बढ़ाएगा। मामले की सुनवाई अब 10 जनवरी, 2023 को होगी।

Web Title: Bhopal Gas Tragedy:World's biggest industrial tragedy, even after 38 years the victims did not get justice

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