बेगूसराय लोकसभा सीट: कभी वामपंथ के लेनिनग्राद के रूप में चर्चित था, अब यहां खिलने लगा है कमल

By एस पी सिन्हा | Published: March 4, 2024 03:26 PM2024-03-04T15:26:21+5:302024-03-04T15:28:54+5:30

Begusarai lok sabha constituency: बेगूसराय सीट पर भूमिहारों की संख्या करीब 4.75 लाख है। भूमिहार के अलावा यादव और अल्पसंख्यक वोट छोड़कर बाकी पिछड़ी जातियों ने गिरिराज सिंह का समर्थन किया। बेगूसराय सीट पर कुर्मी-कुशवाहा जाति के लोगों की संख्या 2 लाख के करीब है।

Begusarai lok sabha constituency Once known as Leningrad of Left Now it is BJP's stronghold Giriraj Singh | बेगूसराय लोकसभा सीट: कभी वामपंथ के लेनिनग्राद के रूप में चर्चित था, अब यहां खिलने लगा है कमल

1870 ई. में बेगुसराय को मुंगेर के एक अनुमंडल के रूप में स्थापित किया गया था, 1972 ई. में इसे जिले की मान्यता मिली थी

Highlightsबिहार में लेनिनग्राद के रूप में चर्चित बेगूसराय को वामपंथ के मिनी मास्को के रूप में भी जाना जाता था1972 ई. में इसे जिले की मान्यता मिली थीदिनकर की इस भूमि में पहली बार 1952 में लोकसभा चुनाव हुए थे

Begusarai lok sabha constituency:  बिहार में लेनिनग्राद के रूप में चर्चित बेगूसराय को वामपंथ के मिनी मास्को के रूप में भी जाना जाता था। लेकिन वामपंथ के सिकुड़ते दायरे के कारण अब यहां की तस्वीर बदल चुकी है। वैसे बेगूसराय जिला का इतिहास काफी पुराना है। 1870 ई. में बेगुसराय को मुंगेर के एक अनुमंडल के रूप में स्थापित किया गया था। 1972 ई. में इसे जिले की मान्यता मिली थी। गंगा किनारे बसा यह शहर भागलपुर के नवाब की बेगम को बड़ा पसंद था। वह हर साल यहां आकर एक महीने रहती थीं। बेगम की सराय होने के कारण ही इसका नाम बेगूसराय पड़ा। 

दिनकर की इस भूमि में पहली बार 1952 में लोकसभा चुनाव हुए थे। यह क्षेत्र राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जन्मस्थली है। लेकिन 2009 से पहले दो लोकसभा सीट हुआ करता था। 1977 में बलिया लोकसभा बना था। बलिया से पहली बार जनता पार्टी की टिकट पर रामजीवन सिंह चुने गए थे। उस वक्त बलिया लोकसभा सीट के अन्तर्गत बलिया विधानसभा (जो की अभी साहेबपुर कमाल विधानसभा है), बरौनी (अब तेघड़ा विधानसभा है), बछवाड़ा, बखरी, चेरियाबरियारपुर और अलौली विधानसभा (खगड़िया जिला का विधानसभा) शामिल था। 1952 से लेकर 2019 तक हुए 17 बार के हुए लोकसभा चुनाव में सात बार कांग्रेस उम्मीदवार ने पार्टी का परचम लहराया है। वहीं भाकपा उम्मीदवार ने 2 बार जीत दर्ज की।  

2004 में संसदीय क्षेत्र के रूप में बेगूसराय वजूद में आया। यहां से पहली बार जदयू के ललन सिंह चुनाव जीते। 2009 में जदयू के मोनाजिर हसन लोकसभा पहुंचे। बेगूसराय के चुनावी इतिहास में यहां पहली बार 2014 में भाजपा के दिवंगत नेता भोला सिंह ने कमल खिलाया। इसके बाद 2019 मे भाकपा के कन्हैया कुमार से मुकाबला करने के लिए भाजपा ने अपने फायरब्रांड नेता गिरिराज सिंह को नवादा से यहां भेजा था। शुरुआत में गिरिराज ने इसका विरोध किया था, लेकिन अमित शाह से मुलाकात करने के बाद वह शांत हुए और पूरे जोर शोर से चुनावी प्रचार में जुट गए थे। उस चुनाव में उन्हें 9,92,193 वोट हासिल हुए थे। वहीं कन्हैया कुमार को 2,69,976 लोगों ने वोट किया था। इस तरह से चुनावी नतीजों में गिरिराज सिंह ने कन्हैया कुमार को 422217 वोटों से शिकस्त दी थी। तीसरे नंबर पर रहे तनवीर हसन को 198233 वोट मिले। कन्हैया कुमार के मुकाबले में होने की वजह से कहा जा रहा था कि भूमिहार वोटों के बंटने की वजह से गिरिराज सिंह को नुकसान होगा। कन्हैया और गिरिराज सिंह दोनों इसी समुदाय से आते हैं। लेकिन भूमिहार वोटर्स को कन्हैया कुमार अपने पाले में खींचने में नाकाम रहे। 

बेगूसराय सीट पर भूमिहारों की संख्या करीब 4.75 लाख है। भूमिहार के अलावा यादव और अल्पसंख्यक वोट छोड़कर बाकी पिछड़ी जातियों ने गिरिराज सिंह का समर्थन किया। बेगूसराय सीट पर कुर्मी-कुशवाहा जाति के लोगों की संख्या 2 लाख के करीब है। इसके साथ ही भूमिहार, ब्राह्मण और कायस्थ जातियों में मोदी लहर का होना गिरिराज सिंह के लिए काम कर गया। गिरिराज सिंह के सामने दो मजबूत उम्मीदवारों का होना उनके पक्ष में गया। भाकपा के कन्हैया कुमार और राजद के तनवीर हसन, दो ताकतवर उम्मीदवारों के बीच वोट बंटने का फायदा गिरिराज सिंह को मिला। बेगूसराय सीट पर अल्पसंख्यक की संख्या करीब 2.5 लाख है, वहीं यादव बिरादरी की आबादी करीब 1.5 लाख है। कुल मिलाकर 4 लाख की आबादी वाले इन दोनों समुदाय के वोट कन्हैया कुमार और तनवीर हसन के बीच बंट गए। कुल मतदाता- 17, 78, 759 हैं। इसमें महिला- 8, 28, 874, पुरुष- 9, 49, 825 हैं। जबकि थर्ड जेंडर- 60 हजार है।

मूलरूप से यह लोकसभा क्षेत्र कृषि व पशुपालन पर आधारित है। हालांकि यहां बरौनी रिफाइनरी, थर्मल, फर्टिलाइजर आदि का कारखाना भी है। वर्षों पूर्व यहां कई छोटे-बड़े उद्योग भी थे। जो धीरे-धीरे बंद हो गए। विधान सभाएं और वर्चस्व यहां कुल सात विधानसभा क्षेत्र हैं। बेगूसराय, मटिहानी, बछवाड़ा, तेघड़ा, चेरिया बरियारपुर, साहेबपुर कमाल और बखरी सुरक्षित। विकास का हाल यहां बरौनी रिफाइनरी के शोधन क्षमता को बढ़ाने और फर्टिलाइजर कारखाना को पुनर्स्थापित किया गया है। गंगा नदी पर सिमरिया के समीप सिक्स लेन पुल, सिमरिया से खगडिय़ा तक फोरलेन का निर्माण जोरों पर है। गढ़हरा यार्ड की खाली पड़ी जमीन पर रेल कारखाना खोलने, बरौनी-हसनपुर रेल लाइन बनाने, पेट्रोकेमिकल्स, फूड प्रोसेसिंगप्लांट और दिनकर विश्वविद्यालय बनाने की मांग प्रमुख मुद्दे हैं। इस क्षेत्र की मुख्य नदियां बूढ़ी गंडक, बलान, बैंती, बाया और चंद्रभागा हैं। एशिया की सबसे बड़ी मीठे जल की झीलों में से एक कावर झील इसी इलाके में है। इस क्षेत्र में इण्डियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड का बरौनी तेल शोधक कारखाना, बरौनी थर्मल पावर स्टेशन और हिंदुस्तान फर्टिलाइजर लिमिटेड आदि कारखाने प्रमुख हैं।

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