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अयोध्या विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने पूछा-भूमि विवाद में जन्म स्थान को कैसे पक्षकार बनाया जा सकता है

By स्वाति सिंह | Updated: August 8, 2019 16:08 IST

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उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में एक पक्षकार ‘राम लला विराजमान’ से जानना चाहा कि देवता के जन्मस्थान को इस मामले में दावेदार के रूप में कैसे कानूनी व्यक्ति माना जा सकता है । शीर्ष अदालत ने राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील अयोध्या प्रकरण में तीसरे दिन की सुनवाई में कहा कि जहां तक हिन्दू देवताओं का संबंध है तो उन्हें कानून में कानूनी व्यक्ति माना गया है जो संपत्ति का स्वामी हो सकता है और मुकदमा भी कर सकता है।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने राम लला विराजमान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता के. परासरन से जानना चाहा कि इस मामले में एक पक्षकार के रूप में क्या ‘राम जन्मस्थान’कोई वाद दायर कर सकता है।

पीठ ने जानना चाहा, ‘‘क्या जन्म स्थान को कानूनी व्यक्ति माना जा सकता है। जहां तक देवताओं का संबंध है तो उन्हें कानूनी व्यक्ति माना गया था।’’

08 Aug, 19 12:36 PM

क्या राम ‘जन्मस्थान’ को व्यक्ति माना जा सकता है: SC

'राम लला विराजमान' को तब पक्षकार नहीं बनाया गया जब मजिस्ट्रेट ने विवादित स्थल को अपने कब्जे में लिया और जब दीवानी अदालत ने निषेधात्मक आदेश दिया। इसके बाद कोर्ट पूछा कि भगवान राम की मूर्ति को कानून की दृष्टि से व्यक्ति माना गया है और क्या राम ‘जन्मस्थान’ को भी ऐसा माना जा सकता है। 

08 Aug, 19 11:33 AM

जन्मस्थान को लेकर कोई विवाद नहीं: रामलला के वकील

रामलला के वकील परासरण ने सुप्रीम कोर्ट में कहा-हिंदू और मुस्लिम पक्ष दोनों ही विवादित क्षेत्र को जन्मस्थान कहते हैं। इसलिए इसमें कोई विवाद नहीं है ये भगवान राम का जन्मस्थान है।

08 Aug, 19 11:03 AM

अयोध्या मामले में सुनवाई शुरू

अयोध्या विवाद मामले की सुनवाई शुरू हो गई है। रामलला के वकील के। परासरण अपनी दलीलें रख रहें हैं। 

08 Aug, 19 11:01 AM

शीर्ष न्यायालय को देश का शीर्ष न्यायालय रहने दें: SC

राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील ‘राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद’ मामले की सुनवाई के दौरान बुधवार को एक वकील के हस्तक्षेप करने पर उच्चतम न्यायालय ने नाराजगी जाहिर की। जब एक वकील ने अपनी बारी आए बगैर कुछ कहने की कोशिश की, तब प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा, ‘‘देश के इस शीर्ष न्यायालय को किसी अन्य चीज में तब्दील नहीं करें। इसे देश का शीर्ष न्यायालय ही रहने दें।’’ न्यायालय ने यह टिप्पणी उस वक्त की गई, जब पीठ निर्मोही अखाड़े का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सुशील जैन को अयोध्या में विवादित स्थल पर कब्जे को लेकर दावे के समर्थन में साक्ष्य का जिक्र करने को कह रही थी।

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