अयोध्या विवाद : हिन्दू पक्ष ने SC से कहा- बाबर की ऐतिहासिक भूल सुधारने की जरूरत, मुस्लिम अन्य मस्जिदों में कर सकते हैं इबादत

By भाषा | Published: October 16, 2019 06:09 AM2019-10-16T06:09:31+5:302019-10-16T06:09:31+5:30

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष एक हिन्दू पक्षकार की ओर से पेश पूर्व अटार्नी जनरल एवं वरिष्ठ अधिवक्ता के. परासरण ने कहा कि अयोध्या में कई मस्जिदें हैं जहां मुस्लिम इबादत कर सकते हैं लेकिन हिन्दू भगवान राम का जन्म स्थान नहीं बदल सकते।

Ayodhya case: Need to correct historical wrongs committed by Babur, Hindu party tells Supreme Court | अयोध्या विवाद : हिन्दू पक्ष ने SC से कहा- बाबर की ऐतिहासिक भूल सुधारने की जरूरत, मुस्लिम अन्य मस्जिदों में कर सकते हैं इबादत

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Highlightsसुन्नी वक्फ बोर्ड और अन्य द्वारा 1961 में दायर मामले में प्रतिवादी महंत सुरेश दास की ओर से पेश वरिष्ठ वकील ने कहा कि विदेशी शासक बाबर द्वारा की गयी ऐतिहासिक भूल को सुधारने की जरूरत है। उन्होंने दलील दी कि बाबर ने भगवान राम के जन्म स्थान पर मस्जिद का निर्माण कर ऐतिहासिक भूल की और कहा कि मैं बादशाह हूं और मेरा आदेश ही कानून है।

राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद की उच्चतम न्यायालय में सुनवाई के दौरान मंगलवार को एक हिन्दू पक्ष ने दलील दी कि भारत विजय के बाद मुगल शासक बाबर द्वारा करीब 433 साल पहले अयोध्या में भगवान राम के जन्म स्थान पर मस्जिद का निर्माण कर ‘ऐतिहासिक भूल’ की गयी थी और अब उसे सुधारने की आवश्यकता है।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष एक हिन्दू पक्षकार की ओर से पेश पूर्व अटार्नी जनरल एवं वरिष्ठ अधिवक्ता के. परासरण ने कहा कि अयोध्या में कई मस्जिदें हैं जहां मुस्लिम इबादत कर सकते हैं लेकिन हिन्दू भगवान राम का जन्म स्थान नहीं बदल सकते।

सुन्नी वक्फ बोर्ड और अन्य द्वारा 1961 में दायर मामले में प्रतिवादी महंत सुरेश दास की ओर से पेश वरिष्ठ वकील ने कहा कि विदेशी शासक बाबर द्वारा की गयी ऐतिहासिक भूल को सुधारने की जरूरत है। बाबर ने भगवान राम के जन्म स्थान पर मस्जिद का निर्माण कर ऐतिहासिक भूल की और कहा कि मैं बादशाह हूं और मेरा आदेश ही कानून है।

उन्होंने कहा, ‘‘अयोध्या में मुस्लिम किसी भी अन्य मस्जिद में इबादत कर सकते हैं। अकेले अयोध्या में 55-60 मस्जिदें हैं। लेकिन, हिंदुओं के लिए यह भगवान राम का जन्म स्थान है ... जिसे हम बदल नहीं सकते।’’ संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं।

संविधान पीठ ने परासरण से परिसीमा के कानून, विपरीत कब्जे के सिद्धांत और अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि से मुस्लिमों को बेदखल किये जाने से संबंधित अनेक सवाल किये। पीठ ने यह भी जानना चाहा कि क्या मुस्लिम अयोध्या में कथित मस्जिद छह दिसंबर, 1992 को ढहाये जाने के बाद भी विवादित संपत्ति के बारे में डिक्री की मांग कर सकते हैं?

पीठ ने परासरण से कहा, ‘‘वे कहते हैं, एक बार मस्जिद है तो हमेशा ही मस्जिद है, क्या आप इसका समर्थन करते हैं।’’ इस पर परासरण ने कहा, ‘‘नहीं, मैं इसका समर्थन नहीं करता। मैं कहूंगा कि एक बार मंदिर है तो हमेशा ही मंदिर रहेगा।’’

पीठ द्वारा परासरण से अनेक सवाल पूछे जाने के बाद प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘धवन जी, क्या हम हिन्दू पक्षकारों से भी पर्याप्त संख्या में सवाल पूछ रहे हैं?’’

प्रधान न्यायाधीश की यह टिप्पणी महत्वपूर्ण थी क्योंकि मुस्लिम पक्षकारों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने सोमवार को आरोप लगाया था कि सवाल सिर्फ उनसे ही किये जा रहे हैं और हिन्दू पक्ष से सवाल नहीं किये गये। संविधान पीठ अयोध्या विवाद में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर मंगलवार को 39वें दिन भी सुनवाई कर रही थी। 

Web Title: Ayodhya case: Need to correct historical wrongs committed by Babur, Hindu party tells Supreme Court

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