ओडिशा विधानसभा चुनाव: क्या बीजेपी नवीन पटनायक को लगातार पाँचवी बार मुख्यमंत्री बनने से रोक पाएगी?
By सतीश कुमार सिंह | Published: April 15, 2019 03:50 PM2019-04-15T15:50:50+5:302019-04-15T15:50:50+5:30
लोकसभा चुनाव 2019 के साथ ही ओडिशा विधानसभा चुनाव भी हो रहे हैं। राज्य विधानसभा के लिए चार चरणों में मतदान होना है। बीजद नेता नवीन पटनायक लगातार चार बार मुख्यमंत्री बन चुके हैं। पटनायक को पाँचवी बार मुख्यमंत्री बनने से रोकने के लिए बीजेपी एड़ी चोटी का जोर लगा रही है।
यदि आप नवीन का अर्थ निकालेंगे तो उसका मतलब होगा नया, नूतन। इसी कला में माहिर खिलाड़ी हैं ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक। हर समय नया करने की कोशिश करना। वह ओडिशा के लिए हमेशा कुछ करने की ललक रखते हैं। नवीन के बारे में मशहूर है कि वह शायद भारत के सबसे चुप रहने वाले राजनेता हैं, जिन्हें शायद ही किसी ने आवाज ऊंची कर बात करते सुना है।
भारतीय राजनीति में सिर्फ सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग अकेले राजनेता हैं, जो नवीन पटनायक से अधिक समय तक इस पद पर बने हुए हैं।
दून और दिल्ली विवि से पढ़ाई
16 अक्तूबर 1946 को जन्मे पटनायक की पढ़ाई देहरादून की दून यूनिवर्सिटी और दिल्ली विवि के करोड़ीमल कॉलेज और सेंट स्टीफन कॉलेज से हुई। पटनायक 5 मार्च 2000 से मुख्यमंत्री के पद पर हैं। 2014 में ओडिशा में नवीन पटनायक ने लगातार चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली थी। 2019 में पांचवीं बार में चुनावी रण में हैं। कुछ लोग कहते हैं कि राजनीति उनकी रगों में है, लेकिन ये भी सच है कि अपने जीवन के शुरुआती 50 सालों में उन्होंने राजनीति की तरफ रुख नहीं किया। ओडिशा में उनकी टक्कर का राजनेता दिखाई नहीं देता।
पटनायक को राजनीति विरासत में मिली
नवीन पटनायक को राजनीति विरासत में मिली थी। उनके पिता बीजू पटनायक न सिर्फ ओडिशा के मुख्यमंत्री थे, बल्कि जाने माने स्वतंत्रता सेनानी और पायलट थे। पिता की मौत के बाद नवीन पटनायक ने जब ओडिशा में अपना पहला भाषण दिया तो वो हिंदी में था, क्योंकि नवीन को उड़िया आती ही नहीं थी।
कला और संस्कृति में दिलचस्पी
संजय गांधी क्लास मेट हुआ करते थे। कला और संस्कृति में उनकी बहुत दिलचस्पी हुआ है। वह यूरोपीय एक्सेंट में अंग्रेजी बोलते हैं। उन्हें डनहिल सिगरेट से बहुत प्यार है और फेमस ग्राउस विह्सकी के भी शौकीन। जॉन एफ केनेडी की पत्नी जैकलीन केनेडी उनकी दोस्त। 1983 में जब वो भारत यात्रा पर आई थीं तो नवीन उनके साथ जयपुर, जोधपुर, लखनऊ और हैदराबाद गए थे। नवीन पटनायक ने बहुत पहले ही जींस और टी शर्ट पहनना छोड़ कर कुर्ता पायजामा पहनना शुरू कर दिया था, लेकिन बाद में खोर्दा की मशहूर लुंगी पहनने लगे। नेता होने के साथ ही नवीन लेखक भी हैं। उनकी चार किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं।
75 लाख लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाया
नवीन साल 2000 में जीते थे 'एस्टैब्लिशमेंट' यानी सत्ता प्रतिष्ठान का विरोध करते हुए। 19 साल बाद 2019 में वो खुद 'एस्टैब्लिशमेंट' बन गए हैं। ये सभी मानते हैं कि ओडिशा में औद्योगिकीकरण नहीं हुआ। ये भी आप नहीं कह सकते कि ओडिशा एक अमीर राज्य बन गया है। थोड़ा बहुत काम हुआ है गरीबी उन्मूलन की दिशा में। 75 लाख लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाया गया है। नवीन पटनायक के पक्ष में एक बात जाती है कि उनकी छवि अच्छी है और वो शायद निजी तौर पर भ्रष्ट नहीं हैं। एक रुपए में चावल, मुफ्त साइकिल... आप जो भी सामान मांगेंगे, आपको मुफ्त में मिल जाएगा। उन्होंने 'आहार मील' भी शुरू किया है, जहाँ पांच रुपये में आपको चावल और दाल मिलता है पर इससे न तो राज्य का विकास हो रहा है और न ही संसाधन बढ़ रहे है। लेकिन इससे गरीब लोग तो खुश हैं।
इस बार चुनाव नवीन पटनायक बनाम धर्मेंद्र प्रधान
ओडिशा की राजनीति में नवीन पटनायक का कोई प्रतिद्वंद्वी नहीं था। लेकिन अब केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को उनके एक प्रतिद्वंद्वी के रूप में पेश किया जा रहा है। पटनायक की विश्वसनीयता की बराबरी करना मुश्किल है, लेकिन धर्मेंद्र प्रधान के पक्ष में ये बात जाती है कि वह बीजू पटनायक के बाद केंद्र में दूसरे सबसे सफल उड़िया नेता हैं।
तेल और पेट्रोलियम जैसा महत्वपूर्ण विभाग पहले किसी उड़िया नेता को नहीं दिया गया है। नवीन को सत्ता में रहने का नुकसान भी हो रहा है। जैसे-जैसे दिन बीत रहे हैं, वो बूढ़े भी होते जा रहे हैं। समर्थक भी मानेंगे कि ओडिशा की राजनीति में भी उनकी वह ठसक नहीं है, जो पहले हुआ करती थी।
क्या 2019 में भी चलेगा नवीन का जादू?
2019 के लोकसभा चुनाव में नवीन पटनायक एक बार फिर जीत की आकांक्षा लिए हुए पूरी तरह से तैयार और आत्मविश्वास से भरे हुए दिख रहे हैं। उन्होंने अभी तक कांग्रेस और भाजपा में से किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं किया है। पटनायक की महिला मतदाताओं के बीच छवि काफी लोकप्रिय है। वह कई लोक कल्याणकारी योजनाओं की वजह से जनता के बीच भी काफी लोकप्रिय हैं। उनकी कालिया (कैश असिस्टेंट फॉर फारमर्स ) योजना ने उन्हें किसानों के बीच भी लोकप्रिय बनाया है।