Assembly Election 2023: 180 सीट पर पड़ेंगे वोट, जानिए 2018 में किस दल ने मारी बाजी, क्या है समीकरण
By सतीश कुमार सिंह | Published: January 19, 2023 07:33 PM2023-01-19T19:33:40+5:302023-01-19T19:35:12+5:30
Assembly Election 2023: भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने नागालैंड, मेघालय और त्रिपुरा विधानसभाओं के लिए चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की।

मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार ने कहा कि चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के साथ ही तीनों राज्यों में आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) लागू हो गई है।
Assembly Election 2023: साल 2023 में पूर्वोत्तर के तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी गई है। नागालैंड, मेघालय और त्रिपुरा में मतदान होने जा रहा है। मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार ने कहा कि चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के साथ ही तीनों राज्यों में आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) लागू हो गई है।
नागालैंड विधानसभा का कार्यकाल 12 मार्च को, मेघालय विधानसभा का कार्यकाल 15 मार्च को और त्रिपुरा विधानसभा का कार्यकाल 22 मार्च को समाप्त हो रहा है। इन तीनों राज्य में विधानसभा सीटों की संख्या 180 हैं। नागालैंड विधानसभा के 60 विधायक चुनने के लिए 27 फरवरी को मतदान होगा और मतगणना दो मार्च को होगी।
टीएमसी, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), कांग्रेस, वाम दल आमने-सामने
मेघालय विधानसभा के 60 विधायक चुनने के लिए 27 फरवरी को मतदान होगा और मतगणना दो मार्च को होगी। त्रिपुरा विधानसभा के 60 विधायक चुनने के लिए 16 फरवरी को मतदान होगा और मतगणना दो मार्च को होगी। सबसे दिलचस्प मुकाबला त्रिपुरा में होगा, जहां ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), कांग्रेस, वाम दल आमने-सामने हैं।
आयोग ने साल 2023 में होने वाले राज्यों के चुनावों का बिगुल भी फूंक दिया है। इसके साथ ही अगले साल के लोकसभा चुनाव से पहले इस साल नौ राज्यों के विधानसभा चुनावों के पहले दौर के राज्यों में मतदान की तारीखें सामने आ गईं। पूर्वोत्तर के ये तीनों चुनावी राज्य भले ही मतदाताओं की संख्या के लिहाज से छोटे हों, लेकिन इनका राजनीतिक महत्व बहुत है।
केंद्र की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) वैचारिक रूप से अहम त्रिपुरा में अपनी जीत दोहराने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है। वहीं, अन्य दोनों राज्यों में भी अपने पांव पंसारने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और कांग्रेस भी अपना खोया जनाधार पाने की कोशिशों में कोई कमी नहीं कर रही हैं।
मेघालय में नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) की सरकार
ममता बनर्जी नीत तृणमूल कांग्रेस भी पश्चिम बंगाल के बाहर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए त्रिपुरा में ताकत झोंक रही है। त्रिपुरा में जहां भाजपा की सरकार है, वहीं नगालैंड में नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी सत्ता में है। मेघालय में नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) की सरकार है। एनपीपी पूर्वोत्तर की एकमात्र पार्टी है जिसे राष्ट्रीय दल के तौर पर मान्यता हासिल है।
त्रिपुरा में मतदाताओं की कुल संख्या 28,13,478 है। वहां भाजपा और इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) की गठबंधन सरकार है। भाजपा और आईपीएफटी ने इस बार साथ मिलकर लड़ने की घोषणा की है जबकि कांग्रेस और माकपा ने चुनावी गठबंधन किया है।
माकपा 16 सीट पर सिमट गई थी
साल 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने त्रिपुरा में ऐतिहासिक जीत दर्ज करते हुए 25 सालों से सत्ता पर काबिज माकपा को बाहर का रास्ता दिखा दिया था। भाजपा ने राज्य की 60 में से 35 सीट पर जीत दर्ज की थी और आईपीएफटी ने आठ सीट पर जीत हासिल की थी जबकि माकपा 16 सीट पर सिमट गई थी।
इस चुनाव के बाद भाजपा ने आईपीएफटी के साथ राज्य में सरकार बनाई और बिप्लब कुमार देब राज्य के मुख्यमंत्री बने। पिछले साल मई महीने में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने देब को मुख्यमंत्री पद से हटाने का फैसला किया और उनकी जगह माणिक साहा को राज्य की कमान सौंपी। मेघालय में कुल मतदाताओं की संख्या करीब 21 लाख है जबकि नगालैंड में कुल मतदाताओं की संख्या 13,09,651 है।
अधिसूचना 31 जनवरी को जारी होगी
दोनों राज्यों में विधानसभा चुनाव के लिए अधिसूचना 31 जनवरी को जारी होगी और नामांकन की आखिरी तारीख सात फरवरी होगी जबकि नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख 10 फरवरी होगी। मतदान 27 फरवरी को होगा तथा दो मार्च को मतों की गिनती की जाएगी।
वर्तमान में मेघालय में नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) की अगुवाई में यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी (यूडीपी), पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट (पीडीएफ), भाजपा तथा हिल स्टेट पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (एचएसपीडीपी) की गठबंधन सरकार है और कोनराड संगमा इसका नेतृत्व कर रहे हैं।
कोनराड संगमा के नेतृत्व वाली एनपीपी 19 सीट पर जीत के साथ दूसरे नंबर पर थी
हालांकि, आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अभी तक किसी भी राजनीतिक दल ने गठबंधन बनाकर चुनाव लड़ने की घोषणा नहीं की है। मेघालय के पिछले चुनाव में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला था। कांग्रेस 21 सीट पर जीत दर्ज कर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, लेकिन वह बहुमत से दूर रह गई। कोनराड संगमा के नेतृत्व वाली एनपीपी 19 सीट पर जीत के साथ दूसरे नंबर पर थी।
प्रदेश की यूडीपी के छह सदस्य चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। इसी प्रकार राज्य की पीडीएफ को चार सीट पर जीत मिली थी और भाजपा तथा एचएसपीडीपी को दो-दो सीट पर सफलता मिली थी। चुनावी नतीजों के बाद संगमा ने भाजपा, यूडीपी, पीडीएफ, एचपीपीडीपी और एक निर्दलीय के साथ मिलकर गठबंधन की सरकार बनाई और वह राज्य के मुख्यमंत्री बने।
एनपीएफ 26 सीटों पर जीत हासिल कर सबसे बड़े दल के रूप में उभरा
साल 2018 के विधानसभा चुनाव में एनपीपी और भाजपा के बीच गठबंधन था। इस बार के चुनाव में एनपीपी और भाजपा ने अलग-अलग चुनाव लड़ने की घोषणा की है। पिछले विधानसभा चुनाव में नगालैंड में किसी दल को बहुमत नहीं मिला था। पूर्व मुख्यमंत्री टी आर जेलियांग के नेतृत्व वाला एनपीएफ 26 सीटों पर जीत हासिल कर सबसे बड़े दल के रूप में उभरा।
इस चुनाव में वरिष्ठ नेता नेफ्यू रियो के नेतृत्व वाले एनडीपीपी को 17 और भाजपा को 12 सीटों पर जीत हासिल हुई। बाद में भाजपा और एनडीपीपी ने जनता दल यूनाइटेड और कुछ अन्य दलों के सहयोग से राज्य में सरकार बनाई और नेफ्यू रियो चौथी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने। इस बार में चुनाव में भाजपा और एनडीपीपी साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे।
(इनपुट एजेंसी)