असम: 'कामकाज में हस्तक्षेप न करें', विदेशी न्यायाधिकरण के सदस्य ने एनआरसी समन्यक को लिखा पत्र

By विशाल कुमार | Published: May 15, 2022 02:48 PM2022-05-15T14:48:00+5:302022-05-15T14:54:37+5:30

राज्य एनआरसी समन्वयक हितेश देव शर्मा ने हाल ही में एक सर्कुलर जारी कर राज्य भर में विदेशियों के न्यायाधिकरण (एफटी) के सदस्यों से कहा कि वे एनआरसी के मसौदे और इसकी पूरक सूची को मामलों के निपटान के लिए विश्वसनीय सबूत के रूप में न मानें।

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असम: 'कामकाज में हस्तक्षेप न करें', विदेशी न्यायाधिकरण के सदस्य ने एनआरसी समन्यक को लिखा पत्र

Highlightsराज्य एनआरसी समन्वयक हितेश देव शर्मा ने हाल ही में एक सर्कुलर जारी किया था।शर्मा ने लिखा कि आरजीसीआर ने एनआरसी को अंतिम घोषित नहीं किया है।एफटी सदस्य ने लिखा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार प्रकाशित एनआरसी ही अंतिम एनआरसी है।

सिलचर: असम में विदेशी न्यायाधिकरण के एक सदस्य ने राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के राज्य समन्वयक से नागरिकता तय करने और किसी व्यक्ति को विदेशी घोषित करने का अधिकार रखने वाले अर्ध-न्यायिक निकायों के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करने को कहा है।

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य एनआरसी समन्वयक हितेश देव शर्मा ने हाल ही में एक सर्कुलर जारी कर राज्य भर में विदेशियों के न्यायाधिकरण (एफटी) के सदस्यों से कहा कि वे एनआरसी के मसौदे और इसकी पूरक सूची को मामलों के निपटान के लिए विश्वसनीय सबूत के रूप में न मानें।

एनआरसी के असम समन्वयक ने क्या कहा?

18 अप्रैल को शर्मा ने एफटी सदस्यों को पत्र जारी कर दावा किया कि अपडेट करने की प्रक्रिया में गलत डेटा भरे जाने के कारण पहले प्रकाशित एनआरसी सूची में गलतियां हैं। 

शर्मा ने लिखा कि चूंकि नागरिक पंजीकरण के रजिस्ट्रार जनरल (आरजीसीआर) ने एनआरसी को अंतिम घोषित नहीं किया है और इसमें गलतियां हैं, तो अंतिम एनआरसी प्रकाशित होने पर चीजें बदल सकती हैं।

विदेशी न्यायाधिकरण के सदस्य ने दावा ठुकराया

10 मई को एफटी के एक सदस्य (जो मीडिया के सामने अपने नाम का खुलासा नहीं करना चाहते) ने शर्मा को एक पत्र लिखा और उल्लेख किया कि अंतिम एनआरसी सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न आदेशों और निर्णयों के अनुपालन में प्रकाशित किया गया था। प्रकाशित एनआरसी ही अंतिम एनआरसी है।

सदस्य ने आगे लिखा कि राज्य समन्वयक असम में एनआरसी को अंतिम रूप देने के बारे में सुप्रीम कोर्ट के कानून, नियमों, अधिसूचनाओं और आदेशों की अपनी गलत समझ का प्रचार नहीं कर सकते। हमने उन्हें सलाह दी कि वह अपना पत्र वापस ले लें और विदेशी न्यायाधिकरण के वैध कामकाज में हस्तक्षेप करना बंद कर दें, जो आपके अधिकार क्षेत्र और शक्ति की सीमा से परे है।

पिछले साल सितंबर में यह देखते हुए कि उसके परिवार के सदस्य 31 अगस्त, 2019 को प्रकाशित राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का हिस्सा थे, असम के करीमगंज जिले में एक एफटी सदस्य ने एक संदिग्ध प्रवासी को भारतीय घोषित किया था।

असम के गृह और राजनीतिक विभाग के अनुसार, राज्य में 100 विदेशी न्यायाधिकरण कार्य कर रहे हैं। केंद्र सरकार द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुसार विदेशी न्यायाधिकरण अधिनियम, 1941 और विदेशी न्यायाधिकरण आदेश, 1964 के तहत जजों और वकीलों को एफटी के सदस्य के रूप में नियुक्त किया जाता है।

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