ओवैसी-भाजपा में चाचा-भतीजे का संबंध, टीवी पर नहीं, सीधे करें सीएए-एनआरसी खत्म करने की मांग: राकेश टिकैत
By विशाल कुमार | Published: November 22, 2021 11:55 AM2021-11-22T11:55:28+5:302021-11-22T12:04:11+5:30
नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर (एनआरसी) वाले ओवैसी के बयान पर टिकैत ने कहा कि ओवैसी और भाजपा के बीच चाचा-भतीजा का संबंध है। उन्हें इस बारे में टीवी पर बात नहीं करनी चाहिए. वह यह बात सीधे कह सकते हैं।
नई दिल्ली: केंद्र सरकार से सीएए और एनआरसी को रद्द करने की एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की मांग पर जोरदार पलटवार करते हुए किसान नेता राकेश टिकैत ने ओवैसी और भाजपा के बीच चाचा-भतीजा का संबंध बताया है।
नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर (एनआरसी) वाले ओवैसी के बयान पर टिकैत ने कहा कि ओवैसी और भाजपा के बीच चाचा-भतीजा का संबंध है। उन्हें इस बारे में टीवी पर बात नहीं करनी चाहिए. वह यह बात सीधे कह सकते हैं।
Lucknow | Owaisi & BJP share a bond of 'chacha-bhatija' (uncle-nephew). He should not talk about this on TV, he can just ask directly: BKU Leader Rakesh Tikait, on Asaduddin Owaisi's demand of repealing CAA & NRC pic.twitter.com/R8iIZKoRnI
— ANI UP (@ANINewsUP) November 22, 2021
बता दें कि, रविवार को उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में एक रैली को संबोधित करते हुए ओवैसी ने चेतावनी दी कि अगर सीएए और एनआरसी को खत्म नहीं किया गया, तो प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतरेंगे और इसे शाहीन बाग में बदल देंगे।
बता दें कि, दिल्ली का शाहीन बाग सीएए और एनआरसी के विरोध का केंद्र रहा था। वहां सीएए के खिलाफ आंदोलन के लिए सैकड़ों महिलाओं ने कई महीनों तक डेरा डाला था, दिल्ली पुलिस ने 2020 की शुरुआत में कोविड-19 महामारी के कारण लॉकडाउन के बाद धरना स्थल खाली करा दिया था।
ओवैसी ने यह टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा के कुछ दिनों बाद की है. बीते शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की घोषणा की जिनके खिलाफ पिछले करीब एक साल से दिल्ली की सीमाओं पर विभिन्न किसान संगठन हजारों किसानों के साथ धरने पर बैठे हैं.
हालांकि, किसानों का कहना है कि वे आधिकारिक तौर पर संसद से कानूनों के खत्म होने से पहले अपना धरना खत्म नहीं करेंगे और उनकी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानून बनाने की भी मांग है.