संसद में ना होकर भी एक के बाद एक कई ट्वीट कर आर्टिकल 370 की बहस में शामिल हैं जेटली, कांग्रेस को बताया हेडलेस चिकन
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 6, 2019 17:42 IST2019-08-06T17:42:00+5:302019-08-06T17:42:00+5:30
राज्यसभा ने सोमवार को अनुच्छेद 370 की अधिकतर धाराओं को खत्म कर जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख को दो केन्द्र शासित क्षेत्र बनाने संबंधी सरकार के दो संकल्पों को मंजूरी दे दी है। पांच अगस्त को राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक को पास कर दिया गया है। बिल के पक्ष में 125 वोट और 61 विपक्ष में वोट पड़े हैं।

संसद में ना होकर भी एक के बाद एक कई ट्वीट कर आर्टिकल 370 की बहस में शामिल हैं जेटली, कांग्रेस को बताया हेडलेस चिकन
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संसद में तो नहीं हैं लेकिन आर्टिकल 370 की बहस में शामिल जरूर हैं। आर्टिकल 370 को हटाये जाने पर अरुण जेटली छह अगस्त को एक के बाद के कई ट्वीट कर चुके हैं। ट्वीट में अरुण जेटली ने विपक्षी पार्टी कांग्रेस पर ट्वीट के जरिये निशाना साधा है। जेटली ने कहा, कांग्रेस पार्टी हेडलेस चिकन है। भारत के लोगों से वह दूर जा रहे हैं। अब नया भारत पूरी तरह बदल चुका है। सिर्फ कांग्रेस इस बात को नहीं समझ पा रही है। कांग्रेस नेतृत्व लगातार रेस में नीचे से सबसे आगे आने की कोशिश में लगी है।
Congress Party, as a ‘headless chicken’, is further consolidating its alienation from the people of India. The New India has changed. Only the Congress does not realise this. The Congress leadership is determined to succeed in its race to the bottom.
— Arun Jaitley (@arunjaitley) August 6, 2019
केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देनेवाला आर्टिकल 370 को हटाने की पेशकश की है। आज (6 अगस्त) को जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल लोकसभा में पेश हुआ। इस मामले पर लोकसभा में चर्चा जारी है।
The J&K history of the past seven decades shows that the journey of this separate Status has been towards separatism and not integration. It created a separatist psyche. Pakistan was more than enthusiastic in trying to exploit the situation.
— Arun Jaitley (@arunjaitley) August 6, 2019
अरुण जेटली ने अपने एक दूसरे ट्वीट में कहा, ''पिछले सात दशकों से जम्मू-कश्मीर के लिए कुछ भी सही नहीं किया गया है। वहां जुड़ाव कि नहीं बल्कि अलगाववाद की बात होती रहती है। पाकिस्तान कई दशकों से इसी मानसिकता का तो फायदा उठाता आया है।''
By 1989-90, the situation of J&K had gone out of control and separatism with terrorism picked up. Kashmiri pundits, an essential part of Kashmiriat, suffered such atrocities which only the Nazis had inflicted in the past. The ethnic cleansing took place and they had to move out.
— Arun Jaitley (@arunjaitley) August 6, 2019
अपने एक अन्य ट्वीट में जेटली ने कहा, ''1989-90 के दौरान जम्मू-कश्मीर नियंत्रण से बाहर हो गया था। अलगाववाद के साथ आतंकवाद भी तेजी से बढ़ने लगा था। कश्मीरियत के अभिन्न हिस्से के रूप में मौजूद कश्मीरी पंडितों को उसी तरह की त्रासदी का सामना करना पड़ा जैसा नाजियों ने झेला था। बात यहां तक आगे बढ़ी की कश्मीरी पंडितों को अपनी जगह छोड़कर जाना पड़ा था।''
Prime Minister Shri Narendra Modi and Home Minister Shri Amit Shah achieved the Impossible with the new Kashmir policy. In my blog today, I have analysed the impact of this decision, and history of failed attempts on resolving the J&K issue.
— Arun Jaitley (@arunjaitley) August 6, 2019
जेटली ने अपने ट्वीट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को कश्मीरियों के हित में फैसला लेने के लिए बधाई भी दी है। उन्होंने कहा कि इन्होंने जो कदन उठाये हैं वो असंभव जैसा था।
The historic blunders of special status had cost the country politically and financially. Today, when history is being re-written, it proves that Dr. Syama Prasad Mookerjee’s vision on Kashmir was the correct one and Panditji’s dream solution has proved to be a failure.
— Arun Jaitley (@arunjaitley) August 6, 2019
एक अन्य ट्वीट में जेटली ने कहा, ''जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य दर्जा देने के लिए इतिहास में बहुत गलतियां हुई हैं। जिसकी वजह से आर्थिक और राजनीतिक दोनों का नुकसान हुआ है। इससे ये साफ पता चलता है कि कश्मीर को लेकर डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जो सोच थी वो एकदम सही थी। वहीं पंडितजी का जो सपना था वह विफल हो गया।''
राज्यसभा ने सोमवार को अनुच्छेद 370 की अधिकतर धाराओं को खत्म कर जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख को दो केन्द्र शासित क्षेत्र बनाने संबंधी सरकार के दो संकल्पों को मंजूरी दे दी है। पांच अगस्त को राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक को पास कर दिया गया है। बिल के पक्ष में 125 वोट और 61 विपक्ष में वोट पड़े हैं।
कश्मीर में फिलहाल धारा 144 लागू है। कई बड़े नेताओं को नजरबंद किया गया है। हालात को देखते हुये राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी कश्मीर गये हैं।