केंद्र सरकार की तरफ से सेना को नहीं मिला फंड, अपने पैसों से खरीदनी होगी वर्दी
By भारती द्विवेदी | Published: June 6, 2018 12:02 PM2018-06-06T12:02:58+5:302018-06-06T12:02:58+5:30
'द इकनॉमिक्स टाइम्स' में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, अबतक सेना स्टेट-ऑन्ड ऑर्डेनेंस (सरकारी आयुध) फैक्ट्री से 94 फीसदी तक सामान खरीदती थी। लेकिन बजट नहीं मिलने की वजह से अब ये घटकर 50 फीसदी हो जाएगा।
नई दिल्ली, 6 जून: भारतीय सेना को अब अपने यूनिफॉर्म से लेकर स्पेयर पार्ट तक का खर्च खुद उठाना होगा। सेना ये फैसला लिया है कि अब वो अपनी वर्दी, जूते से लेकर गाड़ियों के स्पेयर पार्ट भी खुद से खरीदेंगे। और उनके इस फैसला पीछे की वजह सरकार की तरफ से सेना को आपात खरीदारी के लिए फंड नहीं देना।
'द इकनॉमिक्स टाइम्स' में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, अबतक सेना स्टेट-ऑन्ड ऑर्डेनेंस (सरकारी आयुध) फैक्ट्री से 94 फीसदी तक सामान खरीदती थी। लेकिन बजट नहीं मिलने की वजह से अब ये घटकर 50 फीसदी हो जाएगा। सरकार की तरफ से हुई बजट कटौती का असर जवानों के नियमित जरुरतों पर भी पड़ेगा।
रिपोर्ट्स के मुताबिक आपातकालीन गोला-बारूद का स्टॉक पूरा करने के लिए सेना तीन प्रोजक्टस पर काम कर रही है। आपातकालीन गोला-बारूद का स्टॉक पूरा करने के लिए सेना तीन प्रोजक्टस पर काम कर रही है। आपातकालीन गोला-बारूजद स्टॉक के लिए हजारों करोड़ रुपए की फंड की जरुरत है। इकोनॉमिक्स टाइम्स से बातचीत नें सेना के कुछ अधिकारियों ने बताया है कि मौजूदा वित्त वर्ष (2018-19) मे मिले बजट को देखते हुए सेना ने ये फैसला लिया है।अधिकारियों के अनुसार, वर्दी, गाड़ियों के स्पेयर पार्ट और कुछ गोला-बारूद की सप्लाई कम करने पर 11 हजार का करोड़ के बजट को आठ हजार पर लाया जाएगा। ऐसा करने की वजह से हर साल लगभग 3500 करोड़ रुपए बच जाएंगे।
स्टेट-ऑन्ड ऑर्डेनेंस (सरकारी आयुध) फैक्ट्री क्या होता है
ऑर्डेनेंस फैक्ट्री एक ऐसी संस्था है, जो सेना से जुड़े सामान बनाती है। इसमें गोली-बारूद से लेकर यूनिफॉर्म और सेना के जरूरत की दूसरी चीजें मिलती हैं। सारे स्टेट ऑर्डेनेंस (सरकारी आयुध) फैक्ट्री रक्षा मंत्रालय के अंतगर्त आती है।
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