देश के पहले एमबीए-एमएसएमई पाठ्यक्रम के शुरू करने की हुई घोषणा, निम्समे और एएसबीएम विश्वविद्यालय के संयुक्त प्रयास से हुआ सफल
By शिरीष खरे | Published: December 9, 2022 09:19 PM2022-12-09T21:19:03+5:302022-12-09T21:29:47+5:30
वहीं इस मामले में बोलते हुए एएसबीएम विश्वविद्यालय के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. बिस्वजीत पटनायक ने कहा है कि पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए योग्य छात्रों को आवश्यकता पड़ने पर शिक्षा ऋणकी सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी। इसके अतिरिक्त पाठ्यक्रम की पूर्ति के बाद उम्मीदवारों के कैम्पस सलेक्शन के जरिए रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा अथवा स्वरोजगार के लिए सहायता भी की जाएगी।
हैदराबाद: सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार के संगठन राष्ट्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम संस्थान, हैदराबाद और भुवनेश्वर, उड़ीसा स्थित एएसबीएम विश्वविद्यालय संयुक्त रूप से देश के पहले एमबीए-एमएसएमई पाठ्यक्रम शुरू करने की घोषणा की है। यह पाठ्यक्रम दो वर्ष की अवधि का होगा, जिसमें स्नातक उपाधि धारक कोई भी छात्र प्रवेश ले सकता है।
संस्थान के अधिकारी ने पाठ्यक्रम पर आगे की जानकारी दी है
स्थानीय राष्ट्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम संस्थान में शुक्रवार को सायं आयोजित संवाददाता सम्मेलन में यह घोषणा की गई। इस अवसर पर संस्थान की महानिदेशक डॉ. एस. ग्लोरी स्वरूपा तथा एएसबीएम विश्वविद्यालय के संस्थापक अध्यक्ष प्रो. डॉ. बिस्वजीत पटनायक ने इस संयुक्त प्रयास के साथ ही पाठ्यक्रम के बारे में विस्तार से जानकारी दी है।
उनके साथ मंच पर ऑक्सिझेन एक्सप्रेस प्रा.लि. के सह-संस्थापक पीटर एच. जयकुमार तथा मैत्री उद्योग के संस्थापक एम. रामकृष्णा भी उपस्थित थे।
यह है पूरी तरह एमएसएमई क्षेत्र पर आधारित एमबीए पाठ्यक्रम
ऐसे में डॉ. ग्लोरी स्वरूपा ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम संस्थान ने एएसबीएम विश्वविद्यालय के साथ गठबंधन कर देश में पहली बार पूरी तरह एमएसएमई क्षेत्र पर आधारित एमबीए पाठ्यक्रम तैयार किया है।
उन्होंने कहा कि इस पाठ्यक्रम से औपचारिक शिक्षा तथा उद्योग क्षेत्र के बीच मौजूद दूरी को बांटने का प्रयास किया गया है। इससे एमएसएमई क्षेत्र को उद्योग के सभी पहलुओं का ज्ञान रखने वाले पेशेवर उपलब्ध होंगे।
नये पाठ्यक्रम के आरंभिक चरण में मात्र 66 उम्मीदवार ही कर सकेंगे प्रवेश-डॉ. बिस्वजीत पटनायक
इस पर बोलते हुए एएसबीएम विश्वविद्यालय के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. बिस्वजीत पटनायक ने इस अभिनव पाठ्यक्रम की पहल करने के लिए राष्ट्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम संस्थान, भारत सरकार की सराहना की है। उन्होंने बताया कि इस नये पाठ्यक्रम में आरंभिक चरण में मात्र 66 उम्मीदवार प्रवेश ले सकेंगे।
इसके लिए इच्छुक उम्मीदवारों को राष्ट्रीय स्तर की कॉमन एन्ट्रेंस टेस्ट अथवा एएसएम विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी। यही नहीं तत्पश्चात संबंधित उम्मीदवार के साथ साक्षात्कार कर योग्य उम्मीदवारों का चयन किया जाएगा।
2 वर्षीय पाठ्यक्रम का शुल्क 4 लाख 36 हजार किया गया है तय
इस दो वर्षीय पाठ्यक्रम का शुल्क 4 लाख 36 हज़ार रहेगा, जो देश में एमबीए के मौजूदा पाठ्यक्रमों में सबसे कम है। उन्होंने यह भी बताया कि पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए योग्य छात्रों को आवश्यकता पड़ने पर शिक्षा ऋणकी सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी। इसके अतिरिक्त पाठ्यक्रम की पूर्ति के बाद उम्मीदवारों के कैम्पस सलेक्शन के जरिए रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा अथवा स्वरोजगार के लिए सहायता की जाएगी।