अलवर, 24 जुलाई; राजस्थान के गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया ने अलवर में हुई कथित मॉब लिंचिंग की घटना पर कहा है कि रकबर की मौत पुलिस कस्टडी में हुई थी। इससे पहले ये खबर सामने आई थी कि रकबर की मौत कथित गोरक्षकों की पिटाई के बाद हुई थी। लेकिन मंगलवार 24 जुलाई तो अलवर में घटनास्थल का दौरा करने के बाद ये कहा की पहली नजर में तो ऐसा लग रहा है कि जैसे रकबर की मौत पुलिस हिरासत में हुई थी।
अलवर में घटनास्थल का दौरा करने के बाद ही गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया ने इस मामले में न्यायिक जांच का आदेश दिया है। कटारिया ने कहा, 'रकबर की मौत पुलिस हिरासत में हुई है। जो सबूत हमें मिले हैं, उससे तो यही लगता है कि रकबर की मौत पुलिस कस्टडी के दौरान हो गई थी। फिलहाल इस मामले में आगे की जांच जारी है। राज्य सरकार ने इस मामले की न्यायिक जांच कराने का फैसला लिया है।'
कटारिया ने कहा, 'मैंने पीड़ित परिवारवालों से मुलाकात की है और उन्होंने मुझे बताया कि अब तक की कार्रवाई से वे लोग संतुष्ट हैं। मैंने उनसे कहा कि घटना के बारे में अगर वे कुछ और बताना चाहते हैं तो मुझसे कभी भी आकर मिल सकते हैं।
कटारिया ने राजस्थान सरकार में श्रम मंत्री जसवंत यादव के बयान से साफ किनारा कर लिया है। कटारियां ने कहा, जसवंत अपने बयान पर खुद ही जवाब देंगे। गौरतलब है कि मंत्री जसवंत यादव ने कहा था कि मॉब लिंचिंग रोकने के लिए मुस्लिमों को गो तस्करी बंद कर देनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि पुलिस हिरासत में मौत के मामलें में पीड़ित परिजनों को दिए जाने वाले मुआवजे का निर्णय जिला स्तरीय विधिक कमेटी द्वारा लिया जाता है। ऐसे मामलों में जिला सत्र न्यायाधीश निर्णय लेते हैं।
उन्होंने कहा कि इसी तरह पहले भी पहलू खान के साथ मारपीट के मामले में राज्य सरकार ने 1.25 लाख रुपए का मुआवजा मृतक खान के परिजनों को दिया था। उसके बाद मुआवजा जिला विधिक कमेटी की अनुशंसा के आधार पर दिया जाता है।
बता दें कि राजस्थान के अलवर में रकबर खान उर्फ अकबर खान नाम के शख्स की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर मार डालने की घटना की गूंज मंगलवार को संसद में भी सुनाई दी। अलवर कांड का मुद्दा उठाते हुए विपक्ष ने सरकार से इसे रोकने के लिए जरूरी कदम उठाने की मांग की। कांग्रेस ने मॉब लिन्चिंग की घटनाओं की सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जज से जांच की मांग की।
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