हैदराबाद, 18 दिसंबर प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन वी रमण ने शनिवार को कहा कि वह वैकल्पिक विवाद समाधान उपायों के पक्षधर हैं, जो मामलों को अदालतों में जाने से रोककर भारतीय न्यायिक प्रणाली की बहुत अधिक सहायता कर सकते हैं।
अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र के उद्घाटन समारोह को यहां संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति रमण ने कहा कि मध्यस्थता का भारत में एक लंबा इतिहास रहा है और हाल ही में उन्होंने विवाद समाधान के तरीकों के रूप में दुनिया भर में प्रमुखता हासिल की है।
उन्होंने कहा, "मैं इस तरह के वैकल्पिक विवाद समाधान तरीकों के प्रति अपने समर्थन को लेकर मुखर रहा हूं। इस तरह के तरीके विभिन्न कारणों से किसी विवाद से जुड़े पक्षकारों के लिए फायदेमंद होते हैं।
न्यायमूर्ति रमण ने कहा कि उनके समर्थन का एक और कारण यह है कि ये तरीके मामलों को अदालतों में जाने से रोककर भारतीय न्यायिक प्रणाली की अत्यधिक सहायता कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि लोगों को पहले मध्यस्थता जैसे वैकल्पिक विवाद समाधान विकल्पों का पता लगाने की जरूरत है, और उन्हें केवल अंतिम उपाय के रूप में अदालतों का रुख करना चाहिए।
न्यायमूर्ति रमण ने कहा कि यहां अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र की स्थापना देश में वैकल्पिक विवाद समाधान विकल्पों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
हैदराबाद में विश्वस्तरीय सुविधाओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पक्ष अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र से संपर्क करेंगे।
पूर्व प्रधानमंत्री पी वी नरसिंह राव की टिप्पणियों को याद करते हुए, न्यायमूर्ति रमण ने कहा कि केंद्र का निर्माण और कुछ नहीं, बल्कि उन दूरदर्शी नेताओं के प्रति सम्मान है, जिन्होंने वैकल्पिक विवाद समाधान को आगे के रास्ते के रूप में देखा।
उन्होंने केंद्र के लिए शुरू से ही पूरा समर्थन देने के लिए तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव को धन्यवाद दिया।
राव ने औपचारिक रूप से मध्यस्थता केंद्र की वेबसाइट की शुरुआत की।
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