इलाहाबाद उच्च न्यायालय का फैसला, नाबालिग लड़की को बालिग होने तक उसके पति के साथ रहने की अनुमति नहीं

By सतीश कुमार सिंह | Updated: February 4, 2021 20:33 IST2021-02-04T20:32:37+5:302021-02-04T20:33:46+5:30

इलाहाबाद हाईकोर्टः लड़की के पिता ने हापुड़ के न्यायिक मजिस्ट्रेट के 24 नवंबर, 2020 के आदेश को चुनौती दी थी जिसमें लड़की को उसके पति के साथ जाने की अनुमति दी गई थी।

Allahabad High Court refused allow minor girl cannot live with her husband legal guardian custody uttar pradesh | इलाहाबाद उच्च न्यायालय का फैसला, नाबालिग लड़की को बालिग होने तक उसके पति के साथ रहने की अनुमति नहीं

अदालत ने यह आदेश 27 जनवरी, 2021 को पारित किया।

Highlightsअदालत ने संबद्ध पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि कानून के मुताबिक यह शादी शून्य है। लड़की बालिग हो जाएगी तब यह उसकी इच्छा पर निर्भर होगा कि वह इस शादी को माने या इसे शून्य करार दे।अदालत ने राज्य सरकार को उक्त लड़की के लिए एक सुरक्षित आश्रय गृह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जहां वह बालिग होने तक रह सके।

प्रयागराजः इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि घर से भागकर शादी करने वाली नाबालिग लड़की को अपने पति के साथ रहने का वैधानिक अधिकार नहीं है।

हालांकि, बालिग होने पर वह अपने विवाह को मान्यता दे सकती है या इसे शून्य करार देकर अपने पसंद के व्यक्ति के साथ रह सकती है। न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने लड़की के पिता द्वारा दायर याचिका को स्वीकार करते हुए उक्त आदेश पारित किया।

लड़की के पिता ने हापुड़ के न्यायिक मजिस्ट्रेट के 24 नवंबर, 2020 के आदेश को चुनौती दी थी जिसमें लड़की को उसके पति के साथ जाने की अनुमति दी गई थी। लड़की के पिता की ओर से पेश वकील ने अदालत को बताया कि पिंटू नाम का व्यक्ति जब लड़की को बहला फुसला कर अपने साथ ले गया तब हाईस्कूल के प्रमाण पत्र के मुताबिक, उस समय लड़की की उम्र महज 16 वर्ष थी।

उन्होंने कहा कि भले ही लड़की ने पिंटू से विवाह किया, लेकिन उसे उसके साथ रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती। अदालत में मौजूद लड़की ने इस तथ्य को स्वीकारा कि उसने अपनी मर्जी से पिंटू से शादी की और वह अपने माता पिता के साथ नहीं रहना चाहती।

अदालत ने संबद्ध पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि कानून के मुताबिक यह शादी शून्य है। इसलिए, जब लड़की बालिग हो जाएगी तब यह उसकी इच्छा पर निर्भर होगा कि वह इस शादी को माने या इसे शून्य करार दे।

अदालत ने राज्य सरकार को उक्त लड़की के लिए एक सुरक्षित आश्रय गृह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जहां वह बालिग होने तक रह सके। अदालत ने हापुड़ के जिला जज को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि एक महिला न्यायिक अधिकारी महीने में एक बार लड़की से मिले और उसका हालचाल ले। अदालत ने यह आदेश 27 जनवरी, 2021 को पारित किया।

Web Title: Allahabad High Court refused allow minor girl cannot live with her husband legal guardian custody uttar pradesh

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