लाइव न्यूज़ :

बेटे ही नहीं,शादीशुदा बेटी भी अनुकंपा के आधार पर नौकरी के लिए पात्र, इलाहाबाद उच्च न्यायालय का फैसला

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: January 14, 2021 15:19 IST

Allahabad High Court Decision: न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने मंजुल श्रीवास्तव नाम की एक महिला द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई के बाद 5 जनवरी को यह आदेश पारित किया.

Open in App
ठळक मुद्देमंजुल श्रीवास्तव ने प्रयागराज जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी के 25 जून, 2020 के आदेश को चुनौती दी थी.प्रदेश सरकार के 1974 के नियमों के तहत अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के उसके दावे को इसलिए खारिज कर दिया था.शादीशुदा बेटियों को बाहर रखना असंवैधानिक है और यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन है.

प्रयागराजः इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में दोहराया है कि अनुकंपा के आधार पर सरकारी सेवा में नियुक्ति के लिए एक बेटी को मृतक सरकारी कर्मचारी के परिवार का सदस्य माना जाएगा, भले ही उस बेटी की वैवाहिक स्थिति जो भी हो.

न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने मंजुल श्रीवास्तव नाम की एक महिला द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई के बाद 5 जनवरी को यह आदेश पारित किया. मंजुल श्रीवास्तव ने प्रयागराज जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी के 25 जून, 2020 के आदेश को चुनौती दी थी जिसमें अधिकारी ने प्रदेश सरकार के 1974 के नियमों के तहत अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के उसके दावे को इसलिए खारिज कर दिया था क्योंकि उसका विवाह हो चुका है.

अदालत ने कहा कि यदि एक शादीशुदा बेटा अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के लिए पात्र है तो बेटी की उम्मीदवारी को उसके विवाहित होने के आधार पर खारिज करना भेदभावपूर्ण है. अदालत ने कहा कि इससे पूर्व, विमला श्रीवास्तव के मामले में यह व्यवस्था दी गई थी कि अनुकंपा के आधार पर नौकरी के लिए नियमों में 'परिवार' की परिभाषा से शादीशुदा बेटियों को बाहर रखना असंवैधानिक है और यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन है.

इसलिए, भले ही राज्य सरकार ने आज की तारीख तक इस नियम में संशोधन नहीं किया है, तो भी इस नियम को एक विवाहित बेटी के दावे पर निर्णय के लिए विद्यमान प्रावधान नहीं समझा जा सकता. अदालत ने कहा कि बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा दावे को खारिज करने का आदेश साफ तौर पर अवैध है.

अदालत ने अधिकारी को अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के याचिकाकर्ता के दावे पर कानून के मुताबिक और उसकी वैवाहिक स्थिति का संदर्भ लिए बगैर विचार करने और दो महीने के भीतर निर्णय करने का निर्देश दिया.

(इनपुट एजेंसी)

टॅग्स :इलाहाबादहाई कोर्टउत्तर प्रदेश
Open in App

संबंधित खबरें

ज़रा हटकेVIDEO: सीएम योगी ने मोर को अपने हाथों से दाना खिलाया, देखें वीडियो

भारतफिर खुलेगी आईएएस संतोष वर्मा की फाइल, हाईकोर्ट ने पुलिस जांच को दी मंजूरी

भारतयूपी में निजी संस्थाएं संभालेंगी 7,560 सरकारी गोआश्रय स्थल, पीपीपी मॉडल पर 7,560  गोआश्रय स्थल चलाने की योजना तैयार

भारतमुजफ्फरनगर की मस्जिदों से 55 से ज्यादा लाउडस्पीकर हटाए गए

क्राइम अलर्टEtah Accident: तेज रफ्तार ट्रक का कहर, दो मोटरसाइकिल को मारी टक्कर, तीन लोगों की मौत

भारत अधिक खबरें

भारतKyrgyzstan: किर्गिस्तान में फंसे पीलीभीत के 12 मजदूर, यूपी गृह विभाग को भेजी गई रिपोर्ट

भारतMahaparinirvan Diwas 2025: कहां से आया 'जय भीम' का नारा? जिसने दलित समाज में भरा नया जोश

भारतMahaparinirvan Diwas 2025: आज भी मिलिंद कॉलेज में संरक्षित है आंबेडकर की विरासत, जानें

भारतडॉ. आंबेडकर की पुण्यतिथि आज, पीएम मोदी समेत नेताओं ने दी श्रद्धांजलि

भारतIndiGo Crisis: लगातार फ्लाइट्स कैंसिल कर रहा इंडिगो, फिर कैसे बुक हो रहे टिकट, जानें