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पश्चिमी उत्तर प्रदेश से सभी गाजीपुर पहुंचे, आंदोलन को और मजबूत बनाएं : महापंचायत

By भाषा | Updated: February 1, 2021 21:45 IST

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बिजनौर (उत्तर प्रदेश), एक फरवरी कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन की पृष्ठभूमि में बिजनौर में सोमवार को आयोजित चौथे महापंचायत ने आह्वान किया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में छोटे-छोटे प्रदर्शनों को समाप्त कर सभी लोग गाजीपुर पहुंचे और आंदोलन को मजबूत बनाएं।

महापंचायत के मंच से भारतीय किसान यूनियन ने आह्वान किया कि आंदोलन को मजबूत बनाने के लिए घर के सभी लोग, नहीं तो कम से कम एक सदस्य दिल्ली की सीमा पर यूपी गेट पर चल रहे प्रदर्शन में शामिल हो।

भाकियू की किसान सम्मान महापंचायत में संगठन के युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और संगठन के अध्यक्ष नरेश टिकैत के पुत्र गौरव टिकैत ने कहा कि कृषि कानून पर समस्या का मनचाहा समाधान होने तक आंदोलन जारी रहेगा, इसे और मजूबत बनाया जाएगा।

अभी तक राजनीतिक दलों को आंदोलन से दूर रख रही भाकियू ने आज रालोद के नेता जयंत चौधरी को अपने मंच पर जगह दिया।

गौरतलब है कि गाजीपुर में डेरा डाले हुए भाकियू नेता राकेश टिकैत ने रविवार को कहा था कि संयुक्त किसान मोर्चा ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन में राजनीतिक दलों को नहीं घुसने दिया था लेकिन प्रदर्शन स्थलों पर ‘‘लोकतंत्र का मजाक बनाए जाने’’ के बाद उसने राजनीतिक समर्थन लिया है।

आंदोलन में राजनीतिक दलों के औचित्य पर किए गए एक सवाल के जवाब में टिकैत ने कहा, ‘‘संयुक्त किसान मोर्चा ने राजनीतिक दलों को अपने आंदोलन में प्रवेश नहीं करने दिया था क्योंकि हमारा आंदोलन गैर राजनीतिक है। प्रदर्शन को लेकर लोकतंत्र का मजाक बनाए जाने के बाद, राजनीतिक दलों से समर्थन लिया गया। इसके बावजूद, नेताओं को किसान आंदोलन के मंच से दूर रखा गया है।’’

बिजनौर के आईटीआई मैदान में आयोजित महापंचायत में गौरव टिकैत ने भाकियू नेताओं की बात को दोहराते हुए एक बार फिर से केन्द्र सरकार से कहा कि वह ‘‘नए कृषि कानूनों को वापस लेने को मान-प्रतिष्ठा का प्रश्न ना बनाए।’’ साथ ही उन्होंने केन्द्र सरकार को परोक्ष रूप से चेताया कि वह ‘‘किसानों के स्वभिमान को कुचलने का षड्यंत्र ना करे।’’

महापंचायत के मंच से उन्होंने किसानों से आह्वान किया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में छोटे-छोटे प्रदर्शन कर रहे सभी किसान सीधा गाजीपुर पहुंचें और वहीं आंदोलन को शक्ति प्रदान करें।

ट्रैक्टर परेड में हुई हिंसा और उसके बाद गाजीपुर में हुई पथराव की घटना के संदर्भ में भाकियू के राष्ट्रीय महासचिव युद्दवीर सिंह ने केन्द्र आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘भारत सरकार ने जो षडयंत्र किया है उसके लिए प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) गुरुद्वारा शीशगंज जाकर माफी मांगें।’’ उन्होंने मंच से आह्वान किया कि आंदोलन को मजबूत बनाने के लिए पूरा-पूरा परिवार, नहीं तो कम से कम प्रत्येक परिवार का एक सदस्य गाजीपुर पहुंचे।

राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) नेता जयंत चौधरी ने बेहद संक्षिप्त भाषण में कहा कि इस आंदोलन से पूरे उत्तर भारत में क्रांति की लहर है और प्रधानमंत्री को जनमत के आगे झुककर एक कदम पीछे लेना चाहिए।

उन्होंने सोमवार को हुई महापंचायत को शक्ति प्रदर्शन बताते हुए अपने पिता अजीत सिंह की भूमिका का भी इसमे जिक्र किया।

गौरतलब है कि इससे पहले मुजफ्फरनगर, मथुरा और बागपत में तीन महापंचायतों का आयोजन हो चुका है।

केन्द्र के नए कृषि कानूनों को वापस लेने और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर नवंबर के अंत से किसान डेरा डाले हुए हैं। इसी सिलसिले में किसानों ने गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में ट्रैक्टर परेड निकाला। लेकिन कई जगह उग्रता और तोड़फोड़ के कारण पुलिस के साथ किसानों की झड़प हुई और पुलिस को लाठी चार्ज और आंसू गैस के गोलों का सहारा लेना पड़ा। किसानों का एक समूह लाल किला भी पहुंच गया और वहां गुंबद पर तथा ध्वजारोहण स्तंभ पर झंडे लगा दिए। इस स्तंभ पर केवल राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया जाता है।

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री ने गणतंत्र दिवस, मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी में हुई हिंसा के बाद शनिवार को सर्वदलीय बैठक में कहा था कि प्रदर्शनकारी किसानों के लिए उनकी सरकार का प्रस्ताव अब भी बरकरार है और बातचीत करने के लिए बस संपर्क करने भर की जरुरत है।

गणतंत्र दिवस की घटना और गाजीपुर में किसानों और स्वयं कास्थानीय निवासी बताने वालों के एक समूह के बीच पथराव की घटना हुई। दोनों घटनाओं के बाद गाजियाबाद जिला प्रशासन ने गाजीपुर बॉर्डर (यूपी गेट) पर मौजूद आंदोलनकारी किसानों को जगह खाली करने की चेतावनी देते हुए कहा था कि ऐसा नहीं होने पर वह कार्रवाई करेगी।

प्रशासन के इस रुख पर राकेश टिकैत ने बृहस्पतिवार को पीटीआई/भाषा को भेजे एक संदेश में कहा था, "मैं आत्महत्या कर लूंगा लेकिन तब तक आंदोलन समाप्त नहीं करूंगा जब तक कि कृषि कानूनों को रद्द नहीं कर दिया जाता।" उस दौरान पत्रकारों से बातचीत करते हुए वह रो पड़े।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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