लाइव न्यूज़ :

कुछ उद्योगों को ‘चैंपियन’ बनाने के लिए सभी मदद मिले, नौकरीपेशा लोगों के लिए हो करमुक्त बचत योजना: अर्थशास्त्री

By भाषा | Updated: January 31, 2021 12:16 IST

Open in App

(राधा रमण मिश्रा)

नयी दिल्ली, 31 दिसंबर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सोमवार को 2021-22 का आम बजट पेश करेंगी। कोरोना महामारी संकट के बीच लाए जा रहे बजट में सरकार की क्या प्राथमिकताएं होंगी और नौकरीपेशा व आम लोगों के लिए क्या होगा, इसपर सभी की निगाहें होंगी। पेश हैं इस बारे में जाने माने अर्थशास्त्री, प्रोफेसर, आरबीआई निदेशक मंडल के सदस्य तथा शोध संस्थान आरआईएस (विकासशील देशों की अनुसंधान एवं सूचना प्रणाली) के महानिदेशक सचिन चतुर्वेदी से ‘भाषा’ के पांच सवाल और उनके जवाब:

सवाल: कोविड-19 संकट को देखते हुए सरकार के लिए बजट में क्या प्राथमिकताएं होनी चाहिए?

जवाब: मेरे हिसाब से सरकार के लिए तीन प्राथमिकताएं होनी चाहिए। पहला, एमएसएमई क्षेत्र पर ध्यान देने और उसकी स्थिति तथा सेहत सुधारने के लिए जो भी जरूरी हो, सहायता दी जानी चाहिए। यह क्षेत्र बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार देता है। कई मामलों में देखा गया है, कुछ छोटे उद्यमों में चार-पांच लोग ही काम कर रहे हैं। एमएसएमई को कर्ज, पूंजी और प्रोत्साहन के आधार पर वर्गीकत करने की जरूरत है। साथ ही उनके प्रदर्शन का आकलन करते हुए उनकी उत्पादकता और क्षमता बढ़ाने पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

दूसरा, हमें रोजगार पैदा करने के लिए जरूरत और कौशल विकास में तालमेल बनाना होगा। कोविड-19 संकट के दौरान बड़े स्तर पर पलायन को देखते हुए स्थानीय उद्योगों और जरूरतों के हिसाब से लोगों को हुनरमंद बनाने की जरूरत है। तीसरा, हमें ऐसे चार-पांच उद्योगों को ‘चैंपियन’ बनाने की जरूरत है जहां आयात पर निर्भरता ज्यादा है तथा रोजगार सृजन के मौके हैं। इसमें इलेक्ट्रॉनिक, सौर ऊर्जा, औषधि, इलेक्ट्रॉनिक कल-पुर्जे जैसे उद्योग शामिल हैं। इन उद्योगों को प्रौद्योगिकी, बाजार, जरूरी संसाधन, कच्चे माल समेत हरसंभव मदद देकर प्रतिस्पर्धी बनाए जाने की जरूरत है।

सवाल: बजट में नौकरीपेशा और आम लोगों को किस प्रकार राहत मिलने की उम्मीद है?

जवाब: महामारी संकट के कारण सरकार के लिए राजस्व संग्रह कम हुआ है। ऐसे में कर के मोर्चे पर राहत की उम्मीद नहीं है। बचत दर में लगातार कमी आ रही है। महामारी के दौरान पिछले 10 महीने में यह गिरकर 21 प्रतिशत पर आ गई है। ऐसे में बचत को बढ़ाने और इसको लेकर लोगों को आकर्षित करने के लिए नयी दीर्घकलीन करमुक्त बचत योजना लाने की जरूरत है। इसपर 7 से 8 प्रतिशत ब्याज के साथ कर राहत दी जाए। इससे बचत को बढ़ावा मिलने के साथ उद्योगों के लिए भी पूंजी उपलब्ध हो सकेगी।

दूसरा, मांग बढ़ाने के लिए नौकरीपेशा लोगों को कर प्रोत्साहन दिया जा सकता है। जैसे कि ऐसे प्रावधान किए जाएं जिससे संस्थान अगर अपने कर्मचारियों को वाहन जैसे उत्पाद खरीदने के लिए कर्ज दे तो उसपर कर प्रोत्साहन मिलेगा।

सवाल: आर्थिक समीक्षा में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वद्धि को कर्ज से निपटने व गरीबी उन्मूलन के लिहाज से महत्वपूर्ण माना गया है। ऐसे में सरकार को राजकोषीय घाटे के ऊपर वृद्धि को तरजीह किस हद तक देनी चाहिए?

जवाब: चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा लगभग 7 प्रतिशत पहुंच जाने का अंदेशा है जो 2020-21 के बजट अनुमान (3.5 प्रतिशत) का लगभग दोगुना है। इस पर ध्यान देने की जरूरत होगी। लेकिन सरकार के लिए पूंजीगत मदों पर खर्च बढ़ाने की आवश्यकता है। इसके लिए घाटे की चिंता करने की जरूरत नहीं है। लेकिन जो गैर-जरूरी और उपभोग खर्च हैं, उसपर लगाम लगाने की भी आवश्यकता है।

सवाल: महामारी से लोगों की रोजी-रोटी पर असर पड़ा है। ऐसे में क्या सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का दायरा बढ़ाया जाना चाहिए या किसान सम्मान निधि की तरह अन्य जरूरतमंदों को सीधे नकदी सहायती दी जानी चाहिए?

जवाब: प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत सरकार ने जरूरतमंदों को मदद पहुंचाई है। जो लोग संकट से जूझ रहे हैं, उन्हें इसका लाभ मिलते रहना चाहिए। लेकिन नकदी सहायता दिए जाने के बजाए उद्यमिता को बढ़ावा देने की जरूरत है। यह जरूरी है कि लोग अपने पैरों पर खड़े हों यानी उद्यमिता को बढ़ावा दिया जाए। उद्योग ख़ड़ा करने की जरूरत है और उसके लिए हरसंभव मदद मिलनी चाहिए।

सवाल: स्वास्थ्य संकट को देखते हुए क्या आयुष्मान भारत योजना का दायरा बढ़ाया जाना चाहिए। यानी क्या मध्यम वर्ग के लिए सरकार के स्तर पर स्वास्थ्य बीमा योजना लाए जाने की जरूरत है?

जवाब: मध्यम वर्ग को सरकार इसके दायरे में ला सकती है। लेकिन इस संदर्भ में प्रधानमंत्री जन औषधि योजना पर काम किया जा सकता है। आयुर्वेद, एलोपैथी, होम्योपैथ समेत इलाज की सभी विधियों पर काम किया जाए। इससे इलाज को लेकर जो बोझ पड़ता है, उसपर अंकुश लगेगा। इसपर राज्य सरकारें काम कर रही हैं। उन राज्यों को 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर महत्व दिए जाने की जरूरत है, जो इस दिशा में अच्छा काम कर रहे हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

भारतमध्य प्रदेश के सबसे विजनरी सीएम डॉ. मोहन यादव?,  1:48 घंटे नॉनस्टॉप सुनने के बाद हर कोई बोल उठा...

पूजा पाठPanchang 19 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 19 December 2025: आज किसी को भूल से भी पैसे उधार देने से बचें इस राशि के जातक

भारतपत्थर को सांस देने वाले शिल्पी थे राम सुतार

भारतनासिक, जलगांव, नंदुरबार, पुणे और अहिल्या नगर क्षेत्रों से अब तक तेंदुओं हमलों में 40 मौत?, मनुष्यों पर हमले के लिए दोषी नहीं हैं तेंदुए

भारत अधिक खबरें

भारतPunjab Local Body Election Results: पंजाब में 22 जिला परिषद के 347 क्षेत्र और 153 पंचायत समिति के 2,838 क्षेत्रों में चुनाव, आप ने 63 और 54 फीसदी में विजय पताका लहराई, देखिए कौन जीता?

भारतTelangana GP Polls Results: 4159 ग्राम पंचायतों में से कांग्रेस ने 2,246, बीआरएस ने 1,163 और भाजपा ने सीटें जीतीं

भारतमहाराष्ट्र नगर निगम चुनावः कांग्रेस को झटका, राजीव सातव की पत्नी और एमएलसी प्रज्ञा सातव भाजपा में शामिल

भारतगुरु घासीदास बाबा ने समाज को समानता, सद्भाव और मानवता का दिया संदेश: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

भारतभाजपा में संगठन सर्वोपरि और संगठन ही शक्ति व विचारधारा ही प्राण?, भाजपा बिहार के नव नियुक्त अध्यक्ष संजय सरावगी ने कार्यभार संभाला