भारत-पाक सीमा पर तीन साल के बाद फिर बंटेगा ‘शक्कर’ और ‘शर्बत’, दोनों मुल्कों में आवाम साथ मिलकर करेगी जियारत

By सुरेश एस डुग्गर | Published: June 10, 2022 05:12 PM2022-06-10T17:12:59+5:302022-06-10T17:19:49+5:30

भारत-पाक सीमा पर स्थित चमलियाल दरगाह पर 23 जून को अंतरराष्ट्रीय मेला लगेगा। उस दिन पाकिस्तान को तोहफे के तौर पर पवित्र शरबत और शक्कर भेंट की जाती है। भेंट किए गए शरबत शक्कर को सैदांवाली स्थित चमलियाल दरगाह ले जाकर संगत को बांटा जाता है।

After three years on the Indo-Pak border, 'Sugar' and 'Sharbat' will be distributed again, people in both the countries will live together | भारत-पाक सीमा पर तीन साल के बाद फिर बंटेगा ‘शक्कर’ और ‘शर्बत’, दोनों मुल्कों में आवाम साथ मिलकर करेगी जियारत

भारत-पाक सीमा पर तीन साल के बाद फिर बंटेगा ‘शक्कर’ और ‘शर्बत’, दोनों मुल्कों में आवाम साथ मिलकर करेगी जियारत

Highlightsभारत-पाक सीमा स्थित चमलियाल दरगाह पर तीन साल बाद 23 जून को लगेगा अंतरराष्ट्रीय मेलाइस मेले में पाकिस्तान को तोहफे के तौर पर पवित्र शरबत और शक्कर भेंट की जाती हैवहीं पाक रेंजर पवित्र चादर को बाबा चमलियाल की दरगाह पर चढ़ाने के लिए लाते हैं

जम्मू: तीन सालों के बाद भारत-पाक सीमा पर स्थित चमलियाल दरगाह पर 23 जून को अंतरराष्ट्रीय मेला लगेगा। इस बार मेले के आयोजन को लेकर कोई आशंका नहीं है।

हालांकि पर मेले के आयोजन पर दोनों ही मुल्कों के बीच फाइनल मीटिंग अगले हफ्ते होनी बाकी है। पाकिस्तानी रेंजर्स तथा बीएसएफ के बीच कमांडर स्तर की बैठक में मेले के आयोजन को लेकर सहमति हो चुकी है।

लगातार तीन सालों से दोनों मुल्कों के बीच यह मेला नहीं लगा। पिछले दो साल कोरोना की भेंट चढ़ गए जबकि उससे पहले का साल पाक सेना द्वारा की जाने वाली गोलीबारी और बार-बार के सीजफायर उल्लंघन की भेंट चढ़ गया था, पर इस बार अभी तक ऐसी कोई रूकावट मेले के आयोजन के बीच नहीं है।

परंपरा के अनुसार पाकिस्तान स्थित सैदांवाली चमलियाल दरगाह पर वार्षिक साप्ताहिक मेले का आगाज गुरुवार को होता है और अगले गुरुवार को समापन। भारत-पाक विभाजन से पूर्व सैदांवाली तथा दग-छन्नी में चमलियाल मेले में कई बार शरीक हुए बुजुर्ग गुरबचन सिंह, रवैल सिंह, भगतू राम व लेख राज ने बताया कि यह ऐतिहासिक मेला है।

पाकिस्तान के गांव तथा शहरों के लोग बाबा की मजार पर पहुंच कर खुशहाली की कामना करते हैं। भारत-पाक के बीच सरहद बनने के बाद मेले की रौनक कम हो गई। पहले मेले के सातों दिन बाबा की मजार पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता था। वर्तमान में मेले के आखिरी तीन-चार दिन ही अधिक भीड़ रहती है।

जिस दिन भारतीय क्षेत्र दग-छन्नी स्थित बाबा चमलियाल दरगाह पर वार्षिक मेला लगता है, उस दिन पाकिस्तान को तोहफे के तौर पर पवित्र शरबत और शक्कर भेंट की जाती है। भेंट किए गए शरबत शक्कर को सैदांवाली स्थित चमलियाल दरगाह ले जाकर संगत को बांटा जाता है। पाक श्रद्धालु कतारों में लग कर बाबा के पवित्र शरबत शक्कर हासिल करते हैं।

जीरो लाइन पर स्थित चमलियाल सीमांत चौकी पर जो मजार है वह बाबा दीलिप सिंह मन्हास की समाधि है। इसके बारे में प्रचलित है कि उनके एक शिष्य को एक बार चम्बल नामक चर्म हो गया था। बाबा ने उसे इस स्थान पर स्थित एक विशेष कुएं से पानी तथा मिट्टी का लेप शरीर पर लगाने को दिया था। उसके प्रयोग से शिष्य ने रोग से मुक्ति पा ली।

इसके बाद बाबा की प्रसिद्धि बढ़ने लगी तो गांव के किसी व्यक्ति ने उनका गला काटकर उनकी हत्या कर डाली। बाद में उनकी हत्या वाले स्थान पर उनकी समाधि बनाई गई। प्रचलित कथा कितनी पुरानी है कोई जानकारी नहीं है।

इस मेले का एक अन्य मुख्य आकर्षण भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा ट्रालियों तथा टैंकरों में भरकर ‘शक्कर’ तथा ‘शर्बत’ को पाक जनता के लिए भिजवाना होता है। इस कार्य में दोनों देशों के सुरक्षा बलों के अतिरिक्त दोनों देशों के ट्रैक्टर भी शामिल होते हैं और पाक जनता की मांग के मुताबिक उन्हें प्रसाद की आपूर्ति की जाती है।

बदले में सीमा पार से पाक रेंजर उस पवित्र चादर को बाबा की दरगाह पर चढ़ाने के लिए लाते हैं, जिसे पाकिस्तानी जनता देती है। दोनों सेनाओं का मिलन जीरो लाइन पर होता है। यह मिलन कोई आम मिलन नहीं होता बल्कि बेहद ही खास होता है। इस मिलन में एकता और सौहार्द की अद्भुद झलक देखने को मिलती है। 

Web Title: After three years on the Indo-Pak border, 'Sugar' and 'Sharbat' will be distributed again, people in both the countries will live together

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