बोडो समूहों के साथ सोमवार को हुए समझौते की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह समझौता शांति, सद्भाव और एकजुटता की नई सुबह लेकर आएगा और जो लोग सशस्त्र संघर्ष समूहों से जुड़े हुए थे वो मुख्यधारा में शामिल होंगे और राष्ट्र की प्रगति में योगदान देंगे।
उन्होंने कहा कि इस समझौते के बोडो लोगों के लिये परिवर्तनकारी परिणाम होंगे क्योंकि यह प्रमुख पक्षकारों को एक साथ एक प्रारूप में लेकर आएगा और बोडो लोगों की पहुंच विकास केंद्रित पहल तक होगी। प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, “शांति, सद्भाव और एकजुटता की नई सुबह! आज भारत के लिये एक बेहद खास दिन।
बोडो समूहों के साथ आज जिस समझौते पर दस्तखत किये गए उसके बोडो लोगों के लिये परिवर्तनकारी परिणाम होंगे।” उन्होंने कहा कि यह करार कई मायनों में अलग है क्योंकि यह प्रमुख पक्षकारों को एक कार्य ढांचे में साथ लेकर आता है।
उन्होंने कहा, “पूर्व में जो लोग सशस्त्र संघर्ष समूहों के साथ जुड़े हुए थे वे अब मुख्यधारा में शामिल हो रहे हैं और राष्ट्र की प्रगति में योगदान दे रहे हैं।” प्रधानमंत्री ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि बोडो समूहों के साथ हुआ समझौता बोडो लोगों की विशिष्ट संस्कृति को और संरक्षित और लोकप्रिय बनाएगा। उन्होंने कहा, “उनकी पहुंच कई विकास परक पहलों तक होगी। बोडो लोग अपनी अकांक्षाओं को पूरा करें, इसमें मदद करने के लिये हम हरसंभव मदद को प्रतिबद्ध हैं।”
केंद्र सरकार ने असम के खतरनाक उग्रवादी समूहों में से एक, नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) के साथ सोमवार को एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किये। लंबे समय से बोडो राज्य की मांग करते हुए आंदोलन चलाने वाले ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन (एबीएसयू) ने भी इस समझौते पर हस्ताक्षर किये। इस त्रिपक्षीय समझौते पर असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, एनडीएफबी के चार गुटों के नेतृत्व, एबीएसयू, गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव सत्येंद्र गर्ग और असम के मुख्य सचिव कुमार संजय कृष्णा ने गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में हस्ताक्षर किये।
पीएम मोदी ने कहा कि समझौते से बोडो लोगों के लिए परिवर्तनकारी परिणाम सामने आएंगे, यह प्रमुख संबंधित पक्षों को एक प्रारूप के अंतर्गत साथ लेकर आया है। प्रधानमंत्री मोदी ने बोडो शांति समझौते पर कहा कि पहले जो लोग सशस्त्र प्रतिरोध से जुड़े थे, वे अब मुख्यधारा में कदम रखेंगे और राष्ट्र की प्रगति में योगदान करेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह समझौता बोडो लोगों की अनोखी संस्कृति की रक्षा करेगा और उसे लोकप्रिय बनाएगा तथा उन्हें विकासोन्मुखी पहलों तक पहुंच मिलेगी। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया कि बोडो लोगों को अपनी आकांक्षाओं को साकार करने में मदद पहुंचाने के वास्ते हम यथासंभव सबकुछ करने के लिए कटिबद्ध हैं।
सरकार ने सोमवार को असम के खूंखार उग्रवादी समूहों में से एक नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए जिसमें उसे राजनीतिक और आर्थिक फायदे दिए गए हैं लेकिन अलग राज्य या केंद्रशासित क्षेत्र की मांग पूरी नहीं की गई है।
समझौते पर हस्ताक्षर करने वालों में ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन (एबीएसयू) और यूनाइटेड बोडो पीपुल्स ऑर्गेनाइजेशन भी शामिल हैं। एबीएसयू 1972 से ही अलग बोडोलैंड राज्य की मांग के लिए आंदोलन चला रहा है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में त्रिपक्षीय समझौते पर असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, एनडीएफबी, एबीएसयू के चार धड़ों के शीर्ष नेता, गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव सत्येन्द्र गर्ग और असम के मुख्य सचिव कुमार संजय कृष्णा ने हस्ताक्षर किए।
गृह मंत्री ने समझौते को ‘‘ऐतिहासिक’’ करार दिया और कहा कि इससे बोडो लोगों की दशकों पुरानी समस्या का स्थायी समाधान होगा। उन्होंने कहा, ‘‘इस समझौते से बोडो क्षेत्रों का सर्वांगीण विकास होगा और असम की क्षेत्रीय अखंडता से समझौता किए बगैर उनकी भाषा और संस्कृति का संरक्षण होगा।’’
गृह मंत्री ने कहा कि बोडो उग्रवादियों की हिंसा में पिछले कुछ दशकों में चार हजार से अधिक लोगों को जान गंवानी पड़ी। शाह ने कहा कि असम और पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जाएगी। असम के मुख्यमंत्री ने कहा कि समझौते के बाद राज्य में विभिन्न समुदाय सौहार्द के साथ रह सकेंगे।
केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने कहा कि समझौते से बोडो मुद्दे का व्यापक समाधान होगा। उन्होंने कहा, ‘‘यह ऐतिहासिक समझौता है।’’ असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने कहा कि समझौते के मुताबिक एनडीएफबी के 1550 उग्रवादी 30 जनवरी को हथियार छोड़ देंगे, अगले तीन वर्षों में 1500 करोड़ रुपये का आर्थिक कार्यक्रम लागू किया जाएगा जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों की 750 -- 750 करोड़ रुपये की बराबर भागीदारी होगी।
उन्होंने कहा कि बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद् (बीटीसी) के वर्तमान ढांचे को और शक्तियां देकर मजबूत किया जाएगा तथा इसकी सीटों की संख्या 40 से बढ़ाकर 60 की जाएगी। बोडो बहुल गांवों को बीटीसी में शामिल करने और जहां बोडो की बहुलता नहीं है, उन्हें बीटीसी से बाहर निकालने के लिए आयोग का गठन होगा। यह पिछले 27 वर्षों में तीसरा बोडो समझौता है। अलग बोडोलैंड राज्य के लिए चले हिंसक आंदोलन में सैकड़ों लोगों की जान चली गई और सार्वजनिक एवं निजी संपत्तियों को नुकसान हुआ।
शांति समझौता बोडो मुद्दे के पूर्ण, अंतिम समाधान की ओर ले जाएगा : हिमंत
असम के मंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने कहा है कि नयी दिल्ली में सोमवार को हस्ताक्षरित ‘बोडो शांति समझौता’ दशकों पुराने बोडो मुद्दे के ‘‘पूर्ण एवं अंतिम’’ समाधान की ओर ले जाएगा। शर्मा ने एक ट्वीट में कहा कि बोडो शांति समझौता को मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल नीत असम सरकार और बोडोलैंड टेरीटोरियल काउंसिल (बीटीसी) प्रमुख हागरामा मोहीलरी का पूरा समर्थन प्राप्त है, जो इसे दशकों पुराने बोडो मुद्दे को लेकर पूर्ण एवं अंतिम समाधान बनाता है।
नार्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (नेडा) के संयोजक शर्मा ने कहा, ‘‘बोडो समझौता असम की क्षेत्रीय अखंडता को मजबूत करेगा और हमें बोडोलैंड में शांति एवं प्रगति की नयी उम्मीद प्रदान करेगा।’’ उन्होंने इस ऐतिहासिक समझौते को संभव बनाने वाले सभी लोगों का शुक्रिया अदा किया।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आशीर्वाद से और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व के तहत इस पर हस्ताक्षर किये गये। लंबे समय से बोडो राज्य की मांग करते हुए आंदोलन चलाने वाले ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन (एबीएसयू) ने भी इस समझौते पर हस्ताक्षर किए।
इस समझौते पर नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) के सभी चार धड़ों के नेतृत्वों, एबीएसयू प्रमुख प्रमोद बोरो, बीटीसी प्रमुख हागरामा मोहीलरी, सोनोवाल और शर्मा ने हस्ताक्षर किए। सरकार ने असम के सबसे दुर्दांत उग्रवादी समूहों में शामिल एनडीएफबी के साथ सोमवार को समझौते पर हस्ताक्षर किये।