कूनो के बाद अब अफ्रीकी चीतों को कच्छ के घास के मैदान बन्नी में चीता प्रजनन और संरक्षण केंद्र में लाया जाएगा, 600 हेक्टेयर क्षेत्र में एक बाड़ा बनाया जा रहा है

By अनुभा जैन | Published: August 21, 2024 05:24 PM2024-08-21T17:24:37+5:302024-08-21T17:34:13+5:30

कूनो के बाद, चीतों को अब अफ्रीका से गुजरात के कच्छ के उत्तरी भाग में विशाल बन्नी के घास के मैदानों में पुनर्वास कराने की योजना के तहत बनाए जा रहे बन्नी चीता प्रजनन और संरक्षण केंद्र में स्थानांतरित किया जाएगा।

After Kuno African cheetahs will be brought to Cheetah Breeding and Conservation Centre in Banni grasslands of Kutch | कूनो के बाद अब अफ्रीकी चीतों को कच्छ के घास के मैदान बन्नी में चीता प्रजनन और संरक्षण केंद्र में लाया जाएगा, 600 हेक्टेयर क्षेत्र में एक बाड़ा बनाया जा रहा है

(Photos by Dr. Sandeep Kumar, CCF, Kutch circle)

Highlights600 हेक्टेयर क्षेत्र में एक बाड़ा बनाया जा रहा हैचीता प्रजनन कार्यक्रम और आवास सुधार शुरू किया जाएगागुजरात सरकार बन्नी में उपयुक्त बाड़े स्थापित कर रही है

नई दिल्ली: कूनो के बाद, चीतों को अब अफ्रीका से गुजरात के कच्छ के उत्तरी भाग में विशाल बन्नी के  घास के मैदानों में पुनर्वास कराने की योजना के तहत बनाए जा रहे  बन्नी  चीता प्रजनन और संरक्षण केंद्र में स्थानांतरित किया जाएगा। गुजरात सरकार बन्नी में उपयुक्त बाड़े स्थापित कर रही है, जहाँ चीतों का प्रजनन किया जा सकता है। बन्नी घास के मैदान में 8-10 नर और 8-10 मादा चीतों को बसाया जाएगा।

कच्छ सर्कल के मुख्य वन संरक्षक डॉ. संदीप कुमार ने लोकमत प्रतिनिधि डॉ. अनुभा जैन के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि बन्नी घास के मैदान चीतों के पुनर्वास के लिए संभावित और महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है। 2019 के बाद से गुजरात सरकार का वन विभाग इस घास के मैदान को और अधिक प्रमुखता दे रहा है। इसके लिए 14000 हेक्टेयर क्षेत्र का उपचार किया गया है, जो खरपतवारों (वीड्स) से भरा हुआ था और इसलिए कम उत्पादकता वाला माना जाता था। प्रोसोपिस व खरपतवारों को हटा दिया गया है और इस बाड़ वाले क्षेत्र में घास उगाई गई है।

डा.संदीप ने कहा कि कुनो के बाद बन्नी को दूसरे चीता पुनर्वास केंद्र के रूप में आइडेंटिफाय किया गया है, जहां बुनियादी ढांचे में सभी तरह के विकास हो रहे हैं। 600 हेक्टेयर के छोटे से क्षेत्र में बाड़ा बनाया जा रहा है, जहां चीता प्रजनन कार्यक्रम और आवास सुधार शुरू किया जाएगा। इसी तरह, अस्पताल और संगरोध (क्वारंटाइन) केंद्र बनाए जा रहे हैं। चीतों के पुनर्वास के लिए 600 हेक्टेयर का यह क्षेत्र इसलिए चुना गया है क्योंकि पहले इस प्राकृतिक क्षेत्र में चीते पाए जाते थे। साथ ही, यहाँ चीतों के विकास के लिए अच्छे पौधों के साथ उपयुक्त जलवायु भी है। इसके अलावा शिकार घनत्व में सुधार के लिए चिंकारा प्रजनन केंद्र पहले ही बनाया जा चुका है। चिंकारा, चीतल और काले हिरण जैसे शिकार यहाँ छोड़े जा रहे हैं। इन चीतों को शुरू में बन्नी घास के मैदानों के जंगल में नहीं, बल्कि बाड़े में छोड़ा जाएगा।

अधिकांश मालधारी पशुपालक और डेयरी किसान पारंपरिक रूप से बन्नी घास के मैदानों को अपने मवेशियों यानी बन्नी या ‘कच्ची’ भैंसों के लिए खुले चरागाह के रूप में इस्तेमाल करते रहे हैं। इस क्षेत्र में 48 गाँव हैं, जिनमें अलग-अलग उम्र के लगभग 1.5 लाख मवेशी हैं, जो प्रतिदिन लगभग 1.5 लाख लीटर दूध देते हैं। 

इस सवाल पर कि सरकार के इस कदम से मालधारी और उनकी आजीविका को खतरा पैदा हो गया है और बन्नी ब्रीडर्स एसोसिएशन (बीएए), जिसमें सभी बन्नी गांव के ब्रीडर्स शामिल हैं, ने आंदोलन शुरू कर दिया है, क्योंकि उन्हें डर है कि धीरे-धीरे उनकी साझा चरागाह भूमि छीन ली जाएगी के जवाब में डॉ. संदीप ने कहा कि गांव वालों की कुछ चिंताएं थीं, लेकिन उन्हें सुलझा लिया गया है। 

उन्होने कहा कि हमने गांव वालों को स्पष्ट कर दिया है कि जानवरों को पूरे 2.5 लाख हेक्टेयर जंगली क्षेत्र में नहीं, बल्कि पहले सिर्फ 600 हेक्टेयर क्षेत्र में छोड़ा जाएगा। साथ ही, सबसे नजदीकी गांव बाड़े से 8 किलोमीटर दूर है। हमने उन्हें स्पष्ट किया कि ये चीते शेरों की तरह दहाड़ नहीं सकते और इस तरह न ही गांव वालों को या उनके मवेशियों को इससे कोई परेशानी होगी। उन्होंने कहा कि अब गांव वाले हमारा समर्थन कर रहे हैं।

Web Title: After Kuno African cheetahs will be brought to Cheetah Breeding and Conservation Centre in Banni grasslands of Kutch

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