अफगानिस्तान: दूतावास फिर खोलेगा भारत, विकल्पों पर कर रहा विचार, जर्मनी, जापान और ईयू भी तलाश रहे विकल्प
By विशाल कुमार | Published: December 1, 2021 09:42 AM2021-12-01T09:42:33+5:302021-12-01T09:46:02+5:30
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अफगानिस्तान में दोबारा दूतावास शुरू करने का तालिबान को मान्यता से कोई लेना-देना नहीं है। इसका सीधा सा मतलब है कि आप चाहते हैं कि लोग जमीन पर नई व्यवस्था से निपटें, लोगों के साथ जुड़ाव जारी रखें।
नई दिल्ली: संयुक्त अरब अमीरात, जर्मनी, जापान और यूरोपीय संघ (ईयू) के तालिबान के शासन वाले अफगानिस्तान में अपने कर्मचारियों को दोबारा तैनात करने पर विचार करने के बीच भारत भी अपना दूतावास दोबारा शुरू करने के विकल्पों पर विचार कर रहा है।
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अफगानिस्तान में दोबारा दूतावास शुरू करने का तालिबान को मान्यता से कोई लेना-देना नहीं है। इसका सीधा सा मतलब है कि आप चाहते हैं कि लोग जमीन पर नई व्यवस्था से निपटें, लोगों के साथ जुड़ाव जारी रखें।
अधिकारी ने कहा कि मोदी सरकार अपने मिशन को फिर से खोलने की जरूरत को लेकर आश्वस्त नहीं है, लेकिन भारत की रणनीति क्या होनी चाहिए, इस पर चर्चा जारी है।
तालिबान द्वारा 15 अगस्त को शहर पर नियंत्रण करने के दो दिनों के भीतर खाली करने के बाद वर्तमान में काबुल में भारतीय दूतावास बंद है और उसमें तोड़फोड़ या क्षति नहीं हुई है। दूतावास वाली जगह सुरक्षित है और तालिबान उसकी सुरक्षा कर रहा है।
अफगानिस्तान से निकलने से पहले हेरात, मजार-ए-शरीफ, जलालाबाद और कंधार में भारत के वाणिज्य दूतावासों को पूरी तरह से बंद कर दिया गया था और खाली कर दिया गया था।
इन विकल्पों पर विचार कर रहा भारत
अधिकारियों के अनुसार, वहां एक भारतीय मिशन को फिर से नियुक्त करने के कई विकल्प हैं, जिसमें अच्छी तरह से सुरक्षित संयुक्त राष्ट्र परिसर में एक टीम को तैनात करना, स्थानीय अफगान कर्मचारियों को रखना या दूतावास में ही राजनयिकों और सुरक्षा कर्मियों के एक छोटे समूह को बनाए रखना शामिल है।
मंगलवार को द वायर को दिए एक इंटरव्यू में दशकों पहले अफगानिस्तान में राजदूत रह चुके पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने भारत से अपनी राजनयिक उपस्थिति को फिर से खोलने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि निस्संदेह हमें अपना दूतावास यथाशीघ्र फिर से खोलना चाहिए। हम पहले से ही दोहा और मॉस्को में तालिबान के संपर्क में हैं और इसलिए यह एक औपचारिकता है।
अन्य साझेदार और मित्र देशों के फैसलों पर भारत की नजर
अधिकारियों का कहना है कि यह इस बात पर निर्भर करेगा कि भारत के अन्य साझेदार और मित्र देश क्या करना चुनते हैं।
नवंबर में यूएई ने काबुल में कामकाज फिर से शुरू किया जो रूस, चीन, ईरान, पाकिस्तान, कतर, तुर्की, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान सहित वहां खुले दूतावासों की सूची में जुड़ गया।
पिछले महीने अमेरिका और दोहा ने काबुल में कतरी दूतावास के लिए अमेरिका के राजनयिक हितों का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।
पिछले सप्ताह अफगानिस्तान के लिए विशेष दूत टॉमस निकलासन के नेतृत्व में यूरोपीय संघ (ईयू) के अधिकारियों ने दोहा में तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मोटाकी के साथ बातचीत की, जहां दोनों पक्षों ने इस बात पर चर्चा की कि कड़ाके की ठंड और गंभीर कुपोषण का सामना कर रहे अफगानों को भोजन, चिकित्सा और मौद्रिक सहायता कैसे प्रदान की जाए।