अंतिम आवंटन पत्र जारी होने के बाद खोरी के लोगों से अग्रिम राशि एकत्र की जाएगी : न्यायालय

By भाषा | Published: October 22, 2021 09:41 PM2021-10-22T21:41:43+5:302021-10-22T21:41:43+5:30

Advance amount will be collected from people of Khori after final allotment letter is issued: Court | अंतिम आवंटन पत्र जारी होने के बाद खोरी के लोगों से अग्रिम राशि एकत्र की जाएगी : न्यायालय

अंतिम आवंटन पत्र जारी होने के बाद खोरी के लोगों से अग्रिम राशि एकत्र की जाएगी : न्यायालय

नयी दिल्ली, 22 अक्टूबर उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि फरीदाबाद के खोरी गांव के पात्र आवेदकों से पुनर्वास योजना के तहत ईडब्ल्यूएस फ्लैट के लिए अग्रिम राशि तभी वसूल की जाएगी जब उन्हें अंतिम आवंटन पत्र जारी कर दिया जाएगा। इस गांव में अरावली वन क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले अनधिकृत मकानों को शीर्ष न्यायालय के आदेश के बाद तोड़ दिया गया था।

खोरी गांव से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही शीर्ष अदालत को याचिकाकर्ताओं में से एक ने सूचित किया कि प्राधिकरण ने उन्हें पत्र भेजकर कहा है कि कि उनको आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) फ्लैट के अनंतिम आवंटन के लिए 17,000 रुपये का अग्रिम भुगतान करना होगा।

फरीदाबाद नगर निगम के वकील ने न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ को बताया कि ऐसा प्रतीत होता है कि भुगतान करने से संबंधित कुछ पत्र अनजाने में जारी हो गए हैं और उन्हें तुरंत वापस ले लिया जाएगा।

पीठ ने अपने आदेश में कहा, "नवीनतम योजना के अनुसार लॉट के ड्रा के बाद अंतिम आवंटन पत्र जारी होने पर ही संबंधित आवंटियों से अग्रिम राशि एकत्र की जाएगी।"

याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख ने कहा कि शीर्ष अदालत ने पहले कहा था कि ड्रा के उपरांत अंतिम आवंटन होने के बाद ही भुगतान का सवाल उठेगा।

पारिख ने कहा कि दूसरा मुद्दा पात्र आवेदकों के छह महीने तक 2,000 रुपये प्रति माह के भुगतान के संबंध में है, जिन्हें अस्थायी आवास नहीं दिया जा रहा है।

इस मुद्दे पर, नगर निगम की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण भारद्वाज ने कहा कि शिकायत पर गौर किया जाएगा और यदि भुगतान न करने का मामला सत्यापन का विषय है तो सुधारात्मक कदम उठाए जाएंगे।

भारद्वाज ने पीठ से कहा कि याचिकाकर्ता अदालत में आवेदन दायर करने से पहले मुद्दों पर उनके साथ संवाद कर सकते हैं ताकि जरूरत पड़ने पर वह नगर निकाय को उचित कदम उठाने की सलाह दे सकें।

पीठ ने उनके रुख की सराहना की और कहा कि भविष्य में याचिकाकर्ताओं को उस मुद्दे के बारे में निगम के वकील को सूचित करना चाहिए जिसके संबंध में निवारण की मांग की जा रही है।

न्यायालय ने कहा कि यदि मामला सूचना की तारीख से दो सप्ताह से अधिक समय तक अनसुलझा रहता है, तो याचिकाकर्ता इस संबंध में अदालत के समक्ष आवेदन कर सकते हैं।

मामले में अगली सुनवाई 13 नवंबर को होगी।

पीठ ने वन भूमि के मुद्दे से संबंधित मामले को भी देखा जिसमें हरियाणा सरकार ने बृहस्पतिवार को हलफनामा दायर किया था।

न्यायालय ने कहा कि वह इस मामले में 15 नवंबर को दलीलें सुनेगा।

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