आदर्श धोखाधड़ी मामला: SC ने कहा- वह इस बात पर करेगा गौर कि दिल्ली HC को जमानत का अधिकार है या नहीं?

By भाषा | Published: January 15, 2019 05:11 AM2019-01-15T05:11:12+5:302019-01-15T05:11:12+5:30

शीर्ष अदालत ने ‘आदर्श क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी’ के प्रबंध निदेशक राहुल मोदी से पूछा कि किसी व्यक्ति के न्यायिक आदेश पर हिरासत में मौजूद होने पर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका कैसे दायर की जा सकती है।

Adarsh fraud case: SC asks if Delhi HC has power to grant bail when case initiated in Gurugram | आदर्श धोखाधड़ी मामला: SC ने कहा- वह इस बात पर करेगा गौर कि दिल्ली HC को जमानत का अधिकार है या नहीं?

आदर्श धोखाधड़ी मामला: SC ने कहा- वह इस बात पर करेगा गौर कि दिल्ली HC को जमानत का अधिकार है या नहीं?

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह इस बात पर गौर करेगा कि दिल्ली उच्च न्यायालय को ऐसे किसी व्यक्ति को जमानत देने का अधिकार है या नहीं जिसके खिलाफ गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) ने 200 करोड़ रुपये के कथित गबन पर अभियोजन शुरू किया है।

शीर्ष अदालत ने ‘आदर्श क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी’ के प्रबंध निदेशक राहुल मोदी से पूछा कि किसी व्यक्ति के न्यायिक आदेश पर हिरासत में मौजूद होने पर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका कैसे दायर की जा सकती है।

राहुल मोदी को एसएफआईओ ने गिरफ्तार किया था और उसे उच्च न्यायालय ने जमानत दी थी। एसएफआईओ कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के अधीन आता है जो मुख्य रूप से भ्रष्टाचार के बड़े मामलों की जांच करता है।

न्यायमूर्ति ए एम सप्रे और न्यायमूर्ति यू यू ललित की पीठ ने मोदी से पूछा कि क्या दिल्ली उच्च न्यायालय ने उन्हें जमानत देकर सही किया जबकि जमानत याचिका दायर तक नहीं की गई।

पीठ ने कहा, ‘‘आपको हमें इस बात पर भी संतुष्ट करना होगा कि हरियाणा के गुरुग्राम में अभियोजन शुरू होने पर, क्या इस मामले में आरोपी द्वारा दायर याचिका विचारार्थ स्वीकार करने का क्षेत्राधिकार दिल्ली उच्च न्यायालय के पास था।’’ 

एसएफआईओ की ओर से पेश सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह वित्तीय धोखाधड़ी का गंभीर मामला है और उच्च न्यायालय ने गुरुग्राम की एक विशेष अदालत के आदेश को निरस्त कर दिया। 

उन्होंने दावा किया कि आदेश को चुनौती नहीं दी गई थी और उच्च न्यायालय के पास ऐसा करने का क्षेत्राधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा आरोपी को अंतरिम जमानत देते हुए की गई टिप्पणियां शीर्ष अदालत के कई फैसलों के खिलाफ हैं।

मोदी की ओर से पेश कपिल सिब्बल ने कहा कि गिरफ्तारी दिल्ली में हुई है और एसएफआईओ मुख्यालय राष्ट्रीय राजधानी में है। इसलिए, दिल्ली उच्च न्यायालय के पास याचिका विचारार्थ स्वीकार करने का क्षेत्राधिकार है।

उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत के ऐसे कई फैसले हैं जो कहते हैं कि अगर कोई व्यक्ति किसी न्यायिक आदेश द्वारा हिरासत में मौजूद है तब भी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की जा सकती है।

इस पर पीठ ने कहा कि इसका मतलब यह नहीं कि अगर एसएफआईओ देश में कहीं किसी को गिरफ्तार करता है तो दिल्ली उच्च न्यायालय के पास याचिका विचारार्थ स्वीकार करने का क्षेत्राधिकार होगा।

सिब्बल ने कहा कि हिरासत में रहने के दौरान उन्हें दिल्ली में रखा गया और जमानत के बाद, मोदी जांच में सहयोग कर रहे हैं। इस मामले की सुनवाई पूरी नहीं हो पाई और यह 23 जनवरी को जारी रहेगी।

एसएफआईओ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के पिछले साल के 21 दिसंबर के आदेश को चुनौती दी है जिसमें उसने ‘आदर्श क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी’ के संस्थापक और प्रबंध निदेशक मुकेश मोदी और राहुल मोदी को अंतरिम जमानत मंजूर की थी। इन दोनों को एजेंसी ने गिरफ्तार किया था।

Web Title: Adarsh fraud case: SC asks if Delhi HC has power to grant bail when case initiated in Gurugram

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