बिहार में करारी हार, कांग्रेस में बवाल, प्रदेश संगठन में बदलाव की मांग, 70 में से 19 पर जीते
By एस पी सिन्हा | Published: November 19, 2020 08:21 PM2020-11-19T20:21:26+5:302020-11-19T20:22:24+5:30
बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के साथ मिलकर 70 सीटों पर उम्मीदवार उतारने वाली कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा है. यहां उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के 70 में से कुल 19 उम्मीदवार की विधानसभा पहुंच पाए हैं.
पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस में शीर्ष नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं तक में रोष भरा हुआ है. उम्मीद के अनुरूप प्रदर्शन नहीं होने पर प्रदेश संगठन पर बदलाव की मांग लगातार हो रही है. ऐसे में आपस में ही सभी नेता एक-दूसरे पर हार का ठीकरा फोड़ रहे हैं.
ऐसे में बिहार विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस के प्रदेश समिति में बदलाव तय माना जा रहा है. कारण कि बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के साथ मिलकर 70 सीटों पर उम्मीदवार उतारने वाली कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा है. यहां उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के 70 में से कुल 19 उम्मीदवार की विधानसभा पहुंच पाए हैं.
ऐसे में पार्टी के इस प्रदर्शन को देखते हुए अब इसकी जवाबदेही तय करने की तैयारी शुरू हो गई है. बिहार चुनाव में हार की समीक्षा की मांग अब पार्टी के अंदर तेजी से उठने लगी है. कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में चुनाव के अंदर खराब प्रदर्शन की समीक्षा करने की घोषणा के बाद अब पार्टी के अंदर प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा को हटाने को लेकर दबाव बढ़ा हुआ है.
पार्टी के अंदर से ही अध्यक्ष के खिलाफ आवाज उठने लगी है. वैसे, हार के कारणों को लेकर समीक्षा की बात की जा रही है, लेकिन अब तक जिम्मेदारी तय नहीं की गई है. पार्टी के भीतर जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की मांग भी तेज हो गई है. कांग्रेस के अंदर से ही उठ रही इस आवाज को देखते हुए शक्ति सिंह गोहिल ने अपने इस्तीफे की पेशकश कांग्रेस आलाकमान के सामने कर दी है.
गोहिल ने अपने इस्तीफा राष्ट्रीय अध्यक्ष को भेज दिया
पार्टी के सूत्र बता रहे हैं कि गोहिल ने अपने इस्तीफा राष्ट्रीय अध्यक्ष को भेज दिया है. चर्चा यह भी है कि प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा ने भी कांग्रेस आलाकमान के सामने पद छोडने की पेशकश की है. हालांकि अधिकारिक तौर पर किसी ने भी इस बात की अब तक पुष्टि नहीं की है.इसी क्रम में अब सूत्रों से खबर आई है कि कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में चुनाव में खराब प्रदर्शन की समीक्षा करने के ऐलान के बाद कई पार्टी नेताओं ने अपने पद से इस्तीफा देने की पेशकश की है.
वहीं, महागठबंधन के अंदर भी यह आवाज उठ रही है कि कांग्रेस के कमजोर प्रदर्शन की वजह से जहां महागठबंधन के हाथों से सत्ता छूट गई, वहीं फिर से एनडीए को सत्ता नसीब हो गई. भाजपा जहां 74 सीटों के साथ एनडीए में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर कर सामने आई, वहीं कांग्रेस 70 सीटों पर लड़कर भी सिर्फ 19 सीटों पर ही जीत हासिल कर सकी.
पार्टी के अंदर ही चौतरफा सवाल उठ रहे हैं
कांग्रेस ने इस विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे में जो कुछ किया, उस पर पार्टी के अंदर ही चौतरफा सवाल उठ रहे हैं. पार्टी के प्रदेश कार्यालय सदाकत आश्रम में भी कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ आवाज उठाई जाने लगी है. सूत्रों की अगर मानें तो कांग्रेस आलाकमान ने मदन मोहन झा को दिल्ली तलब किया है.
यहां बता दें कि कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने टिकट बंटवारे में लेन-देन और अन्य गडबडियों के आरोप भी लगाए थे. कांग्रेस प्रदेश समिति के पूर्व उपाध्यक्ष कैलाश पाल भी कहते हैं कि टिकट बंटवारे में सामाजिक समीकरणों की अनदेखी की गई. उन्होंने कहा कि सभी दल पिछडे़ और अति पिछड़ों को साधने की कोशिश में जुटे थे. जबकि कांग्रेस में 70 में से केवल एक टिकट अतिपिछड़ा वर्ग को दिया गया.
उन्होंने कहा कि कहीं न कहीं तो गड़बड़ी हुई है तभी तो इतनी करारी हार हुई है. उल्लेखनीय है 2015 विधानसभा चुनाव परिणाम से उत्साहित कांग्रेस ने इस चुनाव में राजद पर दबाव बनाकर अपने हिस्से में 70 सीटें कर ली थीं, लेकिन मात्र 19 सीटें ही जीत सकी. ऐसी स्थिति में ना केवल पार्टी के अंदर बल्कि महागठबंधन में भी कांग्रेस के विरोध में आवाज उठ रही है.
राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने तो कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व पर भी सवाल खडे़ कर दिए हैं. जबकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तारिक अनवर भी कहते हैं कि कांग्रेस की वजह से ही महागठबंधन की हार हुई है. उन्होंने कहा कि टिकट बंटवारे में गड़बड़ी हुई हो या प्रचार में कमी हुई हो, कुछ न कुछ कमी रही तभी तो हार हुई है. उन्होंने कहा कि इसकी समीक्षा होनी चाहिए.