सैयद अली शाह गिलानी के निधन के साथ ही अलगाववादी राजनीति के एक अध्याय का अंत

By भाषा | Published: September 2, 2021 10:29 AM2021-09-02T10:29:39+5:302021-09-02T10:29:39+5:30

A chapter of separatist politics ends with the death of Syed Ali Shah Geelani | सैयद अली शाह गिलानी के निधन के साथ ही अलगाववादी राजनीति के एक अध्याय का अंत

सैयद अली शाह गिलानी के निधन के साथ ही अलगाववादी राजनीति के एक अध्याय का अंत

पाकिस्तान समर्थक सैयद अली शाह गिलानी के निधन के साथ ही कश्मीर में भारत-विरोधी और अलगाववादी राजनीति के एक अध्याय का अंत हो गया। जम्मू-कश्मीर में तीन दशकों से अधिक समय तक अलगाववादी मुहिम का नेतृत्व करने वाले गिलानी का जन्म 29 सितंबर 1929 को बांदीपुरा जिले के एक गांव में हुआ था। उन्होंने लाहौर के ‘ओरिएंटल कॉलेज’ से अपनी पढ़ाई पूरी की। ‘जमात-ए-इस्लामी’ का हिस्सा बनने से पहले उन्होंने कुछ वर्ष तक एक शिक्षक के तौर पर नौकरी की। कश्मीर में अलगाववादी नेतृत्व का एक मजूबत स्तंभ माने जाने वाले गिलानी भूतपूर्व राज्य में सोपोर निर्वाचन क्षेत्र से तीन बार विधायक रहे। उन्होंने 1972, 1977 और 1987 में विधानसभा चुनाव जीता हालांकि,1990 में कश्मीर में आतंकवाद बढ़ने के बाद वह चुनाव-विरोधी अभियान के अगुवा हो गए। वह हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के संस्थापक सदस्यों में से एक थे, जो 26 पार्टियों का अलगाववादी गठबंधन था। लेकिन बाद में उन नरमपंथियों ने इस गठबंधन से नाता तोड़ लिया था, जिन्होंने कश्मीर समस्या के समाधान के लिए केन्द्र के साथ बातचीत की वकालत की थी। इसके बाद 2003 में उन्होंने तहरीक-ए-हुर्रियत का गठन किया। हालांकि, 2020 में उन्होंने हुर्रियत राजनीति को पूरी तरह अलविदा कहने का फैसला किया और कहा कि 2019 में अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को खत्म करने के केंद्र के ‍फैसले के बाद दूसरे स्तर के नेतृत्व का प्रदर्शन बेहतर नहीं रहा। गिलानी को 2002 से ही गुर्दे संबंधी बीमारी थी और इसके चलते उनका एक गुर्दा निकाला भी गया था। पिछले 18 महीने से उनकी हालत लगातार बिगड़ रही थी। मुख्यधारा के नेताओं के विरोधी होने के बावजूद, गिलानी को एक सभ्य नेता के रूप में देखा जाता था। सज्जाद लोन ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है, जिन्होंने कभी गिलानी पर ऐसे उकसाने वाले बयान देने का आरोप लगाया था, जिसके कारण उनके पिता अब्दुल गनी लोन की हत्या की गई। सज्जाद लोन ने कहा, ‘‘ सयैद अली शाह गिलानी साहिब के परिवार के साथ मेरी संवेदनाएं हैं। वह मेरे दिवंगत पिता के सम्मानित सहकर्मी थे। अल्लाह उन्हें जन्नत बख्शे।’’ पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। गिलानी का बुधवार रात उनके आवास पर निधन हो गया था। वह 91 वर्ष के थे। उनके परिवार में उनके दो बेटे और छह बेटियां हैं। उन्होंने 1968 में अपनी पहली पत्नी के निधन के बाद दोबारा विवाह किया था।

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