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Chandrayaan-2: इसरो ने दी खुशखबरी, चंद्रयान-2 आर्बिटर चंद्रमा की कक्षा में सुरक्षित, सामान्य तरीके से कर रहा है काम

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 7, 2019 08:28 IST

ऑर्बिटर इस दौरान चंद्रमा की कई फोटो लेगा और इसरो को भेजेगा। अंतरिक्ष एजेंसी के अधिकारी ने कहा ऑर्बिटर लैंडर की तस्वीर भी ले सकता है। इससे लैंडर की स्थिति की जानने में मदद मिल सकती है।

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ठळक मुद्दे‘चंद्रयान-2’ के लैंडर ‘विक्रम’ का बीती रात चांद पर उतरते समय जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया। इसके साथ ही वैज्ञानिकों और देश के लोगों के चेहरे पर निराशा की लकीरें छा गईं।

चंद्रमा की सतह को छूने से चंद मिनट पहले लैंडर ‘विक्रम’ का जमीनी स्टेशन से संपर्क टूटने के बाद इसरो के एक अधिकारी ने शनिवार को बताया कि चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर चंद्रमा की कक्षा में सुरक्षित है। 

अधिकारी ने ‘पीटीआई’ से कहा, ‘‘ऑर्बिटर चंद्रमा की कक्षा में पूरी तरह ठीक एवं सुरक्षित है और सामान्य तरीके से काम कर रहा है।’’ 2379 किलोग्राम ऑर्बिटर के मिशन का जीवन काल एक साल है। 

उल्लेखनीय है कि 3,840 किलोग्राम वजनी चंद्रयान-2 को 22 जुलाई को जीएसएलवी एमके-3 एम1 रॉकेट से प्रक्षेपित किया गया था। 

चंद्रयान-2 ने धरती की कक्षा छोड़कर चंद्रमा की तरफ अपनी यात्रा 14 अगस्त को इसरो द्वारा ‘ट्रांस लूनर इन्सर्शन’ नाम की प्रक्रिया को अंजाम दिये जाने के बाद शुरू की थी। 

यह प्रक्रिया अंतरिक्ष यान को ‘लूनर ट्रांसफर ट्रेजेक्ट्री’ में पहुंचाने के लिये अपनाई गई। अंतरिक्ष यान 20 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में पहुंच गया था। 

चंद्रयान-2 के ‘ऑर्बिटर’ में चंद्रमा की सतह का मानचित्रण करने और पृथ्वी के इकलौते उपग्रह के बाह्य परिमंडल का अध्ययन करने के लिए आठ वैज्ञानिक उपकरण हैं। 

इसरो ने दो सितंबर को ऑर्बिटर से लैंडर को अलग करने में सफलता पाई थी, लेकिन शनिवार तड़के विक्रम का जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया था। इसरो ने कहा है कि वह आंकड़ों का विश्लेषण कर रहा है। 

इसरो के एक वैज्ञानिक ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि लैंडर से संपर्क टूटने के बावजूद 95 फीसदी मिशन ठीक है। इस मिशन की अवधि एक साल की है।

इससे पहले ‘चंद्रयान-2’ के लैंडर ‘विक्रम’ का बीती रात चांद पर उतरते समय जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया। सपंर्क तब टूटा जब लैंडर चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर था। 

लैंडर को रात लगभग एक बजकर 38 मिनट पर चांद की सतह पर लाने की प्रक्रिया शुरू की गई, लेकिन चांद पर नीचे की तरफ आते समय चंद्र सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर जमीनी स्टेशन से इसका संपर्क टूट गया। 

‘विक्रम’ ने ‘रफ ब्रेकिंग’ और ‘फाइन ब्रेकिंग’ चरणों को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया, लेकिन ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ से पहले इसका संपर्क धरती पर मौजूद स्टेशन से टूट गया। 

इसके साथ ही वैज्ञानिकों और देश के लोगों के चेहरे पर निराशा की लकीरें छा गईं। इसरो अध्यक्ष के. सिवन इस दौरान कुछ वैज्ञानिकों से गहन चर्चा करते दिखे। 

उन्होंने घोषणा की कि ‘विक्रम’ लैंडर को चांद की सतह की तरफ लाने की प्रक्रिया योजना के अनुरूप और सामान्य देखी गई, लेकिन जब यह चंद्र सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर था तो तभी इसका जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया। डेटा का अध्ययन किया जा रहा है। 

टॅग्स :चंद्रयानभारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठनमोदी
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