74 वर्षीय वृद्धा का IBF पद्धति से कराया गया था गर्भाधान, डॉक्टर ने कहा- अब ऐसे लोगों की लग गई है कतार
By एस पी सिन्हा | Published: September 10, 2019 07:47 PM2019-09-10T19:47:15+5:302019-09-10T20:53:54+5:30
बिहारः प्रसिद्ध बांझपन रोग विशेषज्ञ डॉ. जयदीप मल्होत्रा ने बताया कि 74 वर्ष के बाद आइवीएफ से बच्चे होने से कई कपल केंद्र पर आने लगे हैं. कइयों की उम्र 70 से ज्यादा है.
आंध्र प्रदेश की गुंटूर की 74 वर्ष की महिला मंगायम्मा को आइवीएफ पद्धति से दो बच्चे होने पर इंडियन सोसाइटी ऑफ असिस्टेंट रिप्रोडक्शन (आईएसएआर) की राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रसिद्ध बांझपन रोग विशेषज्ञ डॉ. जयदीप मल्होत्रा ने काफी नाराजगी जताई है. उन्होंने इसे नियम विरुद्ध बताया है. उनके अनुसार नियमानुसार 18 से 45 वर्ष तक की महिला को ही आईवीएफ कराना चाहिए.
प्रसिद्ध बांझपन रोग विशेषज्ञ डॉ. जयदीप मल्होत्रा ने बताया कि 74 वर्ष के बाद आइवीएफ से बच्चे होने से कई कपल केंद्र पर आने लगे हैं. कइयों की उम्र 70 से ज्यादा है. ऐसे में प्रेग्नेंसी खतरे से खाली नहीं होती. आइवीएफ में जटिलताएं ज्यादा होती है. सामान्य मौतों की तुलना में यहां मौतों की संख्या दोगुनी होती है.
डॉ. मल्होत्रा ने कहा कि प्रदूषण, सब्जियों में कीटनाशक, मोबाइल और लैपटॉप रखने के कारण भी बांझपन की शिकायत तेजी से हो रही है. पुरुषों में जहां स्पर्म कम हो रहे हैं. वहीं महिलाओं में अंडाणु कम हो रहे हैं, जो बांझपन का कारण हैं. 35 वर्ष से पहले शादी के एक वर्ष तक बच्चा नहीं होने पर बांझपन के संकेत होते हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि बांझपन एक बड़ी समस्या बनकर उभर रही है, ऐसे लोगों के लिए इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) किसी वरदान से कम नहीं है. लेकिन इसके लिए कई गाइडलाइन और कानून भी हैं. जिसे कई आइवीएफ केंद्र पूरे नहीं कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि नियमानुसार 18 से 45 वर्ष तक की महिला को ही आईवीएफ कराना चाहिए. डॉ. मल्होत्रा ने कहा कि ऐसे केंद्र के विरुद्ध हम लोग कार्रवाई भी कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि देश भर में 4000 से ज्यादा आईवीएफ केंद्र हैं.