MPPSC की तैयारी करने वाली 25 साल की लड़की ने राखी के त्योहार पर समाज को दिया ये संदेश, आप भी सुनकर करेंगे प्रशंसा
By भाषा | Published: August 12, 2019 03:35 PM2019-08-12T15:35:05+5:302019-08-12T15:35:05+5:30
सृष्टि ने अपने भाइयों को न केवल लिखकर बल्कि मोबाइल फोन के माध्यम से भी बता दिया है कि वे राखी के त्यौहार के बाद इस राखी को उतार कर फेंकने के बजायउसमें से बीज निकाल कर उन्हें मिट्टी में दबा दें ताकि उनमें से पौधे निकल सकें।
भोपाल की एक लड़की ने आने वाले राखी के त्यौहार को देखते हुए इसके माध्यम से हरित क्रांति का सन्देश देने का प्रयास किया है अर्थशास्त्र में एमए करने के बाद मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग की परीक्षा की तैयारी कर रही 25 वर्षीय सृष्टि सिन्हा ने विभिन्न सब्जियों के बीजों से पर्यावरण हितैषी राखियाँ तैयार की हैं।
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि वह राखी के माध्यम से लोगों को पेड़ लगाने का संदेश देना चाहती हैं। इसके लिए उन्होंने विभिन्न पौधों के बीजों से हरित राखियां तैयार की हैं। ये पर्यावारण हितैषी राखियां लोगों को पेड़ लगाने की प्रेरणा देंगी और ये बाज़ार में उपलब्ध सामान्य राखियों से आधी से भी कम कीमत में तैयार की गई हैं।
सृष्टि ने बताया कि उन्होंने विभिन्न बीज लिए तथा उनको पानी में नष्ट हो जाने वाले कागज के साथ रंगीन धागों के माध्यम से बांधकर राखी बनाई है। सृष्टि ने अपने भाइयों को न केवल लिखकर बल्कि मोबाइल फोन के माध्यम से भी बता दिया है कि वे राखी के त्यौहार के बाद इस राखी को उतार कर फेंकने के बजायउसमें से बीज निकाल कर उन्हें मिट्टी में दबा दें ताकि उनमें से पौधे निकल सकें।
उन्होंने बताया कि उन्होंने मात्र 20 रूपए में बाज़ार से रंगीन धागे और सजावट का सामान लिया तथा नर्सरी से 30 रूपए में अलग अलग तरह के बीज लिए। मात्र दो घंटे की मेहनत से 30 से अधिक रंगीन राखियां बन गईं। एक राखी दो रूपए से भी कम कीमत में पड़ी।
सृष्टि ने कहा कि उन्होंने 30 रखियां डाक के माध्यम से अपने भाइयों को भेजी हैं और इसमें से यदि 20 पौधे भी उग आये तो न केवल उनका उद्देश्य पूरा हो जायेगा बल्कि जीवन भर उनके भाइयों को उनकी याद दिलाता रहेगा।
उन्होंने कहा कि अभी उन्होंने यह पहला प्रयास किया है और उन्होंने कुछ ही बीजों का उपयोग किया है लेकिन यदि देश की हर लड़की अपने भाइयों को राखी के त्यौहार पर एसी ही राखी भेजे और उनमें यदि अलग अलग बीजों का इस्तेमाल करे तो उनकी संख्या करोडों में होगी और देश में अलग से पेड़ लगाने के अभियान चलाने की जरुरत भी नहीं पड़ेगी।