12 विपक्षी सांसदों का निलंबन: वेंकैया नायडू का निलंबन वापसी से इनकार, दोनों सदनों से विपक्ष का वाकआउट, गांधी प्रतिमा पर प्रदर्शन
By विशाल कुमार | Published: November 30, 2021 11:42 AM2021-11-30T11:42:27+5:302021-11-30T11:52:54+5:30
विपक्षी सदस्यों के अनुरोध को खारिज करते हुए नायडू ने कहा कि पिछले मानसून सत्र का कड़वा अनुभव आज भी हममें से अधिकांश लोगों को परेशान करता है। मैं पिछले सत्र में जो हुआ उस पर नाराजगी व्यक्त करने के लिए सदन की प्रमुख हस्तियों के नेतृत्व की प्रतीक्षा कर रहा था.
नई दिल्ली: राज्यसभा के अगस्त में हुए मॉनसून सत्र के दौरान ‘अशोभनीय आचरण’ के लिए 12 सदस्यों को सोमवार को वर्तमान शीतकालीन सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित किए जाने को वापस लेने की मांग को सभापति वेंकैया नायडू ने आज खारिज कर दिया. इस पर आक्रोश जताते हुए विपक्षी सदस्यों ने लोकसभा और राज्यसभा दोनों ही सदनों से वाकआउट कर गए.
विपक्षी सदस्यों के अनुरोध को खारिज करते हुए नायडू ने कहा कि पिछले मानसून सत्र का कड़वा अनुभव आज भी हममें से अधिकांश लोगों को परेशान करता है। मैं पिछले सत्र में जो हुआ उस पर नाराजगी व्यक्त करने के लिए सदन की प्रमुख हस्तियों के नेतृत्व की प्रतीक्षा कर रहा था.
इस पर राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुल खड़गे ने कहा कि हम आपके कार्यालय में 12 सांसदों के निलंबन को रद्द करने का अनुरोध करने आए थे। घटना पिछले मानसून सत्र की है। तो, अब आप यह निर्णय कैसे ले सकते हैं.
इसके बाद नायडू ने कहा कि राज्यसभा के सभापति को कार्रवाई करने का अधिकार है और सदन कार्रवाई भी कर सकता है.
लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि हमने राज्यसभा के उन 12 विपक्षी सदस्यों का समर्थन करने के लिए लोकसभा से वाकआउट किया है जिन्हें निलंबित कर दिया गया है। मौजूदा शीतकालीन सत्र से निलंबन की कार्रवाई पहले के काम की सजा की ओर इशारा कर रही है। माफी क्यों जारी की जानी चाहिए?
जिन सदस्यों को निलंबित किया गया है, उनमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के इलामारम करीम, कांग्रेस की फूलों देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री, शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम शामिल हैं।
इससे पहले आज की सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले 17 विपक्षी दलों के नेताओं ने सदन की आगे की रणनीति को लेकर चर्चा की थी और इसके बाद निलंबन वापस लेने का अनुरोध लेकर सभापति के कार्यालय गए थे.