फिल्म Soorma के रिलीज से पहले जानिए संदीप सिंह की पूरी कहानी, संघर्षों को मात देकर हुआ एक लीजेंड का जन्म
By सुमित राय | Published: June 12, 2018 09:46 AM2018-06-12T09:46:16+5:302018-06-12T10:30:24+5:30
Soorma: फिल्म में संदीप के बचपन से लेकर उनके संघर्ष, लगन और नंबर वन फ्लिकर के बाद हॉकी लीजेंड बनने तक के सफर को दिखाया गया है।
भारतीय हॉकी खिलाड़ी और टीम इंडिया के पूर्व कप्तान संदीप सिंह के जीवन पर आधारित फिल्म 'सूरमा' का ट्रेलर लॉन्च हो गया है। इस बायोपिक में संदीप सिंह का किरदार दिलजीत दोसांझ निभा रहे हैं। फिल्म में दिलजीत के साथ तापसी पन्नू भी लीड रोल में हैं, जो उनकी पत्नी का किरदार निभा रही हैं। यह फिल्म 13 जुलाई, 2018 को रिलीज होगी।
फिल्म में संदीप के बचपन से लेकर उनके संघर्ष, लगन और नंबर वन फ्लिकर के बाद हॉकी लीजेंड बनने तक के सफर को दिखाया गया है। फिल्म में संदीप सिंह के संघर्ष के साथ-साथ उनकी लव लाइफ को भी दिखाया गया है। यह देखने के लिए दर्शकों को फिल्म के रिलीज होने तक का इंतजार करना पड़ेगा, लेकिन इससे पहले हम आपको बता रहे हैं 'सूरमा' की असली कहानी।
हरियाणा के कुरुक्षेत्र में हुआ संदीप का जन्म
संदीप सिंह का जन्म 01 फरवरी 1986 को हरियाणा के कुरूक्षेत्र जिले के शाहबाद शहर में हुआ था। संदीप के बड़े भाई बिक्रमजीत सिंह इंडियन ऑयल की तरफ से हॉकी खेलते थे और संदीप को हॉकी विरासत में मिली। इसलिए बचपन से ही संदीप ने हॉकी खेलना शुरू कर दिया और बलदेव सिंह एकेडमी में ट्रेनिंग लेना शुरू कर दिया। लेकिन हॉकी खेलने में उनका मन नहीं लगता था।
संदीप का दोबारा कैसे आया हॉकी में इंट्रेस्ट
फिल्म के ट्रेलर में दिखाया गया है कि बचपन से हॉकी और संदीप की कभी बनी नहीं, लेकिन जब वो एकेडमी में हरजिंदर कौर को देखते हैं तो कहते हैं कि हॉकी इतनी भी बुरी नहीं हैं। इसके बाद संदीप के हॉकी खेलने की बड़ी वजह यह बन गई कि हरजिंदर कौर भी उसी एकेडमी में ट्रेनिंग लेती थीं। इसके बाद दोनों में नजदीकियां बढ़ने लगी और यह बात हरजिंदर के भाई के कानों तक पहुंची। उनके भाई ने संदीप के सामने भारत के लिए खेलने की शर्त रखी।
संदीप ने मोहब्बत को पाने के लिए की दिन-रात मेहनत
हरजिंदर कौर के भाई के मुताबिक अगर संदीप भारतीय टीम में सेलेक्ट होते हैं तो वे खुशी-खुशी अपनी बहन का हाथ संदीप के हाथ में दे देंगे। इसके बाद अपनी मोहब्बत को पाने के लिए संदीप सिंह ने दिन रात मेहनत की और साल 2004 में भारतीय टीम में सेलेक्ट हुए। संदीप ने कुआलालुम्पुर में अजलान शाह कप से इंटरनेशनल करियर की शुरुआत की।
साल 2006 के बाद शुरू असली खेल
अब तक मोहब्बत के लिए हॉकी खेलने वाले संदीप सिंह देश के लिए हॉकी खेलना चाहते थे और साल 2006 में विश्व कप के लिए सेलेक्ट हुए। वर्ल्ड कप के लिए भारतीय टीम के साथ रवाना होने के 2 दिन पहले 22 अगस्त 2006 को शताब्दी एक्सप्रेस में गलती से गोली चलने की वजह से घायल हो गए। पीठ में गोली लगने के बाद संदीप पैरालाइज हो गए और दो साल तक मैदान पर नहीं आए। यह ऐसा वक्त था जब संदीप सब-कुछ खो चुके थे, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।
3 साल बाद वापसी के साथ संदीप बने फ्लिकर किंग
हॉकी ऐसा खेल है, जिसमें सारा खेल पीठ पर निर्भर करता है और खिलाड़ियों को झूक कर खेलना पड़ता है। संदीप सिंह ने जज्बे और हौंसले से एक बार फिर खेल में वापसी की और ऐसा शानदार खेल दिखाया कि लोग उन्हें फ्लिकर किंग और पेनल्टी स्पेशलिस्ट बुलाने लगे। साल 2009 में संदीप ने भारत को सुल्तान अजलान शाह कप जिताया। इस टूर्नामेंट में संदीप सबसे ज्यादा गोल मारने वाले खिलाड़ी थे और वो मैन ऑफ द टूर्नामेंट बने। वहीं 2012 में लंदन ओलंपिक क्वालिफाइंग टूर्नामेंट में संदीप ने अकेले ही 16 गोल मारे और भारत को ओलंपिक के लिए क्वालिफाई कराया।