Asian Games: मेंस हॉकी में भारत के सामने खिताब बचाने की चुनौती, गोल्ड से कटेगा टोक्यो का टिकट
By विनीत कुमार | Published: August 13, 2018 02:54 PM2018-08-13T14:54:03+5:302018-08-13T15:56:52+5:30
महिला हॉकी का फाइनल 31 अगस्त को जबकि मेंस हॉकी का फाइनल 1 सितंबर को खेला जाएगा। गोल्ड मेडल जीतने वाली टीमें ओलंपिक-2020 के लिए क्वॉलीफाई करेंगी।
नई दिल्ली, 13 अगस्त: इंडोनेशिया में 18 अगस्त से शुरू हो रहे एशियन गेम्स में भारतीय फैंस के लिहाज से बड़ा दारोमदार हॉकी पर होगा। पुरुष और महिला दोनों ही हॉकी टीमों से मेडल की उम्मीद है। इसकी अहम वजह ये है कि पिछली बार 2014 में इंचियोन में हुए एशियाई खेलों में जहां मेंस टीम ने गोल्ड मेडल जीता था वहीं, महिला टीम ब्रॉन्ज जीतने में कामयाब रही थी। मेंस टीम ने तब रोमांचक फाइनल में पाकिस्तान को हराया था।
एशियन गेम्स के इतिहास में मेंस हॉकी में भारत ने तीन गोल्ड मेडल (1966, 1998, 2014) और 9 सिल्वर अब तक जीते हैं। एशियन गेम्स में सबसे ज्यादा गोल्ड पाकिस्तान के नाम हैं। उसने 8 बार गोल्ड मेडल जीता है। इसमें सात बार तो फाइनल में पाकिस्तान ने भारत को हराया है। मेंस हॉकी को पहली बार एशियन गेम्स में 1958 में शामिल किया गया था। ये एशियन गेम्स टेक्यो में हुए थे।
मेंस हॉकी टीम के सामने खिताब बचाने की चुनौती
भारतीय पुरुष टीम को इस बार एशियन गेम्स में पूल-ए में रखा गया है। इस पूल में भारत के अलावा कोरिया, जापान, श्रीलंका और हॉन्ग कॉन्ग चीन की टीमें हैं। जाहिर है पूल मैचों में भारत और पाकिस्तान का मुकाबला देखने को नहीं मिलेगा। पाकिस्तान को पूल-बी में रखा गया है। ऐसे में जब दोनों टीमें पूल स्टेज से आगे जाएंगी तो भारत और पाकिस्तान के बीच रोमाचंक मुकाबला देखने को मिल सकता है।
पूल-ए | पूल-बी |
भारत | मलेशिया |
कोरिया | पाकिस्तान |
जापान | बांग्लादेश |
श्रीलंका | ओमान |
हॉन्ग कॉन्ग चीन | थाईलैंड |
इंडोनेशिया |
भारतीय टीम के लिए ये एशियन गेम्स इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां का गोल्ड मेडल उसकी टोक्यो ओलंपिक-2020 की दावेदारी पक्की कर देगा। कप्तान और अनुभवी गोलकीपर पीआर श्रीजेश सहित टीम के सीनियर खिलाड़ी सरदार सिंह अच्छे प्रदर्शन के भरोसे की बात कह चुके हैं। 2014 में टीम ने सरदार सिंह की कप्तानी में गोल्ड जीता था।
वैसे, इस साल मेंस हॉकी टीम के प्रदर्शन की बात करें तो बहुत अच्छा नहीं रहा है। साल की शुरुआत में सुल्तान अजलान शाह कप में टीम पांचवें स्थान पर रही और फिर गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स से भी खाली हाथ लौटी। एक अच्छी खबर जरूर आई जब एफआईएच चैम्पियंस ट्रॉफी में टीम सिल्वर मेडल जीतने में कामयाब रही। इन तीनों ही टूर्नामेंट में टीम नये कप्तान के नेतृत्व में और कुछ नये खिलाड़ियों के साथ खेली। इन सबके बीच हरेंद्र सिंह की बतौर कोच वापसी हुई।
इतने सारे बदलाव और उथल-पथल के बीच मेंस हॉकी टीम एशियन गेम्स में क्या करती है, ये देखने वाली बात होगी। हालांकि, दो-तीन चीजें जरूर भारतीय टीम की परेशानी रही है और उस पर उसे ध्यान देना होगा। खासकर आखिरी मिनटों के दबाव में मैच पर पकड़ बनाये रखना, पेनल्टी कॉर्नर जैसे मौकों को गोल में बदलना और पूरे 60 मिनट मानसिक मजबूती कायम रखने में अगर भारतीय टीम कामयाब रही तो फैंस को कुछ अच्छी हॉकी देखने को मिल सकती है।
विमेंस हॉकी टीम पर होगी नजर
भारतीय महिला हॉकी टीम को पूल-बी में रखा गया है। इस पूल में भारत के अलावा कोरिया, थाईलैंड, कजाकिस्तान और मेजबान इंडोनेशिया की टीमें हैं। वहीं, पूल-ए में चीन, जापान, मलेशिया, हॉन्ग कॉन्ग चीन और चीनी ताइपे की टीमें हैं। महिला टीम अपने अभियान की शुरुआत 19 अगस्त को इंडोनेशिया के खिलाफ करेगी। इसके बाद 21 तारीख को भारतीय टीम कजाकिस्तान और फिर 25 को कोरिया से भिड़ेगी। भारतीय महिला टीम को अपना आखिरी पूल मैच 27 अगस्त को थाईलैंड से खेलना है।
विमेंस टीम एशियन गेम्स के इतिहास में केवल एक बार 1982 में गोल्ड मेडल जीतने में कामयाब हुई है। वहीं, थाईलैंड में 1998 में हुए एशियन गेम्स में महिला टीम ने सिल्वर मेडल जीता था। महिला हॉकी में सबसे ज्यादा गोल्ड दक्षिण कोरिया (5) के नाम है। वहीं, चीन ने भी तीन बार विमेंस हॉकी का गोल्ड जीता है। महिला हॉकी को पहली बार 1982 में एशियन गेम्स में शामिल किया गया था।
हॉकी के लिए खास है ये एशियन गेम्स
इस एशियन गेम्स में सबसे ज्यादा हॉकी टीमें हिस्सा ले रही हैं। 14 दिनों तक खेले जाने वाले 60 हॉकी मैचों में 14 देशों की 21 टीमें खेलेंगी। सभी मैच जकार्ता के गेलोरा बंग कार्नो (जीबीके) स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स में खेले जाएंगे।
हॉकी के नॉकआउट मैच 29 अगस्त से शुरू होंगे। महिला हॉकी का फाइनल 31 अगस्त को जबकि मेंस हॉकी का फाइनल 1 सितंबर को खेला जाएगा। साथ ही ये पहली बार होगा जब एशियन गेम्स के हॉकी इवेंट में वीडियो रेफरल सिस्टम का इस्तेमाल होगा।
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