विश्व गुलाब दिवस क्यों मनाते हैं? 12 साल की बच्ची से जुड़े है कहानी जो 28 साल पहले बनी थी कैंसर रोगियों के लिए मिसाल

By योगेश कुमार गोयल | Published: September 22, 2022 02:55 PM2022-09-22T14:55:24+5:302022-09-22T14:57:13+5:30

मेलिन्डा रोज की स्मृति में कैंसर रोगियों के कल्याण के प्रति समर्पण के रूप में प्रतिवर्ष 22 सितंबर को ‘विश्व गुलाब दिवस’ मनाया जाता है.

world rose day 22 september, marked for Welfare of Cancer patients, how it started | विश्व गुलाब दिवस क्यों मनाते हैं? 12 साल की बच्ची से जुड़े है कहानी जो 28 साल पहले बनी थी कैंसर रोगियों के लिए मिसाल

कैंसर रोगियों की भी महक सकती है जिंदगी

कैंसर एक ऐसी गंभीर बीमारी है, जो व्यक्ति को न केवल शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक और आर्थिक रूप से भी तोड़ देती है. हालांकि कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो स्वयं इस बीमारी से जूझते हुए भी अपनी बहादुरी और सकारात्मक के चलते दूसरे कैंसर मरीजों के लिए मिसाल बन जाते हैं. ऐसी ही एक बहादुर बच्ची थी कनाडा की 12 वर्षीया मेलिन्डा रोज, जिसे 1994 में केवल 12 साल की आयु में ही घातक रक्त कैंसर (अस्किन्स ट्यूमर) हो गया था. 

मेलिन्डा कैंसर से आखिरी जंग लड़ रही थी और डॉक्टरों ने कह दिया था कि वह दो सप्ताह से ज्यादा जीवित नहीं रह पाएगी लेकिन उस छोटी बच्ची ने हार नहीं मानी तथा न केवल करीब 6 महीने तक जीवित रही बल्कि अन्य कैंसर पीड़ितों के लिए भी मिसाल बन गई. 

ये 6 महीने मेलिन्डा ने कैंसर से जूझ रहे मरीजों के साथ ही बिताए और नोट्स, कविताओं व ई-मेल के जरिये उन लोगों को खुश रखने के प्रयास किए तथा अपने इस जज्बे से बहुत सारे लोगों को प्रभावित भी किया. सितंबर 1994 में इस बच्ची ने सबका साथ छोड़कर दुनिया को अलविदा कह दिया लेकिन कैंसर पीड़ितों को जिंदगी से लड़ने की हिम्मत रखने का हौसला दे गई.

मेलिन्डा रोज की ही स्मृति में कैंसर रोगियों के कल्याण के प्रति समर्पण के रूप में प्रतिवर्ष 22 सितंबर को ‘विश्व गुलाब दिवस’ मनाया जाता है. यह दिन कैंसर से लड़ रहे लोगों में आशा और उत्साह का संचार करने के लिए समर्पित है. चूंकि गुलाब का फूल खुशी का प्रतीक होता है, इसीलिए इस दिन कैंसर मरीजों और उनकी देखरेख करने वालों को गुलाब का फूल देकर यह संदेश दिया जाता है कि कैंसर जिंदगी का अंत नहीं है बल्कि कैंसर से लड़ा जा सकता है और लड़कर जीत भी हासिल की जा सकती है. 

गुलाब देकर उन्हें यह अहसास कराया जाता है कि उनकी जिंदगी भी फिर से गुलाब जैसी ही महक और खिल सकती है.  इस दिवस को मनाने का उद्देश्य कैंसर के बारे में जागरूकता फैलाना तथा कैंसर रोगियों को यह संदेश देना है कि भले ही इस बीमारी से वह अकेले लड़ रहे हैं लेकिन मानसिक तौर पर हम भी उनके साथ खड़े हैं. 

ऐसे बहुत से लोग मिल जाएंगे, जो कैंसर के दर्द को झेलने के बाद भी हंसते-खिलखिलाते नजर आते हैं. ऐसे लोग कैंसर से जूझ रहे अन्य मरीजों के मनोबल को बढ़ाते हुए उनके अंदर भी जीने की उम्मीद जगाने का प्रयास करते हैं.

Web Title: world rose day 22 september, marked for Welfare of Cancer patients, how it started

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