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दुनिया में इन 9 बीमारियों से मरते हैं सबसे ज्यादा लोग, भारत में तेजी से फैल रही है चौथी बीमारी

By उस्मान | Updated: October 25, 2019 15:57 IST

वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन के अनुसार, 2016 में दुनिया भर में 56.9 मिलियन मौत हुई। इनमें से सबसे ज्यादा मौत का कारण इस्केमिक हार्ट डिजीज और स्ट्रोक है।

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1) हार्ट डिजीज और स्ट्रोक

वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन के अनुसार, 2016 में दुनिया भर में 56.9 मिलियन मौत हुई। इनमें से सबसे ज्यादा मौत का कारण इस्केमिक हार्ट डिजीज और स्ट्रोक है। इन बीमारियों से साल 2016 में 15.2 मिलियन लोगों की मौत हुई। ये रोग पिछले 15 वर्षों में वैश्विक स्तर पर मृत्यु के प्रमुख कारण बने हुए हैं। स्ट्रोक तब लगता है, जब अचानक मस्तिष्क के किसी हिस्से मे रक्त आपूर्ति रुक जाती है या मस्तिष्क की कोई रक्त वाहिका फट जाती है और मस्तिष्क की कोशिकाओं के आस-पास की जगह में खून भर जाता है।

2) सीओपीडी

क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज ने 2016 में 3.0 मिलियन लोगों की मौत हुई। सीओपीडी फेफड़ों की गंभीर बीमारी है। इसमें सांस की नलियां सिकुड़ जाती हैं और उनमें सूजन आ जाती है। यह सूजन निरंतर बढ़ती रहती है। क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पलमोनरी डिजीज को सामान्य भाषा में क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस या फेफड़े की बीमारी भी कहते हैं। यह पुरुषों के लिए जानलेवा है।

3) फेफड़े का कैंसर

फेफड़े के कैंसर (ट्रेकिआ और ब्रोन्कस कैंसर) से 1.7 मिलियन लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा. फेफड़ों का कैंसर फेफड़ों से शुरू होता है और अन्य शरीर के अंगों में फैलता है। ज्यादातर मामलों में यह फेफड़ों के वायुमार्गों में शुरू होता है, जिन्हें अलवेली और ब्रोंचीओल्स कहा जाता है। अधिकांश फेफड़ों के कैंसर का कारण धूम्रपान और निष्क्रिय धूम्रपान दोनों से धूम्रपान कर रहा है।

4) डायबिटीज

इस साल डायबिटीज की वजह से 1.6 मिलियन लोग मरे। जब शरीर के अग्न्याशय में इंसुलिन का स्त्राव कम हो जाने के कारण खून में ग्लूकोज स्तर समान्य से अधिक बढ़ जाता है तो उस स्थिति को डायबिटीज कहा जाता है। इससे व्यक्ति को कई अन्य गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। 

5) डिमेंशिया

साल 2000 से 2016 के बीच डिमेंशिया के कारण होने वाली मौतों की संख्या दोगुनी हो गई, जिससे 2016 में दुनिया में होने वाले कुल मौतों का 5वां सबसे प्रमुख कारण बन गया। अल्जाइमर रोग डिमेंशिया का सबसे आम कारण है, लेकिन केवल एक ये ही कारण नहीं है। इसे मनोभ्रंश भी कहा जाता है। डिमेंशिया किसी एक बीमारी का नाम नहीं है बल्कि ये एक लक्षणों के समूह का नाम है, जो मस्तिष्क की हानि से सम्बंधित हैं।

6) लोअर रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन

लोअर रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन सबसे घातक संचारी रोग बन गया, जिससे 2016 में दुनिया भर में 3.0 मिलियन मौतें हुईं। निचला श्वसन संक्रमण या एलटीआरआई, श्वसन नलिका (ट्रेकिआ), (श्वास हेतु) हवा के मार्ग और फेफड़ों, जिनसे निचला श्वसन तंत्र बनता है, का तीव्र संक्रमण है। एलटीआरआई में ब्रोंकाइटिस, ब्रोंकिओलाईटिस, क्रूप (लेरिंगोट्रेकियोब्रोंकाइटिस) और निमोनिया होते हैं।

7) डायरिया

2000 और 2016 के बीच डायरिया से होने वाली बीमारियों से मृत्यु दर लगभग 1 मिलियन घट गई, लेकिन फिर भी 2016 में 1.4 मिलियन मौतें हुईं। डायरिया को दस्त के रूप में भी जाना जाता है यह एक बीमारी है जो आपको सामान्य की तुलना में अधिक शिथिल या अधिक मल पास करती है। डायरिया इन्फेक्शन दूषित पानी और भोजन से होता है। 

8) टीबी

इसी तरह, टीबी यानी तपेदिक से होने वाली मौतों की संख्या में इसी अवधि के दौरान कमी आई, लेकिन अभी भी 1.3 मिलियन लोगों की मृत्यु के साथ यह बीमारी शीर्ष 10 कारणों में से एक है। टीबी एक संक्रामक रोग होता है, जो आमतौर पर फेफड़ों को प्रभावित करता है।  

9) एड्स

एचआईवी/एड्स अब मौत के दुनिया के शीर्ष 10 कारणों में से नहीं है, साल 2000 में 1.5 मिलियन की तुलना में 2016 में 1.0 मिलियन लोग इससे मारे गए थे। एड्स एक ऐसी जानलेवा बीमारी है जो मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु (एचआईवी) संक्रमण के बाद होती है। एचआईवी संक्रमण के पश्चात मानवीय शरीर की प्रतिरोधक क्षमता घटने लगती है।

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