टीवी शो सावधान इंडिया के पॉपुलर होस्ट सुशांत सिंह ने एक ट्वीट किया है। इस ट्वीट में उन्होंने बताया कि उनकी छोटी बहन सोफिया CIDP नाम की एक गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं।
ट्वीट में सुशांत कह रहे हैं कि उनकी बहन जिस बीमारी से पीड़ित है उसका इलाज चल रहा है लेकिन इस गंभीर का एकमात्र इलाज भी काम नहीं कर रहा है। वे अपने फैंस और जानने वालों से यह अपील कर रहे हैं कि वे उनकी मदद करें और इस ट्वीट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें ताकि यह सही इंसान तक पहुंच सके और उनकी बहन का जल्द से जल्द इलाज हो सके।
सुशांत के इस ट्वीट के अनुसार सोफिया को ऑटो-इम्यून डिसऑर्डर है, यानी यह उनके इम्यून सिस्टम से जुड़ी दिक्कत है लेकिन जब हमें गहराई से CIDP के बारे में जाना तो यह बीमारी काफी बड़ी है।
क्या है CIDP?
क्रोनिक इंफ्लेमेटरी डिमाईलिनेटिंग पोलीन्यूरोपैथी (CIDP), यह एक न्यूरोलॉजिकल यानी तंत्रिका विकार है जो धीरे-धीरे शरीर की तंत्रिकाओं को जकड़ने लगता है। इसके लक्षण सभी के लिए एक जैसे नहीं होते हैं, लेकिन इसका सबसे अधिक असर बाजुओं और टांगों पर होता है। इन हिस्सों में हर समय कमजोरी और अकड़न का एहसास होना कुछ ऐसे लक्षण हैं तो CIDP की शुरुआती स्टेज में हर इंसान को महसूस होते हैं।
डॉक्टरों के मुताबिक CIDP के लक्षण हर इंसान में अलग-अलग होते हैं लेकिन अगर लगातार 8 हफ्तों तक एक ही तरह के लक्षणों को शरीर में देखा जाए, तो इस बात पर पहुंचा जा सकता है कि यह CIDP ही है। इसके अलावा अगर वहम दूर करना हो तो कुछ लक्षणों को देखने के बाद इलाज शुरू कर देना चाहिए। अगर इलाज काम करने लगे तो समझ जाएं कि यह CIDP ही है।
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क्यों होता है CIDP, लक्षण
CIDP असल में किन कारणों से होता है, क्यों होता है और क्या सुधार लाया जाए कि इसकी रोकथाम हो, सभी तक इससे जुड़े एक भी सवाल का जवाब खुद एक्सपर्ट भी खोज नहीं पाए हैं। डॉक्टरों के मुताबिक यह एक ऐसा तंत्रिका विकार है जो समय रहते अपने आप ही बॉडी में पनपने लगता है और दर्द, थकावट, शरीर में अकड़न जैसे लक्षणों के साथ सामने आता है।
CIDP का इलाज
इस न्यूरो रोग को पहली बार पकड़ने का कोई भी टेस्ट मौजूद नहीं है। यह सिर्फ और सिर्फ लक्षणों के आधार पर ही जाना जा सकता है। अगर लक्षण CIDP के हों और शुरू किया गया पहला इलाज भी रोगी पर काम करने लगे तो इसी के आधार पर डॉक्टर आगे का इलाज शुरू करते हैं।
CIDP के अलग-अलग ट्रीटमेंट
डॉक्टरों के मुताबिक CIDP एक ऐसा रोग है जिसे यदि समय रहते पकड़ लिया जाए और जल्दी इलाज भी शुरू हो जाए तो आगे का रास्ता कई गुणा आसान हो जाता है। लेकिन इलाज पद्धति में क्या-क्या शामिल है, यहां जानें:
Corticosteroids: सबसे पहला इलाज दवाओं से होता है जिसमें इंफ्लेमेशन (शरीर की अकड़न, सूजन) को कम किया जाता है और इम्यून सिस्टम को स्लो बनाया जाता है।
Intravenous immunoglobulin (IVIG): इसमें इंजेक्शन और एंटी-बायोटिक दवाओं से इलाज किया जाता है। ये इलाज रोगी के इम्यून स्य्स्तेम्त को सही करने के लिए होता है।
Plasma exchange (PE): इलाज के इस तरीके में खून को साफ करने का काम किया जाता है। यह किडनी डायलिसिस की तरह ही कम करता है लेकिन उससे अलग है।
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Immunotherapy: इम्यूनोथेरेपी के अंतर्गत मिल रहे इलाज में इम्यून सिस्टम को स्ट्रांग बनाने का काम किया आजाता है ताकि कोई भी बाहरी तत्व उसे चोट पहुंचाने की कोशिश ना कर सके।
Stem cell transplant: यह इम्यून स्य्स्तेम्त के लिए एक 'रिसेट' का काम करता है। बहुत ही कम डॉक्टर इस इलाज की सलाह देते हैं। जब सभी इलाज फेल हो जाएं तभी डॉक्टर इस ट्रीटमेंट की सलाह देते हैं।