Covid-19 Vaccine: भारत आएंगी रूस की कोविड-19 वैक्सीन Sputnik V की 100 मिलियन खुराक
By उस्मान | Published: September 16, 2020 04:08 PM2020-09-16T16:08:29+5:302020-09-16T16:08:29+5:30
कोरोना वायरस की वैक्सीन : समझौते के तहत इस वैक्सीन का भारत में क्लिनिकल ट्रायल भी होगा
रसियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड ने भारत में कोरोना वायरस की वैक्सीन 'स्पुतनिक वी' (Sputnik V) के क्लिनिकल परीक्षण और वितरण का संचालन करने के लिए डॉ. रेड्डी लैब्स के साथ एक समझौता किया है।
लाइव मिंट की रिपोर्ट के अनुसार, समझौते के तहत रेड्डी लैब्स को वैक्सीन की 100 मिलियन खुराक की आपूर्ति होगी। परीक्षण और आपूर्ति सौदा दोनों केंद्रीय दवा नियामक की मंजूरी पर निर्भर करते हैं। यदि परीक्षण सफल रहे, तो वैक्सीन भारत में इस वर्ष के अंत तक उपलब्ध होगी।
डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज के मैनेजिंग डायरेक्टर जीवी प्रसाद ने कहा 'हम भारतीय आबादी के लिए सुरक्षा और प्रभावकारिता सुनिश्चित करने के लिए और आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भारत में तीसरे चरण का परीक्षण करेंगे। स्पुतनिक वी टीका भारत कोरोना के खिलाफ लड़ाई में एक विश्वसनीय विकल्प साबित हो सकता है।
रूस की वैक्सीन पर वैज्ञानिक प्रक्रिया का उल्लंघन का आरोप
पुतिन का दावा ऐसे समय आया है जब दुनिया भर के डॉक्टरों ने जल्दबाजी में टीके को मंजूरी देने और रूस द्वारा इसकी प्रभावकारिता के संबंध में आंकड़ों को साझा करने में असफल होने पर चिंता जताई है और इसे वैज्ञानिक प्रक्रिया का उल्लंघन करार दिया है।
पुतिन ने कहा कि उनकी एक बेटी को भी टीका दिया गया है और उसमें एंटीबॉडी विकसित हुए हैं एवं वह बेहतर है। हालांकि, रूसी अधिकारियों ने इस दावे को साबित करने के लिए कोई वैज्ञानिक सबूत नहीं दिए हैं।
संदेह में है टीका
दुनियाभर में अनेक वैज्ञानिक इस कदम को संदेह की दृष्टि से देख रहे हैं और तीसरे चरण के परीक्षण से पहले टीके का पंजीकरण करने के निर्णय पर सवाल उठा रहे हैं। किसी भी टीके का तीसरे चरण का परीक्षण आम तौर पर हजारों लोगों पर महीनों तक चलता है।
गैमलेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ने बनाया टीका
बताया जा रहा है कि इस वैक्सीन को मॉस्को के गैमलेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी द्वारा बनाया गया है और इसे पंजीकरण के बाद जल्द ही सार्वजनिक उपयोग के लिए अनुमति मिल सकती है।
तीसरे चरण का ट्रायल अभी बाकी
इस वैक्सीन ने जुलाई के दूसरे सप्ताह में ह्यूमन ट्रायल का पहला चरण पूरा किया था और इसका दूसरा चरण 13 जुलाई को शुरू हुआ था। आमतौर पर किसी वैक्सीन को सार्वजनिक उपयोग के लिए तब तक अनुमति नहीं मिलती है, जब तक वो मानव परीक्षणों के तीन चरणों को पूरा नहीं करती है। रूस के इस टीके का तीसरा चरण अभी बाकी है।
सितंबर में शुरू हो सकता है उत्पादन
रिपोर्ट में कहा गया है कि वैक्सीन का उत्पादन सितंबर में शुरू होने की उम्मीद है। जब तक परीक्षण पूरा नहीं हो जाता, तब तक यह टीका केवल स्वास्थ्य पेशेवरों को ही दिया जाएगा।
सफल रहे परिणाम
चेक-अप में सामने आया है कि वैक्सीन ने वालंटियर्स में प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बढ़ाया है। सबसे बड़ी बात कि वालंटियर्स के शरीर में इसका कोई दुष्प्रभाव या समस्या नहीं पाई गई है।
लोगों में विकसित हुई प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता
रूस ने कहा कि क्लिनिकल ट्रायल में जिन लोगों को यह वैक्सीन लगायी गयी, उन सभी में सार्स-सीओवी-2 के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता पायी गयी। यह ट्रायल 42 दिन पहले शुरू हुआ था। उस समय वॉलंटियर्स को मॉस्को के बुरदेंको सैन्य अस्पताल में कोरोना वैक्सीन लगायी गयी थी।
हर महीने होगा कई मिलियन डोज का निर्माण
बताया जा रहा है कि रूस अगले साल की शुरुआत तक प्रति माह कोरोना वायरस के कई मिलियन डोज का निर्माण करेगा।
नहीं दिखा कोई साइड इफेक्ट
जांच परिणाम की वैक्सीन की तारीफ हुई है। समीक्षा के परिणामों से यह स्पष्ट रूप से सामने आया है कि वैक्सीन लगने की वजह से लोगों के अंदर मजबूत रोग प्रतिरोधक प्रतिक्रिया विकसित हुई है। कहा कि किसी भी वॉलंटियर में कोई भी नकारात्मक साइड इफेक्ट नहीं आयी।