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गले का दर्दनाक फोड़ा होने पर मिलती है 5 चेतावनी, नहीं दिया ध्यान तो खाना-पीना हो जाएगा हराम

By उस्मान | Updated: December 17, 2019 13:05 IST

इस रोग में मरीज का बोलना भी मुश्किल हो जाता है

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ठळक मुद्देइस समस्या का सबसे बड़ा कारण टॉन्सिल का रोग हैयह समस्या बच्चों, किशोरों और युवा वयस्कों में सबसे आम हैं

मुंह के अंदर टॉन्सिल होते हैं जो गले के बीच में लटके होते हैं। कई बार संक्रमण या ठंडा-गर्म खाने-पीने की वजह से टॉन्सिल में सूजन आने लगती है। टॉन्सिल के बढ़ने से खाने-पीने में परेशानी के साथ आपके आवाज में भारीपन आ सकता है। इसका सही इलाज नहीं कराने से आपको एक समस्या और हो सकती है जिसे गले का फोड़ा (Peritonsillar Abscess) कहा जाता है। यह फोड़ा टॉन्सिल के आसपास हो जाता है जिसमें पास भरने लगती है और आप गले में दर्द महसूस कर सकते हैं। 

हेल्थ वेबसाइट वेबएमडी के अनुसार, यह समस्या बच्चों, किशोरों और युवा वयस्कों में सबसे आम हैं। यह विकार अक्सर शीतकालीन मौसम की शुरुआत या अंत में होता है, इसका कारण यह है कि इस मौसम में टॉन्सिल की समस्या आम होती है। गले के फोड़े की वजह से आपको दर्द, सूजन, निगलने, बोलने, और यहां तक कि सांस लेना मुश्किल हो जाता है। 

गले में फोड़ा होने के कारण

गले में फोड़ा अक्सर टॉन्सिल की वजह से होता है। इसके अलावा यह समस्या मोनोन्यूक्लियोसिस में इन्फेक्शन, स्मोकिंग, क्रोनिक लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया, टॉन्सिल में पथरी या कैल्शियम जमा होना आदि के कारण भी हो सकती है।

गले में फोड़ा होने के लक्षण

गले में फोड़ा होने पर मुंह और गले में सूजन हो सकती है जो आमतौर पर एक तरफ महसूस होती है। गर्दन में लिम्फ ग्रंथियां बढ़ने के साथ कोमल हो सकती हैं। इसके अलावा निगलने में दर्द होना, बुखार और ठंड लगना, जबड़े की मांसपेशियों में ऐंठन, कान में दर्द, फटी हुई आवाज और लार निगलने में कठिनाई होना भी इसके लक्षणों में शामिल हैं।

गले में फोड़ा होने से बचने के लिए क्या करें

गले में फोड़े को रोकने के लिए सबसे पहले आपको टॉन्सिल का इलाज शुरू करवाना चाहिए। इसके इलाज में देरी करने से फोड़ा होने का जोखिम बढ़ जाता है। इसके अलावा रोजाना दो समय दांतों को ब्रश करें। इस तरह के लक्षण महसूस होने पर आपको तुरंत धूम्रपान छोड़ देना चाहिए।

गले में फोड़े का इलाज

ईएनटी (कान, नाक, और गले) सर्जन करते हैं। इससे राहत पाने के लिए डॉक्टर जांच करने के बाद आपको एंटीबायोटिक्स की सलाह दे सकता है। यह इसके उपचार का सबसे आम रूप है। उपचार में तेजी लाने के लिए चिकित्सक फोस में पस भी निकाल सकता है। अगर आपको खाने-पीने में परेशानी होती है, तो इलाज के दौरान कुछ दिन आपको सिर्फ तरल पदार्थों का सेवन करने की सलाह दी जा सकती है। इस दौरान दर्द को दूर करने के लिए डॉक्टर कुछ दर्द निवारक भी लिख सकता है। 

इन बातों का रखें ध्यानआपको सूप, शोरबा और चाय जैसे हल्के गर्म तरल पदार्थ पीने चाहिए। इससे गले में खराश को शांत करने में मदद मिल सकती है। इसके लिए आप हर्बल चाय जिसमें शहद ले सकते हैं जो मुंह और गले की जलन को शांत कर सकती है।

आपको ठंडी चीजों का सेवन करना चाहिए। इसके लिए आप दही या आइसक्रीम खा ले सकते हैं। इससे गले को सुन्न किया जा सकता है, जिससे अस्थायी दर्द से राहत मिलती है। 

आपको कठोर चीजों के सेवन से बचना चाहिए। इनसे आपका दर्द बढ़ सकता है। कठोर खाद्य पदार्थ गले को खरोंच भी कर सकते हैं, जिससे आगे जलन और सूजन हो सकती है। आप चिप्स, सूखा अनाज, टोस्ट, कच्ची गाजर और कच्चे सेब जैसी चीजें न खायें।

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