लकवा क्या होता है? लकवा एक ऐसी स्थिति जिसमें व्यक्ति के शरीर का एक हिस्सा या दोनों हिस्से सुन्न पड़ जाते हैं। यानी उस हिस्से की मांसपेशियां काम नहीं कर पाती हैं उनकी संवेदन-शक्ति समाप्त हो सकती है। ऐसा होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं और बढ़ती उम्र में इसके होने की आशंका और अधिक बढ़ जाती है। बोलचाल की भाषा में इसे लकवा मारना कहते हैं और मेडिकल में इसे पैरालिसिस (Paralysis) कहा जाता है।
यह रोग काफी आम हो चुका है और कभी भी किसी व्यक्ति को अपनी चपेट में ले सकता है। लकवा दिमाग में पड़ सकता है। इसके लक्षणों में अचानक याददाश्त में कमजोरी आना, बोलने में परेशानी, हाथ-पैरों में कमजोरी, कम दिखना, व्यवहार में परिवर्तन, चेहरे का टेड़ा होना इत्यादि शामिल हैं। ऐसा माना जाता है कि करीब अस्सी प्रतिशत मामलों में लकवों से बचा जा सकता है।
1) शहद और लहसुनलकवे का दौरा आने पर मरीज को तुरंत शहद और लहसुन मिलाकर खिलाएं। ऐसा करने से प्रभावित अंग ठीक होने लगते हैं और पैरालिसिस से कुछ दिनों में मरीज को राहत भी मिल सकती है।
2) हल्दी का काढ़ाहल्दी का काढ़ा मिलाकर पिलाने से पैरालिसिस की समस्या ठीक हो सकती है, क्योंकि हल्दी की तासीर गर्म होती है और हल्दी के अंदर कुछ ऐसे तत्व होते है, जो ब्लड सर्कुलेशन को ठीक करते हैं। हल्दी का उपयोग आयुर्वेद में भी बताया गया है, हल्दी को दूध में डालकर पीने से आपको कई तरह के फायदे भी होते हैं।
3) तिल का तेलपैरालिसिस का अटैक आने पर मरीज को तिल का तेल गर्म करके खिलाया जाए और उसके बाद 5 से 6 लहसुन की कली खिलाई जाए तो पैरालिसिस की समस्या काफी हद तक कम हो जाती है।
4) नींबू पानी का एनिमालकवा रोग को दूर करने का एक और इलाज मौजूद है, जो पूर्ण रूप से प्राकृतिक है। इसके अनुसार पीड़ित रोगी को प्रतिदिन नींबू पानी का एनिमा लेकर अपने पेट को साफ करना चाहिए और रोगी व्यक्ति को ऐसा इलाज कराना चाहिए जिससे कि उसके शरीर से अधिक से अधिक पसीना निकले। क्योंकि पसीना इस रोग को काटने में सहायक होता है।
5) गर्म चीजों का सेवनलकवा रोग से पीड़ित रोगी यदि बहुत अधिक कमजोर हो तो रोगी को गर्म चीजों का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए। इससे उसे रोग से लड़ने की शक्ति मिलेगी। लेकिन पैरालिसिस के जिन रोगियों को उच्च रक्तचाप की समस्या है, वे गर्म चीजों से पूरी तरह से परहेज करें।
6) गीली मिट्टी का लेपलकवा रोग को काटने के लिए लकवा रोग से पीड़ित रोगी के पेट पर गीली मिट्टी का लेप करना चाहिए। यदि रोजाना ना हो सके, तो एक दिन छोड़ कर यह उपाय जरूर करना चाहिए। इसके उसके बाद रोगी को कटिस्नान कराना चाहिए। यदि यह इलाज प्रतिदिन किया जाए, तो कुछ ही दिनों में लकवा रोग ठीक हो जाता है।
इस बात का रखें ध्यान
इसे पक्षाघात भी कहा जाता है जोकि एक वायु रोग है, जिसके प्रभाव से संबंधित अंग की शारीरिक प्रतिक्रियाएं, बोलने और महसूस करने की क्षमता खत्म हो जाती हैं। डॉक्टर्स के मुताबिक, लकवा आने के दो से तीन दिन में पेशेंट में सुधार शुरू हो जाता है, तो छह महीने में रिकवरी आना शुरू होती है। डेढ़ साल में पूरी तरह से रिकवरी आ सकती है।