रात में कम सोने वाले हो जाएं सावधान?, 3 दिन तक हर रात 4 घंटे की नींद नहीं लिए तो रक्त में बदलाव शुरू, क्या होगा असर
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: May 24, 2025 03:26 IST2025-05-24T03:25:49+5:302025-05-24T03:26:11+5:30
मोलीक्यूल्स हैं जो शरीर में तब बनते हैं, जब आप तनाव में होते हैं या फिर किसी बीमारी से जूझ रहे होते हैं।

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डबलिनः हम सभी लंबे अरसे से इस बात से भलीभांति वाकिफ हैं कि नींद पूरी न होना कितना खतरनाक है लेकिन वैज्ञानिकों ने अब इस बात को समझना शुरू कर दिया है कि ये कितना हानिकारक हो सकता है। स्वीडन के उप्पसला विश्वविद्यालय द्वारा किये गये नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि सिर्फ तीन दिन तक हर रात करीब चार घंटे की नींद नहीं पूरी होने से आपके रक्त में बदलाव होने शुरू हो जाते हैं, जो सीधे तौर पर ह्रदय रोग के बढ़ते जोखिस से जुड़े हुए हैं। शोधकर्ताओं ने रक्त में एक प्रकार का प्रोटीन पाया, जो सूजन का कारण बनता है।
ये एक प्रकार के मोलीक्यूल्स हैं जो शरीर में तब बनते हैं, जब आप तनाव में होते हैं या फिर किसी बीमारी से जूझ रहे होते हैं। जब ये प्रोटीन आपके रक्त में लंबे समय तक उच्च स्तर पर बने रहते हैं, तो वे रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं और हृदय गति रुकने, गंभीर हृदय रोग और अनियमित हृदय गति जैसी समस्याओं का जोखिम बढ़ा सकते हैं।
अध्ययन में 16 स्वस्थ युवाओं को शामिल किया गया था। इन युवाओं ने कई दिन प्रयोगशाला में बिताए, जहां उनके भोजन से लेकर उनकी गतिविधियां और प्रकाश के संपर्क तक सब कुछ सावधानीपूर्वक नियंत्रित किया गया। शोध में शामिल हुए युवाओं ने दो दिनचर्या का पालन किया, जिसमें एक समूह ने तीन रातों तक सामान्य नींद (साढ़े आठ घंटे) ली और दूसरे समूह ने तीन रातों तक सिर्फ चार घंटे 25 मिनट की नींद ली। नींद लेने के बाद प्रत्येक दिन पुरुषों ने थोड़ी देर साइकिलिंग की। कसरत से ठीक पहले और बाद में उनके खून की जांच की गयी।
शोधकर्ताओं ने रक्त के नमूनों में लगभग 90 अलग-अलग प्रोटीन मापे। उन्होंने पाया कि नींद पूरी नहीं होने से हृदय रोग से जुड़े सूजन संबंधी मानकों में स्पष्ट वृद्धि हुई। शोधकर्ताओं ने पाया कि व्यायाम आमतौर पर ‘इंटरल्यूकिन-6’ और बीडीएनएफ (मस्तिष्क और हृदय के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने वाले) जैसे स्वस्थ प्रोटीन को बढ़ाता है जबकि नींद नहीं पूरी होने से इन प्रोटीन में कमी होती थी।
युवाओं में भी सबसे हैरान करने वाली बात ये थी कि बदलाव युवाओं, स्वस्थ व्यस्कों और दो दिन तक नींद पूरी नहीं करने वाले लोगों में देखे गये। यह चिंताजनक है क्योंकि वयस्क कई-कई बार नींद नहीं पूरी होने की समस्या का शिकार होते हैं और लगभग चार में से एक व्यक्ति ऐसी पाली में काम करता है, जिससे उसके नींद खराब होती है।
शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि दिन में किस समय रक्त का नमूना लिया गया, यह भी मायने रखता है क्योंकि सुबह और शाम के बीच प्रोटीन का स्तर अलग-अलग होता है और जब नींद कुछ ही घंटों तक सीमित होती है तो यह और भी ज्यादा होता है। इस अध्ययन से पता चलता है कि नींद आपके रक्त में मौजूद चीजों को न केवल प्रभावित करती है बल्कि इन बदलावों को लक्षणों के रूप में सामने लाती है।
आधुनिक जीवन हालांकि अक्सर हमें उत्पादकता, सामाजिकता या फोन व लैपटॉप पर ज्यादा देर तक काम करने के बदले नींद का त्याग करने के लिए प्रोत्साहित करता है लेकिन इस तरह के अध्ययन हमें याद दिलाते हैं कि हमारा शरीर चुपचाप, रासायनिक तरीके और बिना किसी समझौते के सब कुछ सहता रहता है।