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चुनें स्मार्ट फूड, सेहत को होगा कई गुना अधिक फायदा

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: January 7, 2019 09:56 IST

व्यस्त जीवनशैली के कारण लगातार खानपान के प्रति बरती गयी इस लापरवाही का खामियाजा हमारे शरीर को चुकाना पड़ता है। खानपान की खराब आदतें स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं। शरीर में पौष्टिक तत्वों की कमी के चलते अनेक तरह की परेशानियां पैदा हो सकती हैं।

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(डॉ. माजिद अलीम)

बदलते जीवनशैली के साथ आजकल हमारी खानपान की आदतों में भी काफी बदलाव आ गया है। विशेष तौरपर कामकाजी स्त्री-पुरुषों की खानपान की अनियमित आदतों का असर उनके स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है। क्योंकि ऑफिस में काम की व्यस्तता के चलते दोपहर का भोजन ढंग से न खाना या कंप्यूटर की स्क्रीन पर लगातार व्यस्त होने के कारण कुछ भी हल्का-फुल्का खा लेना, कार्यक्षमता को बनाये रखने के लिए खाने के बाद आने वाले आलस से बचाव के लिए या कम कैलोरी लेने की प्रवृत्ति के चलते लोग अक्सर खानपान के प्रति गंभीर किस्म की लापरवाही बरतते हैं। घर से जल्दबाजी में निकलने के कारण नाश्ता न लेना तो आम बात है।

खानपान के विशेषज्ञों के अनुसार सुबह सोकर उठने के बाद कुछ खाना हमारी सेहत के लिए बेहद जरूरी होता है। रात के भोजन के उपरांत सुबह उठने तक हम 7-8 घंटे बिना कुछ खाये रहते हैं। इस अवधि में शरीर में ग्लूकोज के स्तर को संतुलित करने के लिए शरीर की तमाम क्रियाएं आपसी सामंजस्य बनाये रखती हैं। यही वजह है कि विशेषज्ञ सुबह भारी-भरकम मात्र में नाश्ता करने की सलाह देते हैं।

विभिन्न सर्वेक्षणों से यह बात उभरकर आयी है कि अधिकांश बच्चे सुबह बिना कुछ खाये-पिये ही स्कूल जाते हैं। आफिस जाने वाली लड़कियां और महिलाएं भी हल्का-फुल्का नाश्ता करती हैं या वह नाश्ता करना जरूरी ही नहीं समझतीं। आमत।र पर कई लोग तो कहते भी सुने जाते हैं कि वह सुबह-सुबह कुछ खा ही नहीं सकते। ऐसे लोग अक्सर सुबह भूख न लगने की बात कहते हैं। यह प्रवृत्ति आमत।र पर बच्चों और 19-34 साल के आयुवर्ग के स्त्री-पुरुषों में देखी जाती है।

नाश्ते में हमारे देश में भौगोलिक परिस्थतियों के हिसाब से अलग-अलग प्रदेशों में अलग-अलग प्रकार की चीजें खायी जाती हैं। उत्तर भारत गांवों में सुबह के समय यदि दही, दूध, मट्ठा, रोटी-सब्जी इत्यादि खाई जाती है तो शहरी क्षेत्रों में ब्रेड, सब्जी, परांठा, दही, दूध वगैरह नाश्ते में लिये जाते हैं। यदि बात इंग्लिश नाश्ते की जाए तो उसमें ब्रेड, टोस्ट, अंडे, फ्रूट्स आदि लिए जाते हैं। नाश्ते में ब्रेड, दूध, दही, सब्जियां, फ्रूट, जूस, अंकुरित अनाज पर्याप्त पोषक तत्व होते हैं जो हमारे शरीर में ऊर्जा के स्तर को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं।

आमतौर पर सुबह के खाने के बाद कामकाजी लोग रात में ऑफिस से लौटने के बाद ही घर में खाना खाते हैं। पूरा दिन काम में व्यस्त रहने, लम्बे समय तक एक ही पोजीशन में बैठकर काम करते रहना, काम का लगातार तनाव होने जैसी इन तमाम वजहों से खान-पान में संतुलन रखना हमारे शरीर के लिए एक अनिवार्य जरूरत बन जाता है। ऐसे में खानपान की अनदेखी हमारे स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है। इसलिए हमें अपनी कार्यशैली के अनुरूप खानपान के प्रति अति सचेत होना चाहिए।

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ऑफिस जाने वालों को प्रोटीन की ज्यादा जरूरत होती है। यह प्रोटीन दालों, सोयाबीन, अंकुरित अनाज से ले सकते हैं। वसा के लिए सूखे मेवे, फाइबर के लिए फल तथा सब्जियां, कम काबोर्हाइड्रेटयुक्त खाद्य पदार्थ दालें, अनाज खाने चाहिए। विटामिन भी भरपूर मात्र एवं खनिज लवणों की सही आपूर्ति के लिए इन खाद्य पदार्थों को अपने भोजन में ज्यादा से ज्यादा मात्रा में शामिल करें जिनमें यह पाए जाते हैं। ऑफिस में लगातार बैठकर कार्य करने वालों को ब्रेड, मैदे, तले हुए खाद्य पदार्थ खाने से परहेज करना चाहिए।

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