International Vulture Day: भारत में गिद्धों की नौ प्रजातियां, जानें क्यों हो रहे विलुप्त, जानिए विशेषज्ञों का क्या कहना, हर साल सितंबर के पहले शनिवार को...
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 4, 2022 07:45 PM2022-09-04T19:45:54+5:302022-09-04T22:03:47+5:30
International Vulture Day: विशेषज्ञों का मानना है कि पशुओं में इस्तेमाल की जाने वाली दर्द निवारक दवा डाइक्लोफेनेक गिद्धों के इस करीब-करीब सफाये की वजह है जो उनके सड़े-गले मांस को खा रहे हैं एवं 24 घंटे के अंदर उनका गुर्दा काम करना बंद कर देता है।
नागपुरः भारत में गिद्धों की नौ प्रजातियों में से सात के पर्यावास महाराष्ट्र में उनकी संख्या बढ़ाने एवं संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न पहल करते हुए अंतरराष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस मनाया गया। हर साल सितंबर के पहले शनिवार को यह दिवस मनाया जाता है।
भारत में गिद्धों की नौ प्रजातियां पायी जाती हैं। उनमें से छह यहां (भारत) की हैं जबकि तीन प्रवासी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि पशुओं में इस्तेमाल की जाने वाली दर्द निवारक दवा डाइक्लोफेनेक गिद्धों के इस करीब-करीब सफाये की वजह है जो उनके सड़े-गले मांस को खा रहे हैं एवं 24 घंटे के अंदर उनका गुर्दा काम करना बंद कर देता है।
गिद्धों को विलुप्ति की ओर धकेल रहे रहे इस खतरे के मद्देनजर डाइक्लोफेनेक के भारत एवं नेपाल में 2006 तथा बांग्लादेश में 2010 में पशुओं में उपयोग पर रोक लगा दी गयी थी। उस पाबंदी के बाद भी पशुओं में मानव उपयोग वाली डाइक्लोफेनेक का इस्तेमाल किया जा रहा है।
इस साल महाराष्ट्र वन विभाग ने संरक्षण के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय गिद्ध दिवस मनाने के लिए इला फाउंडेशन और सहयाद्रि निसर्ग मित्र के साथ हाथ मिलाया और उसने कार्बेट फाउंडेशन के साथ मिलकर एक पोस्टर भी जारी किया।
महाराष्ट्र के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) और मुख्य वन्यजीव वार्डन सुनील लिमाये ने कहा, ‘‘ पिछले कई सालों गिद्ध पर्यावरण सुरक्षा, गिद्ध रेस्तरां संवर्धन, गिद्धों की सेटेलाइट टैगिंग जैसे कई संरक्षण कार्यक्रम शुरू किये गये हैं।’’